सीएम शिवराज ने मंच से मध्य प्रदेश गान को सम्मान देने की बात तो कही, पर राज्य का गीत लिखने वाले महेश श्रीवास्तव का जिक्र भूले

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Atul Tiwari
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सीएम शिवराज ने मंच से मध्य प्रदेश गान को सम्मान देने की बात तो कही, पर राज्य का गीत लिखने वाले महेश श्रीवास्तव का जिक्र भूले

BHOPAL. हिंदुस्तान का दिल यानी मध्य प्रदेश 1 नवंबर को 66 साल का हो गया। इस मौके पर भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में रंगारंग कार्यक्रम हुआ। बॉलीवुड की मशहूर संगीतकार जोड़ी शंकर-एहसान-लॉय ने अपनी धुनों, गानों से प्रोग्राम में समां बांधा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब जब भी मध्य प्रदेश गान (सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्य प्रदेश है ) हो, हमें उसका खड़े होकर सम्मान करना चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज मध्य प्रदेश गान लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव का जिक्र करना भूल गए। 



शिवराज ने ऐलान के साथ नई परंपरा शुरू की



शिवराज ने कहा कि अपने प्रदेश के लिए मध्य प्रदेश गीत बनाया। हम भारतवासी हैं, लेकिन अपना प्रदेश मध्य प्रदेश है। अभी तक मध्य प्रदेश गान के समय खड़े होकर सम्मान देने की परंपरा नहीं थी। आज मध्य प्रदेश दिवस के मौके पर हम ये संकल्प करें कि जब भी ये गान होगा, हम खड़े होकर मध्य प्रदेश गान को सम्मान देंगे। ये परंपरा हम मध्य प्रदेश दिवस (1 नवंबर) से शुरू कर रहे हैं। गीत होने वाला है, सभी अपने-अपने स्थान पर खड़े हो जाएं। मुख्यमंत्री के आग्रह के बाद कार्यक्रम में शामिल लोग मध्य प्रदेश गान होने पर खड़े हो गए।




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भोपाल में मध्य प्रदेश के कार्यक्रम का उद्घाटन करते शिवराज सिंह। साथ में हैं- (बाएं से)- विधायक रामेश्वर शर्मा, विधायक कृष्णा गौर, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर और भोपाल की मेयर मालती राय।




श्रीवास्तव ने द सूत्र के कार्यक्रम में बताई थी मध्य प्रदेश गान बनने की कहानी



द सूत्र ने 14 मई 2022 को अपने वीकली प्रोग्राम साहित्य सूत्र में महेश श्रीवास्तव से उनकी किताब वरदा पर चर्चा की थी। इसी दौरान श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश गान की रचना को लेकर भी बात की थी। उन्होंने कहा था कि जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात होती थी तो उनके मन में एक पीड़ा रहती थी। वो पीड़ा ये थी कि भोपाल वाला भोपाल को, महाकौशल वाला अपने महाकौशल को, मालवा वाला मालवा को, विंध्य वाला विंध्य को और बुंदेलखंड वाला बुंदेलखंड को श्रेष्ठ बताता है। जो एकात्मकता होनी चाहिए, वो नहीं है। मैंने कहा कि मध्य प्रदेश का गाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा आइडिया है, लेकिन बात आई और खत्म हो गई।



तब सिरोंज वाले लक्ष्मीकांत शर्मा संस्कृति मंत्री थे। विभाग ने मध्य प्रदेश गान के लिए एक विज्ञापन निकाल दिया। लेकिन ना तो मैंने विज्ञापन देखा था और ना ही कुछ भेजा था। एक दिन सुबह 10 बजे लक्ष्मीकांत जी का फोन आया। कहा कि मुख्यमंत्री जी ने गान के लिए विज्ञापन का कहा था, जो निकाल दिया गया है। प्रदेश की 50वीं जयंती (2006) आने वाली है। बालकवि बैरागी, सत्यनारायण सत्तन जी की प्रविष्टि आई है, लेकिन किसी को पसंद नहीं आ रहा। आप एक गान लिख दो। मैंने कहा कि जयंती आ रही है, इतनी जल्दी थोड़ी होता है। लक्ष्मीकांत जी ने कहा कि मैं आपका खंड प्रबंध काव्य सुन चुका हूं, आंखों में आंसू गए थे। आपकी कविताएं भी मैंने पढ़ी हैं। आपने तो मध्य प्रदेश पर पुस्तक भी लिखी है। भाईसाहब, मैं कुछ नहीं जानता, आपको तो करना है बस। मैं असमंजस में आ गया। मेरी मध्य प्रदेश पर जो किताब है, उसका शीर्षक है- प्रणाम। मैंने मध्य प्रदेश को प्रणाम करके गीत लिखा। उज्जैन में सांदीपनी आश्रम में कृष्ण रहे थे तो शंकराचार्य ने भी यहां तप किया था। बस एक दिन भोजन करने के बाद जब पत्नी सो गईं, मैंने एकाध घंटे सबकुछ सोचा और लिखना शुरू कर दिया। रात को करीब दो बजे ये पूरा भी हो गया। सुबह 8.30-9 बजे लक्ष्मीकांत जी को फोन कर दिया। मैंने कहा कि मैंने हाथ से लिख दिया है, आप टाइप करा लेना। इसी दिन शाम को मुख्यमंत्री के यहां बैठक हुई। मैं था, कुछ अधिकारी भी थे। मुख्यमंत्री को इतना पसंद आया कि मां की गोद, पिता का आश्रय, इससे भावना प्रधान बात और क्या हो सकती है। शिवराज ने तुरंत कहा कि इसे अच्छी से अच्छी आवाज में रिकॉर्ड होना चाहिए। इसे शान ने काफी अच्छा गाया है।



ये है मध्य प्रदेश गान



सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है, मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्य प्रदेश है



विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है, यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है



उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,



स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्य प्रदेश है।



सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,



मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।



चंबल की कल-कल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,



खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की,



भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,



अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।



क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,



महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां,



कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है,



ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।



सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है,



मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।।   



मुख्यमंत्री शिवराज ने स्थापना दिवस पर कई घोषणाएं कीं



सीएम शिवराज ने कहा कि नवंबर माह में 40 हजार भर्ती की जाएगी। हमने एक लाख भर्ती करने का वादा किया है। प्रदेश में किसी गरीब की थाली खाली नहीं रहेगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और प्रदेश सरकार की योजना से गरीबों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है। सीएम ने कहा कि 28 नवंबर से गरीब को जमीन का मालिक बनाने का अभियान शुरू किया जाएगा, जिनके पास जमीन नहीं है। उनको जमीन का टुकड़ा देकर मालिक बनाने का काम प्रारंभ होगा। यह गांव से शुरू होगा। शहर में फ्लैट बनाएं जाएंगे, जिनके जमीन पर कब्जे हैं, उनको नाम मात्र की जमीन पर प्लाट उपलब्ध कराए जाएंगे, जिन पर प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना से घर बनाने का सपना पूरा कराया जाएगा।


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