संजय गुप्ता, INDORE. 5 दिन के शासकीय महोत्सव (8-10 जनवरी तक प्रवासी भारतीय दिवस और 11-12 जनवरी तक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट यानी GIS) का समापन हो गया है। मप्र के चुनावी साल में हुए यह दोनों आयोजन के साथ ही पूरे सालभर बड़े आयोजन करने की रणनीति पर भी सरकार काम शुरू कर चुकी है, ताकि नवंबर में होने वाल चुनाव में राजनीतिक लाभ मिल सके। जानेंगे, राजनीतिक नफे-नुकसान के तौर पर देखें कि किसका पॉलिटिकल ग्राफ बढ़ा और किसका घटा। पीएम नरेंद्र मोदी दोनों आयोजन में संबोधित किया। प्रवासी भारतीय दिवस में वे मौजूद रहे और इन्वेस्टर्स समिट में वर्चुअली जुड़े। उन्होंने मप्र और इंदौर की जी भरकर तारीफ की। राजनीतिक रूप से यह तय किया जा रहा है कि साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाता सीएम नहीं, पीएम मोदी के नाम पर वोट डालें, क्योंकि यही बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा। जैसे गुजरात में हर बार होता है, वहां वोट मोदी के नाम पर ही गिरते हैं।
सीएम चौहान के लिए ग्राफ
मोदी के उद्बोधन में सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम केवल एक बार आया जो सामान्य रूप से मंच पर बैठे लोगों का लिया जाता है, बस। आयोजन की कमियों से सोशल मीडिया पर आलोचनाएं हुई, अधिकारी चुप्पी साधे रहे और खुद को बचाने में लगे रहे, लेकिन सीएम के हाथ जोड़कर माफी मांगने की अदा के भी लोग कायल हुए। एक बार फिर बताई जा रही है कि ब्यूरोक्रेसी कंट्रोल में नहीं है, जो उनकी छवि को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री महेंद्र सिसोदिया जैसे नेता भी गाहे-बगाहे यह इश्यू उठा देते हैं। कुल मिलाकर समिट में रिकार्ड तोड़ प्रस्ताव, 29 लाख नौकरी वादे भी उनका ग्राफ बहुत ज्यादा बढ़ाते हुए नजर नहीं आ रहे, हालांकि शिवराज घाटे में भी नहीं दिख रहे।
मंत्रीगण मंच पर जगह के लिए ही तरस गए
मंत्रियों की बात करें तो सीएम ने औद्योगिक निवेश मंत्री राज्यवर्धन दत्तीगांव पर सबसे ज्यादा भरोसा दिखाया और उन्हें ही करीब रखा, कई दौरों में भी वह उनके साथ आए-गए। लेकिन मंत्री तुलसी सिलावट की बात करें या जिले के प्रभारी व गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की या फिर किसी अन्य मंत्री की, किसी के हाथ में कोई खास उपलब्धि हाथ नहीं आई, सत्रों में वे कब आए और कब चले गए, पता भी नहीं चला। अधिकांश तो मंच पर जगह के लिए ही तरसते रहे। मुख्य आयोजन के दौरान बोलने में भी केवल राज्यवर्धन को मौका मिला। पीएम मोदी के साथ लंच के लिए भी गिने-चुने ही जा पाए।
ताई और भाई तो बस...
ताई सुमित्रा महाजन और भाई कैलाश विजयवर्गीय की वैसे ही दोनों आयोजन में कोई भूमिका नहीं थी। ताई अब ज्यादा सक्रिय हैं भी नहीं, वह पीएम मोदी के लंच में जरूर गईं, इसके पहले आईडीए के होम स्टे कार्यक्रमों में शिरकत की। उधर विजयवर्गीय भी खामोश रहे, कोई बयानबाजी भी सामने नहीं आई। उन्होंने शांति पकड़ना ही उचित समझा। हालांकि, इस दौरान उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने जरूर अपनी विधानसभा में कुछ कामों के भूमिपूजन कराए और लंबे-चौड़े विज्ञापन भी जारी कराए।
सांसद से लेकर महापौर, विधायकों के कुछ ऐसे रहे हाल
सांसद शंकर लालवानी: पीएम मोदी के साथ सांसद होने के नाते लंच में जगह पा गए। इस दौरान अपने व्यक्तिगत आयोजन करते रहे, राष्ट्रपति, पीएम से लेकर केंद्रीय मंत्रियों की अगवानी और विदाई के समय खूब फोटो कराईं और प्रचारित कीं। लेकिन मंच पर जगह उन्हें भी नहीं मिली। दोनों ही आयोजनों में खास तवज्जो नहीं पा सके।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव: सबसे ज्यादा पॉलिटिकल ग्राफ महापौर का ही गिरा। शहर के प्रथम नागरिक होने के बाद भी वे मंच से लेकर पीएम मोदी के लंच तक कहीं भी जगह नहीं पा सके। पीएम की अगवानी की फोटो में भी वह एयरपोर्ट पर विधायकों के बाद खड़े हुए दिखे। कई अवसरों पर तो उन्हें बुलाने की जहमत भी नहीं उठाई गई। हालत यह रही कि कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला तक ने इस पर चुटकी ले ली और पीएम मोदी को पत्र लिखकर महापौर का सम्मान नहीं होने की बात उठा दी। सीएम शिवराज कहीं भी उनके कंधे पर हाथ धरते हुए नहीं मिले, जबकि निगम ने ही महोत्सव की तैयारियां कीं, शहर सौंदर्यीकरण किया, जिसकी सभी तारीफ कर रहे थे, इतना होने के बाद भी महापौर को तवज्जो नहीं मिलने के बाद यह साफ है कि भाई (कैलाश विजयवर्गीय) से उनकी नजदीकी और ताई (सुमित्रा महाजन) से दूरी (होलकर राजाओं के नाम के स्कूल व अन्य जगह के नाम बदलने से लेकर ताई ने आपत्ति ली थी) उन्हें भारी नुकसान पहुंचा रही है।
विधायकों की स्थिति: जब सीएम ने मंत्रियों को ही दरकिनार कर दिया तो विधायकों की बिसात ही क्या? सभी विधायक चुपचाप आयोजन में कुर्सियों में सामान्य दर्शक की तरह बैठे रहे। केवल अगवानी और विदाई के दौरान सभी नेताओं ने उनके साथ फोटो खिंचवाकर अपना प्रचार करने में भलाई समझी। इन सभी को मंच से लेकर लंच तक कहीं कोई जगह नहीं मिली। यही स्थिति नगराध्यक्ष गौरव रणदिवे और अन्य नेताओं की भी रही। आयोजन के पहले यह सभी अलग-अलग बैठकें लेते रहे, लेकिन जब आयोजन की बारी आई तो सभी को उनसे दूर ही रखा गया।
आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा की वाह-वाह
आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा ने केवल एक स्कीम लॉन्च की थी होम स्टे की, जिसे सीएम ने जमकर सराहा और मंच पर भी बार-बार तारीफ की। आखिरी दिन तो उनका मंच से नाम लेकर भी कहा कि कन्वेंशन सेंटर के लिए तैयारी करो चावड़ा जी। होम स्टे के कई कार्यक्रम में सीएम खुद गए और चावड़ा की तारीफ कर डाली। केंद्रीय स्तर पर भले ही चावड़ा को पहचान ना मिले, लेकिन सीएम की नजरों में वह जमकर चढ़ गए।