एमपी सरकार ने लागू किया ग्वालियर का मास्टर प्लान, मंत्री ने जो सर्वे नंबर शामिल कराने रुकवाया था, नोटिफिकेशन में नहीं हो पाए शामिल

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एमपी सरकार ने लागू किया ग्वालियर का मास्टर प्लान, मंत्री ने जो सर्वे नंबर शामिल कराने रुकवाया था, नोटिफिकेशन में नहीं हो पाए शामिल

देव श्रीमाली,GWALIOR. आखिरकार मध्यप्रदेश सरकार ने राजनीतिक कारणों से लंबे समय से अटके पड़े ग्वालियर मास्टर प्लान-2035 को लागू कर दिया है। सियासी कारणों से एक मंत्री के दबाव में मास्टर प्लान स्वीकृत होने के बावजूद लटका पड़ा यह मामला "द सूत्र"ने प्रमुखता से उठाया था । इसके बाद हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में इसको लेकर दायर याचिका पर प्रक्रिया शुरू होते ही सरकार ने आनन-फानन में इसको लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया।





मंत्री भारत सिंह ने लगाई थी आपत्ति





उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह द्वारा लगाई गई आपत्तियों के चलते मास्टर प्लान रुका हुआ था। कुशवाह ग्वालियर के पास पिपरौली के 16 सर्वे नंबरों को मास्टर प्लान में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके चलते मास्टर प्लान का प्रकाशन अटक गया था। यह मामला "द सूत्र" ने प्रमुखता से उठाया था। मास्टर प्लान लंबे समय से शासन के पास लंबित था। इसको लेकर हाईकोर्ट में जनिहत याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि मास्टर प्लान को लेकर जिम्मेदार अधिकारी का शपथ पत्र पेश किया जाए। अधिकारियों को कोर्ट की नाराजगी का सामना नहीं करना पड़े, उससे पहले ही अधिसूचना जारी कर दी। 20 अप्रैल को मास्टर प्लान की अधिसूचना जारी की गई।





49 सालों में 32 हजार 721 हेक्टेयर बढ़ा शहर





ग्वालियर निवेश क्षेत्र का गठन वर्ष 1974 में किया गया था। उस समय नगरीय क्षेत्र के अलावा आसपास के 28 गांवों को शामिल कर 20699.41 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया था। नए मास्टर प्लान में अब यह क्षेत्र बढ़ाकर 53420.57 हेक्टेयर कर दिया गया है। ऐसे में पिछले 49 वर्षों में शहर का दायरा 32 हजार 721 हेक्टेयर बढ़ गया है।





सेवा नगर के 233 परिवारों को मिलेगी राहत





टीएनसीपी अधिकारियों के अनुसार नए मास्टर प्लान में ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) यानी हस्तांतरणीय विकास अधिकार का भी प्रविधान किया गया है। इस प्रावधान के तहत शहर में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए की गई तोड़फोड़ के बाद संपत्ति मालिकों को फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) का लाभ मिल सकेगा। संपत्ति के स्वामी अपनी संपत्ति पर ही अतिरिक्त ऊंचाई में निर्माण कर सकेंगे। यदि वे इसके इच्छुक नहीं हैं तो फिर इस टीडीआर को वो अन्य बिल्डर को बेच भी सकते हैं। इस प्रावधान का लाभ सेवा नगर के 233 परिवारों को मिलेगा, क्योंकि पिछले दिनों वहां सड़क चौड़ीकरण के लिए मकानों की तोड़फोड़ की गई थी।





1500 वर्गफीट पर बन सकेगी चार मंजिल





ग्वालियर शहर का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान लागू होने से शहर की 18 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर व्यवसायिक भवन के निर्माण की अनुमति भी मिल सकेगी। 1500 वर्गफीट के आवासीय भूखंड पर 12.50 मीटर ऊंचा यानी चार मंजिला मकान बन सकेंगे। अभी तक नौ मीटर ऊंची इमारत की अनुमति मिल रही थी। इसके अलावा मैकेनाइज्ड पार्किंग की स्वीकृति होने से अतिरिक्त पार्किंग का विकास हो सकेगा। नगर एवम ग्राम निवेश ( टीएंडसीपी) के संयुक्त संचालक वीके शर्मा का कहना है कि मास्टर प्लान लागू होने के बाद अब सेवा नगर के लोगों को टीडीआर का लाभ मिल सकेगा। 





