जितेंद्र जाट, GWALIOR. धरना आंदोलनों के लिए चर्चित मप्र बीज निगम के चेयरमैन और पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल 2 मई को नगर निगम मुख्यालय के सामने धरने पर बैठे थे। धरने में बीजेपी जिलाध्यक्ष अभय चौधरी भी शामिल हुए। आंदोलनों के लिए गोयल ने महापौर डॉ. शोभा सिकरवार को निशाने पर लिया। मुन्ना लाल ने आरोप लगाया कि वे गरीबों के बनाए गए केदारपुर इलाके में आवंटित जमीन पर विकास कार्य नहीं होने दे रही हैं।
आखिर मुन्ना लाल के आंदोलन की वजह क्या है?
आंदोलन के पीछे ग्वालियर पूर्व विधानसभा में वर्चस्व की जंग बड़ा कारण है। इस सीट पर बीजेपी से कांग्रेस में आए और विधायक बने डॉ. सतीश सिंह सिकरवार से उनकी सीधे प्रतिद्वंद्विता चल रही है। डॉ. सिकरवार की पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार मेयर हैं। गोयल इस सीट (ग्वालियर पूर्व) से फिर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं इस कारण वे विधायक और महापौर को दरकिनार कर क्षेत्र में भूमिपूजन, लोकार्पण करते रहते हैं। सुबह 11 बजे शुरू हुआ धरना दोपहर एक बजे तक चला। अपर कमिश्नर आरके श्रीवास्तव धरना स्थल पहुंचे और ज्ञापन लिया।
अनुसूचित जाति के नाम पर दिया धरना
मुन्नालाल गोयल ने धरने के लिए भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग मोर्चे के बैनर का इस्तेमाल किया, लेकिन सर्वेसर्वा यानी फ्रंटलाइन पर वे ही रहे। अपने संबोधन में गोयल ने आरोप लगाया कि विधायक सतीश सिकरवार और उनकी महापौर पत्नी शोभा दलित और आदिवासियों के घरों के निर्माण के लिए प्रस्तावित जमीन पर ना सिर्फ कब्जा जमाए बैठे हैं, बल्कि वह उस जमीन पर सरकार द्वारा मंजूर किए गए विकास कार्यों को भी नहीं होने दे रहे। फूटी कॉलोनी, सिरौल सहित शहर के विभिन्न इलाकों से हटाए गए 397 गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को बीजेपी सरकार ने केदारपुर में स्थाई पट्टे दिए हैं। यहां सड़क, सीवर, नल और अन्य सुविधाओं को लेकर सरकार ने करीब 5 करोड रुपए मंजूर किए हैं, लेकिन महापौर शोभा सिकरवार नगर निगम में इस गरीब बस्ती की फाइलों को दबाकर बैठी हैं।
मुन्ना लाल ने ये भी कहा कि पति पत्नी (सतीश और शोभा सिकरवार) दोनों खुद को गरीब और कमजोर वर्गों के हितैषी साबित करने के लिए तत्पर रहते हैं, लेकिन यही लोग सरकार द्वारा मंजूर की गई केदारपुर की जमीन पर विकास कार्य होने दे रहे और ना ही उनकी जमीन पर से अपना कब्जा हटा रहे हैं। मुन्नालाल गोयल ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार और उनकी पत्नी शोभा सिकरवार को सद्बुद्धि दे और वह कमजोर वर्गों के लिए विकास कार्यों को होने दें, नहीं तो आने वाले चुनाव में जनता उन्हें सबक सिखाएगी।
यह है नगर सरकार का गणित
ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद कांग्रेस की महापौर बनी हैं, लेकिन बहुमत बीजेपी का है। नगर सरकार में बीजेपी विपक्ष में है, जबकि प्रदेश में बीजेपी की सत्ता है। सरकार द्वारा ही अधिकारियों की पोस्टिंग की जाती है। निगमायुक्त को दो करोड़ रुपये तक के वित्तीय अधिकार हैं, जबकि महापौर पांच करोड़ तक की फाइल स्वीकृत कर सकती हैं। केदारपुर की फाइल करीब पांच करोड़ के निर्माण कार्यों की है। गोयल का आरोप है कि कामों के टेंडर तो लग चुके हैं, लेकिन महापौर वर्क ऑर्डर जारी नहीं होने दे रहीं।