BHOPAL. मध्यप्रदेश के चुनावी साल में सभी पार्टी कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर पर सभी वर्गों को खुश करने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में अब प्रदेश पीसीसी चीफ कमलनाथ ने डॉक्टरों की परेशानियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। राजधानी स्थित आवास से कमलनाथ ने कहा- हम डॉक्टरों की समस्या समझते हैं। उनको होने वाली परेशानियों से हम दुखी भी हैं। नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो हम डॉक्टरों के लिए नई पॉलिसी लेकर आएंगे। जिसमें हम डॉक्टर और जनता दोनों के हितों का ख्याल रखेंगे। इसके अलावा डॉक्टरों की सभी समस्या को हम दूर करेंगे।
सामूहिक इस्तीफे की तैयारी में डॉक्टर
मप्र हाईकोर्ट ने हड़ताल पर सख्त रुख अपनाते हुए डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध बताते हुए तत्काल काम पर लौटने का आदेश दिया। जिसके बाद 3 मई की रात डॉक्टरों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि भले ही हड़ताल खत्म हो गई हो, लेकिन उनका आंदोलन जारी रहेगा। डॉक्टर अब सामूहिक इस्तीफे की तैयारी कर रहे हैं। 3 मई को को डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई थी। ग्वालियर में समय पर इलाज नहीं मिलने पर एक मरीज की मौत हो गई। इधर सरकार शाम तक वैकल्पिक व्यवस्था में जुटी रही। साथ ही हड़ताली डॉक्टरों को मनाने की कोशिश भी होती रही।
हड़ताल से प्रभावित हुई स्वास्थ्य सेवाएं
अपनी मांगों को नहीं माने जाने से नाराज सरकारी डॉक्टरों ने 3 मई से काम बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। प्रदेश के कई जिलों में सुबह से शाम तक कोई डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं था। जिससे सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो गई थी। राज्य के अस्पताल में व्यवस्था चरमरा गई थी। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण पोस्टमार्टम तक रुक गया था।
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हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने के लिए फटकार लगाई। डॉक्टरों की हड़ताल को हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया। जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि हड़ताली डॉक्टरों को तुरंत काम पर लौट जाना चाहिए। वे अस्पताल में मौजूद मरीजों का इलाज करें।
तीन सूत्री मांगों को लेकर हुई हड़ताल
बता दें कि मध्य प्रदेश में डॉक्टर तीन सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। उनकी मांगों में निश्चित वेतन ग्रेड देना, पुरानी पेंशन योजना लागू करना, स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग में प्रशासनिक नियुक्ति, आईएएस अधिकारियों की दखल-अंदाजी जैसे मुद्दे शामिल थे।
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