यह है नए मास्टर प्लान में प्रावधान







  • बीस बिस्तर तक के नर्सिंग होम खोलने के लिए 4000 वर्गमीटर आवासीय भूखंड पर स्वीकार किया जाएगा।



  • डीआरडीई से 200 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित रखा गया है। मास्टर प्लान में यह छूट नहीं दी गई है।


  • एयरफोर्स के चार किमी के दायरे में आवासीय एवं वाणिज्यिक के लिए छह मीटर के निर्माण की अनुमति मिलेगी। यह एयरफोर्स से अनापत्ति लेने के बाद दी जाएगी।


  • आवासीय, वाणिज्यिक, सार्वजनिक, अर्ध सार्वजनिक भूमि उपयोग में मिश्रित अनुमति मिलेगी। तीनों उपयोगों की भी अनुमति मिलेगी।


  • 40 मीटर या इससे अधिक चौड़ी सड़कों पर प्रीमियम एफएआर द्वारा विकास को प्रोत्साहन किया जाएगा।


  • कृषि उपयोग में गैर प्रदूषणकारी, उद्योग, रेस्टोरेंट, आइटी पार्क, हास्पिटल, स्कूल, लाजिस्टिक पार्क के निर्माण की अनुमति मिलेगी।


  • बाइपास पर प्रस्तावित हरित क्षेत्र पर 65 मीटर की अतिरिक्त अनुमति मिलेगी।


  • एयरफोर्स के उड़ान क्षेत्र में प्रस्तावित हरित क्षेत्र समाप्त किए जाने से आवासीय विकास हो सकेगा।






  • दो वर्ष से चल रही थी कवायद 





    ग्वालियर के विकास को गति देने के लिए विशेषज्ञों द्वारा ग्वालियर मास्टर प्लान -2035 को तैयार करने की कवायद बीते दो साल से की जा रही थी। इसका मकसद ग्वालियर के भविष्य की योजनाओं का स्वरूप निर्धारित करना है।   इसको तैयार करने के बाद इसका प्रकाशन समाचार पत्रों में करके टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस पर दावे और आपत्तियां भी मांगे थे। मंत्री ने मुख्य सचिव को नोटशीट  लिखकर कुछ सर्वे नंबर इसमें शामिल करने को कहा । जैसे  ही इस मास्टर प्लान का खाका प्रदेश के उद्यानिकी मंत्री और ग्वालियर ग्रामीण से विधायक भारत सिंह के पास पहुंचा उन्होंने फटाफट सीधे मुख्य सचिव को एक नोटशीट भेजी।  इस नोटशीट में उन्होंने ग्राम केदारपुर और पिपरौली को मास्टर प्लान में शामिल करने आग्रह किया।





    उन्होंने लिखा - मेरे विधानसभा क्षेत्र क्रमांक - 14 ग्वालियर ग्रामीण के ग्राम केदारपुर का सर्वे क्रमांक 160 ,159,158,156,163,164,165,167,168,387,388,389,377,378,376,375,374,373,370,371,552,553,554,555,556,557,558, और पिपरौली के सर्वे क्रमांक 166,167,169,177,76,375,380,377,379,381,388,418,419,486,483,481,479,503,504,505,506,508,442,443,441,107,389,391,392,395,396 को प्रस्तावित मास्टर प्लान में 2035 में शामिल नहीं किया गया है। ग्राम केदारपुर एवं पिपरौली की उल्लिखित खसरा भूमि नगरीय बसाहट के करीब है तथा नगर निगम के वार्ड क्रमांक 66 में आता है इसे मास्टर प्लान में शामिल करने से इस क्षेत्र का भी विकास हो सकेगा। मंत्री ने जानबूझकर ऐसा करने का आरोप भी लगाया था 



