राजीव उपाध्याय, JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार हर तरफ से सूचना के अधिकार कानून का गला घोंटने का प्रयास कर रही है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने राज्य सूचना आयोग के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें आवेदक के ही खिलाफ विभागीय जांच करने के निर्देश जारी कर दिए गए थे। हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सूचना आयोग को एफिडेविट पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि किस नियम के तहत आवेदक को सजा दी गई और क्यों ना इसके लिए उनसे हर्जाना वसूलकर याचिकाकर्ता को भुगतान किया जाए। कोर्ट ने जिला पंचायत टीकमगढ़ के सीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य आरके मैथ्यू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट मांगी थी
याचिकाकर्ता विवेकानंद मिश्र की ओर से एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा था। एडवोकेट उपाध्याय ने बताया था कि याचिकाकर्ता विवेक ने सबसे पहले डीईओ के सामने आरटीआई के तहत आवेदन लगाया था। विवेक ने उसके खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट मांगी थी। तय समय पर जानकारी नहीं मिलने पर विवेक ने जिला पंचायत के सीईओ के के पास अपील की। जब यहां से भी जानकारी नहीं मिली तो राज्य सूचना आयोग के पास अपील की।
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एडवोकेट दिनेश उपाध्याय के मुताबिक, सूचना आयुक्त (मध्य प्रदेश) ने सूचना अधिकारी को निर्देश दिए थे कि 30 दिन के अंदर जानकारी मुहैया कराएं। उसी आदेश में सूचना आयुक्त ने कलेक्टर टीकमगढ़ को यह भी निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता शिक्षक के खिलाफ विभागीय जांच की जाए, क्योंकि उन्होंने बदनीयती से आरटीआई कानून का दुरुपयोग किया है। इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि आरटीआई कानून के तहत आयुक्त को किसी भी स्थिति में अपीलार्थी को दंडित करने का अधिकार नहीं है।
जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा- सरकार सूचना के अधिकार कानून का गला घोंटने की कोशिश कर रही; याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच पर रोक
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राजीव उपाध्याय, JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार हर तरफ से सूचना के अधिकार कानून का गला घोंटने का प्रयास कर रही है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने राज्य सूचना आयोग के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें आवेदक के ही खिलाफ विभागीय जांच करने के निर्देश जारी कर दिए गए थे। हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सूचना आयोग को एफिडेविट पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि किस नियम के तहत आवेदक को सजा दी गई और क्यों ना इसके लिए उनसे हर्जाना वसूलकर याचिकाकर्ता को भुगतान किया जाए। कोर्ट ने जिला पंचायत टीकमगढ़ के सीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य आरके मैथ्यू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट मांगी थी
याचिकाकर्ता विवेकानंद मिश्र की ओर से एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा था। एडवोकेट उपाध्याय ने बताया था कि याचिकाकर्ता विवेक ने सबसे पहले डीईओ के सामने आरटीआई के तहत आवेदन लगाया था। विवेक ने उसके खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट मांगी थी। तय समय पर जानकारी नहीं मिलने पर विवेक ने जिला पंचायत के सीईओ के के पास अपील की। जब यहां से भी जानकारी नहीं मिली तो राज्य सूचना आयोग के पास अपील की।
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एडवोकेट दिनेश उपाध्याय के मुताबिक, सूचना आयुक्त (मध्य प्रदेश) ने सूचना अधिकारी को निर्देश दिए थे कि 30 दिन के अंदर जानकारी मुहैया कराएं। उसी आदेश में सूचना आयुक्त ने कलेक्टर टीकमगढ़ को यह भी निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता शिक्षक के खिलाफ विभागीय जांच की जाए, क्योंकि उन्होंने बदनीयती से आरटीआई कानून का दुरुपयोग किया है। इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि आरटीआई कानून के तहत आयुक्त को किसी भी स्थिति में अपीलार्थी को दंडित करने का अधिकार नहीं है।