BHOPAL: मध्य प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना में निजी अस्पतालों के 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की धांधली सामने आने के बाद भी राज्य सरकार इसे 'घोटाला' मानने को तैयार ही नहीं है! हाल ही में ख़त्म हुए राज्य के विधानसभा सत्र में आयुष्मान योजना में हुई गड़बड़ियों को लेकर विधायकों द्वारा उठाए सवालों के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने जो जवाब दिए, उनसे तो यही साबित होता है। जवाबों में मंत्रीजी मानते हैं तो हैं कि PM मोदी के इस ड्रीम योजना में आर्थिक गड़बड़ियों की कई शिकायतें मिली हैं, पर ये भी कहते हैं कि ये 'करोड़ो रुपए का ये स्कैम' मात्र एक आर्थिक अनियमितता है, न कि किसी तरह का घोटाला! यही नहीं सरकार कई बार एक ही सवाल पर अलग-अलग जवाब देती नज़र आई। और आखिर में जब सवाल उठा स्कैम में और तथ्यों के हेरफेर की सीबीआई जांच का, तो उससे भी सरकार गोलमोल जवाब देते हुए कन्नी काट गई। पूरा माजरा समझने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट...
विधानसभा के बजट सेशन में आयुष्यमान योजना घोटाले को लेकर विधायकों ने पूछे 10 से भी ज्यादा सवाल पूछे
28 फरवरी को मध्य प्रदेश का विधानसभा पन्द्रहवाँ विधानसभा सत्र शुरू हुआ जो 21 मार्च को ख़त्म हुआ। इस दौरान आयुष्मान भारत योजना में MP में हुए 200 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के घोटाले को लेकर विधायक आरिफ मसूद, जयवर्धन सिंह, डॉ गोविन्द सिंह, प्रताप ग्रेवाल, ग्यारसी लाल रावत, लाखन सिंह यादव और अन्य द्वारा करीब 10 से भी ज्यादा सवाल पूछे गए। इन सभी सवालों में तीन मुद्दों पर मिले अलग-अलग जवाब प्रशासन के कन्फ्यूज्ड, दोगले और भ्रष्ट चेहरे को बेनकाब करते हैं:
200 करोड़ की आयुष्मान धांधली: आर्थिक अनियमिता या घोटाला?
एक सवाल में आरिफ मसूद ने साफ़ पूछा गया कि क्या प्रदेश में आयुष्मान भारत निरामय योजना के अंतर्गत योजना से संबंद्ध निजी चिकित्सालयों में गड़बड़ियों की शिकायत मिली है? अगर हाँ तो कितने अस्पतालों की शिकायतें मिली? कितने अस्पतालों पर कार्यवाही हुई और क्या कार्यवाही हुई की गई? तो जवाब में स्वास्थ्यमंत्री ने बताया कि भोपाल जिले में आयुष्मान योजना के तहत मरीजों के उपचार के लिए 159 अस्पताल संबद्ध हैं और ये माना कि सरकार को आयुष्मान भारत योजना से जुड़ी निजी अस्पतालों में आर्थिक अनियमितताओं की कुल 309 शिकायतें अलग-अलग जगहों और माध्यमों से -जैसे सी.एम हेल्पलाईन पोर्टल, कॉल सेन्टर एवं अस्पतालों के अंकेक्षण/ निरीक्षण स्तर से - प्राप्त हुई। और इन अनियमितताओं के आरोपी अस्पतालों के विरूद्ध 'स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स फॉर डी-इम्पैनल्मेंट ऑफ़ प्रोवाइडर्स' नियम के अन्तर्गत कार्यवाही भी की जा रही है। प्रारंभिक जांच में प्रदेश के 154 चिकित्सालयों से अर्थदण्ड की वसूली की जा रही है एवं कई चिकित्सालयों को असंबद्ध किया गया है तथा कारण बताओ नोटिस भी जारी किये गये हैं। भोपाल जिले में करीब 16 अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत उपचार करने से रोक दिया गया है क्योंकि उल्लेखित अस्पतालों ने 'अस्पताल एवं राज्य स्वास्थ्य परिषद्' की अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया, जिसकी चलते उन्हें योजना से असम्बद्ध भी कर दिया गया। साथ ही प्रदेश के 3 अस्पतालों -वैष्णो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, भोपाल/ गुरु आशीष हॉस्पिटल, भोपाल/ सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल, जबलपुर पर पुलिस प्रकरण दर्ज किये गये है। और अकेले भोपाल जिले में गड़बड़ी के चलते 74 अस्पतालों को नोटिस भी जारी किया गया है।
