Jabalpur. मध्यप्रदेश की सरकार ऑनलाइन गैंबलिंग रोकने के लिए 3 महीने में कानून बनाकर इसे लागू करेगी। सरकार की ओर से यह अभिवचन हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि कानून के प्रारूप के लिए राज्य के वरिष्ठ सचिवों की कमेटी गठित की गई है। जिनकी अनुशंसा के आधार पर कानून को विधानसभा से पारित कराने के लिए 3 माह का समय हाईकोर्ट से मांगा गया है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में 30 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि देश के युवाओं के आर्थिक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ऑनलाइन गैंबलिंग प्रभावित कर रही है। एक नए तरह के अपराध का जन्म हो रहा है। इसे रोकने के लिए कोर्ट ने पुख्ता कानून बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा था कि इस मसले पर अधिक समय तक इंतजार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कानून बनाने पर विचार करने को कहा था।
जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान लिया संज्ञान
दरअसल सिंगरौली जिले के सनत कुमार जायसवाल की जमानत अर्जी पर ऑनलाइन गैंबलिंग के मसले को अदालत ने संज्ञान में लिया था। सनत पर आरोप था कि उसने अपने नाना के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सरई के खाते से 8 लाख 51 हजार रुपए अवैध रूप से निकाल लिए। उसने इस रकम को आईपीएल के सट्टे और अन्य ऑनलाइन गैंबलिंग स्कीमों में लगाकर बर्बाद कर दिया। रिपोर्ट पर भादवि की धारा 420 समेत अन्य के तहत प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने 21 दिसंबर 2021 को उसे गिरफ्तार कर लिया था। इसी मामले में जमानत पाने आरोपी सनत की ओर से यह अर्जी प्रस्तुत की गई थी।
केंद्र ने बताया राज्य का विषय
16 जून 2022 को कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में केंद्र सरकार पक्षकार नहीं है, लेकिन गैंबलिंग एक्ट केंद्रीय कानून है। इसलिए उच्चतम अधिकारियों को इन गैंबलिंग प्लेटफॉर्म की वैधानिक स्थिति की जांच कर शपथपत्र देना चाहिए। इसी तारतम्य में बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने मामले पर विचार किया। केंद्र के अनुसार संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत गैंबलिंग व बेटिंग(जुआ व सट्टा) राज्य सूची का विषय है। इसलिए राज्य सरकार को कानून बनाने की आवश्यकता है।