    मंत्री भारत सिंह ने अपनी नोटशीट में यह खुला आरोप भी लगाया किऐसा प्रतीत होता है कि मेरी विधानसभा क्षेत्र ग्वालियर ग्रामीण का उक्त क्षेत्र जानबूझकर छोड़ा गया है। उन्होंने कहाकि उक्त सर्वे नंबरों को मास्टर प्लान में शामिल किया जाए। 





    मंत्री का दावा और आपत्ति हो चुकी है खारिज 





    मुख्य सचिव ने मंत्री भारत सिंह की नोटशीट को आपत्ति मानते हुए नगर और ग्राम निवेश विभाग (TNCP) में भेज दी। इसके अलावा मुरैना का पूर्व सांसद अशोक अर्गल ,यश कुमार गोयल ,लक्ष्मी नारायण शिवहरे ,एच एस यादव, क्रेडा के अध्यक्ष अतुल अग्रवाल सचिव महेश भारद्वाज ने भी अलग -अलग मुद्दों को लेकर अपने दावे और आपत्तियां पेश की थी।  विगत 28 अक्टूबर 2022 को विभाग द्वारा इन पर सुनवाई की लेकिन एक भी दावा या आपत्ति उपयुक्त नहीं पाई गई और आखिरकार इन सभी को निरस्त कर दिया गया था। 





    भोपाल में जाकर भी हो गया था ओके 





    बताते हैं कि यहां से फायनल होकर मास्टर प्लान भोपाल चला गया और इसे विभाग के मुख्य सचिव ने स्वीकार कर अनुमोदन के लिए नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह के पास भेज दिया था। मंत्री के यहाँ से अनुमोदन प्राप्त होने के बाद इसे गजट नोटिफिकेशन के लिए भेजने के लिए विभागीय उप सचिव ने पत्र लिखकर इसे आगे भी बढ़ा दिया था  लेकिन अचानक विकास की इस योजना का पहिया उलटा घूमने लगा था। इनके बाद नगरीय निकाय मंत्री ने इस फ़ाइल को बुलाकर अपने पास रख ली और मामला अटक गया। 





    हाईकोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका





    इस मामले को लेकर पवन द्विवेदी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर करते हुए कहाकि ग्वालियर के मास्टरप्लान का प्रारूप स्वीकृत होने के बावजूद सरकार इसे अधिसूचित नही कर रही है इसके कारण ग्वालियर का विकास कार्य ठप्प पड़ा हुआ है। इस याचिका को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया । 12 अप्रैल को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एडिशनल एडवोकेट से कहाकि वे इसका जबाव और इसके जिम्मेदार अधिकारियों के एफिटेबिट 24 अप्रैल तक पेश करने को कहा । इसके कारण अधिकारियों में हड़कम्प मच गया और उन्होंने 20 अप्रैल को ही ग्वालियर के मास्टर प्लान की स्वीकृति की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करवाकर इसकी सूचना कोर्ट में प्रस्तुत कर दी। 





    मंत्री के सुझाए सर्वे नही हुए शामिल





    मंत्री भारत सिंह द्वारा जिन सर्वे नंबरों को मास्टर प्लान में शामिल कराने के लिए मास्टर प्लान का प्रकाशन रुकवाया था उनको लेकर अधिकारी चुप्पी साधे हुए है । संयुक्त संचालक वीके शर्मा ने बताया कि ग्वालियर का मास्टर प्लान लागू हो गया है। मंत्री जी के सर्वे शामिल होने पर वे कहते है इसका उन्हें पता नही हैं । लेकिन सूत्रों का कहना है कि शासन ने पूर्व में स्वीकृत ड्राफ्ट को ही मंजूरी देकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है । उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह द्वारा जो सर्वे नम्बर इसमें शामिल करने के लिए पत्र लिखकर इसे रुकवाया था उन्हें शामिल नही किया गया है।



     



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