अब सरकार ने आर्थिक गड़बड़ियों का आंकड़ा तो नहीं दिया। लेकिन माना की आर्थिक गड़बड़ी हुई है और दोषी अस्पतालों पर कार्यवाही भी जारी है। तो वहीँ श्रीप्रताप ग्रेवाल द्वारा ये पूछने पर कि 31 जन 2023 तक कितने अस्पतालों में आयुष्मान योजना में कितनी राशि का घोटाला पाया गया है? और घोटाले पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने क्या कदम उठाए हैं? तो जवाब में स्वास्थ्यमंत्री का कहना है कि आयुष्मान योजना में कोई 'घोटाला' ही नही पाया गया है। इसके दो ही मायने निकलते हैं - या तो सरकार किसी एक जवाब में झूठ बोल रही हैं, या फिर सरकार की नज़र में योजना में हुए करोड़ो रुपए की आर्थिक अनियमितता 'घोटाला' नहीं! फिर चाहे उसमें आरोपी अस्पतालों को नोटिस भी मिले हों, FIR हुई हों या पंजीयन ही रद्द हों गए हों।
दोषियों पर कार्रवाई के मामले पर भी सरकार के अलग-अलग जवाब
एक मुद्दा घोटाले के असल दोषियों पर कार्यवाही को लेकर भी रहा। इस मुद्दे पर भी सरकार अलग-अलग विधायकों को अलग जवाब देती नज़र आई। जैसे जब डॉ.गोविन्द सिंह ने सवाल किया कि क्या मध्य प्रदेश के आयुष्मान योजना घोटाले को लेकर शिकायतकर्ता रामचरण मीना के शिकायत पत्र में जिन कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम दिए गए थे उन सभी पर कार्यवाही हुई या फिर उल्लेखित आरोपियों में से केवल एक छोटे कर्मचारी पर कार्यवाही कर बाकियों को छोड़ दिया गया? तो इसपर जवाब मिला कि मामले में सहायक ग्रेड-3 लिपिक पद पर श्री आशीष महाजन को दिनांक 4 जनवरी 2023 को निलंबित कर दिया गया किया है और शेष आरोपियों -अनुराग चौधरी, रीना यादव और सपना लोवंशी के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की गई क्योंकि उनके खिलाफ उक्त शिकायत में प्रमाण नहीं है और सबूत उपलब्ध होने पर उचित कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। तो वहीं जब यही प्रश्न विधायक श्रीप्रताप ग्रेवाल ने पूछा तो उन्हें जवाब दिया गया कि मामले में किसी अधिकारी की संलिप्तता नहीं पाई गई है। इसलिए कार्यवाही का तो प्रश्न ही नहीं उठता।
बता दें कि गौतम नगर के रहने वाले रामचरण मीना ने स्वास्थ्य कर्मचारी आशीष महाजन, अनुराग चौधरी, रीना यादव और सपना लोवंशी के विरुद्ध अपर मुख्य सचिव मो. सुलेमान से लेकर अन्य प्रमुख अधिकारियों से शिकायत की थी। दरअसल, दिसंबर, 2022 में आयुष्मान योजना में नौ लाख रुपये के लेनदेन का एक वीडियो वायरल हुआ था। वायरल वीडियों में विमल लोवंशी नामक एक व्यक्ति खुद को कथित तौर पर योजना की तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी सपना लोवंशी का देवर बताते हुए दावा राशि के भुगतान के बदले एक अस्पताल के कर्मचारियों से नौ लाख रुपये ले रहा था। इसे महज संयोग कहा जाए या रुटीन प्रक्रिया कि लेन-देन का वीडियो वायरल होने के कुछ ही घंटे बाद सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के संचालक और प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के सीईओ अनुराग चौधरी को हटाकर पशुपालन विभाग में उप सचिव के पद पर भेजा था। उनकी जगह अदिति गर्ग को पोस्ट किया गया था। संबंधित महिला अधिकारी को भी कुछ दिन पहले यहां से हटाकर इंदौर पोस्ट किया गया है। आशीष महाजन का निलंबन आयुष्मान योजना घोटाले में पहली कार्रवाई थी।
क्या सरकार विधानसभा में दे रही गलत जवाब?
सभी सवालों के जवाबों से साफ हैं कि सरकार या तो झूठ बोल रही है और बड़े अधिकारियों और दोषियों को बचाने की भरसक कोशिश हो रही है। इस मामले में जो कुछ निजी अस्पतालों पर थोड़ी-बहुत कार्रवाई हुई भी हैं, तो वो ऊंट के मुँह में जीरे सामान हैं। इसलिए योजना में हुए फर्ज़ीवाड़े को लेकर CBI कार्रवाई की मांग लगातार तेज़ हों रही है। ऐसी ही एक मांग MLA जयवर्धन सिंह ने भी की हैं। दरअसल, 2022 के विधानसभा सत्र के दौरान जयवर्धन ने आयुष्मान स्कीम में लगातार हों रही अनियमितताओं को लेकर कुछ प्रश्न किये थे। उनके किये गए सवाल का उन्हें जो जवाब मिला उससे पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जयर्वधन सिंह खुश नज़र नहीं आए और उन्होंने पत्र लिखकर स्वास्थ्य विभाग और मंत्री पर आरोप लगाया कि सदन में आयुष्मान योजना को लेकर गलत जानकारी दी गई है। उन्होंने लिखा कि सदन में दिया गया जवाब और आयुष्मान पोर्टल पर दी गई जानकारी भिन्न है। लिखित जवाब और पोर्टल के आंकड़ों में हेर-फेर किया गया है। सदन में दी गई जानकारी के अनुसार भोपाल में आयुष्मान योजना में 114 अस्पताल जुड़े हैं। वहीं, आयुष्मान विभाग के पोर्टल पर भोपाल जिले में लगभग 213 अस्पताल रजिस्टर्ड हैं। जयवर्धन सिंह ने लिखा कि उन्होंने अस्पतालों पर कार्रवाई के संबंध में जानकारी मांगी तो उसका जवाब भी अधूरा दिया गया है। जवाब में 154 निलंबित चिकित्सालय बताए हैं, जबकि पोर्टल पर ऐसे अस्पतालों की संख्या 318 है। इसमें 10 जिलों में चिकित्सालयों के निलंबन संबंधी जानकारी पोर्टल पर नहीं दी गई। सिंह ने लिखा कि मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि संपूर्ण तथ्यों की परीक्षा कराएं और मेरे द्वारा उपलब्ध जानकारी के आधार पर संपूर्ण महाघोटाले की जांच CBI को सौंपने की कार्यवाही सुनिश्चित करें। इस पर सरकार ने 10 जनवरी, 2023 को जवाब दिया कि 15 दिन के भीतर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। 15 दिन भी निकल गए और जवाब का आज भी इन्तेज़ार है।
स्वास्थ्य मंत्री का अटपटा रवैया
जब द सूत्र ने स्वास्थ्य मंत्री से इन सभी अनियमितताओं, करोड़ो के हेरफेर, विधानसभा में अलग-अलग जवाबों और सीबीआई जांच के बारे में बात करने की कोशिश की तो...पहले तो मंत्रीजी लगातार तीन दिन तक नहीं मिले और जब मिले तो बस एक टका सा जवाब दे दिया कि- हम सीबीआई जांच थोड़ी ही हैं! मंत्री जी ये सभी को पता है कि सीबीआई के आप डायरेक्टर थोड़े ना है। लेकिन सीबीआई जांच की अनुशंसा तो सरकार ही करती है।और सवाल अनुशंसा का ही पूछा गया था। बहरहाल मंत्री के जवाब से साफ है कि आयुष्मान में कोई घोटाला नहीं हुआ है इसलिए सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। आर्थिक गड़बड़ियां हुई है, जिस पर कार्रवाई की गई है।
मामले में जब द सूत्र ने RTI एक्टिविस्ट प्रदीप खंडेलवाल से बात की तो उन्होंने साफ़ कहा कि सरकार खुद को बचाने की कोशिश कर रही है!
क्या हैं आयुष्मान भारत योजना
आयुष्मान भारत योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का डीम प्रोजेक्ट है जिसे उन्होंने बड़ी उम्मीदों से साल 2018 में रांची में लांच किया था...ये कहते हुए कि इससे देश के 50 करोड़ बीपीएल धारी लोग 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल पाएगा। बता दें कि मध्य प्रदेश में इस योजना में बीमित हर व्यक्ति पर 1100 रुपए का प्रीमियम लगता है। इसमें से 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती है, जबकि 40 प्रतिशत राज्य सरकार लगाती है।
योजना में कैसी-कैसी गड़बड़िया की गईं
राज्यों में योजना में कोई हेरफेर न हो इसके योजना में गड़बड़ी की निगरानी केंद्रीय स्तर से होनी भी तय हुई। लेकिन इसके बाद भी मध्य प्रदेश के 620 निजी अस्पतालों में से 120 ने दो सौ करोड़ रुपए का घोटाला किया। इसमें कई अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा कई तरह की गड़बड़िया की गईं जैसे:
- कागजों में फर्जी मरीज दिखाकर दावा राशि ले ली।