मध्य प्रदेश के IPS अफसर पुरुषोत्तम शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पत्नी प्रताड़ना को लेकर शासन की कार्रवाई को निरस्त किया

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Atul Tiwari
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मध्य प्रदेश के IPS अफसर पुरुषोत्तम शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पत्नी प्रताड़ना को लेकर शासन की कार्रवाई को निरस्त किया

NEW DELHI/BHOPAL मध्य प्रदेश के सीनियर IPS अफसर पुरुषोत्तम शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा की गई कार्रवाई को निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में 30 जनवरी को आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा अपने बेटी और दामाद के साथ पहुंचे थे। कोर्ट ने शर्मा और राज्य शासन के पक्ष को भी सुना और इसके बाद शासन की कार्रवाई निरस्त कर दी। पत्नी को प्रताड़ित करने की शिकायत के आधार पर राज्य शासन ने पुरुषोत्तम शर्मा को उन्हें निलंबित कर दिया था। उनके खिलाफ वायरल हुए दो वीडियो साक्षी के रूप में आधार बनाए गए थे। 2 साल से मामला लंबित था।



मध्य प्रदेश सरकार ने लिया था शर्मा पर एक्शन



पुरुषोत्तम शर्मा के खिलाफ मध्य प्रदेश शासन द्वारा 2 साल पहले कार्रवाई शुरू की गई थी। अब तक उनकी विभागीय जांच शुरू नहीं हो पाई है। राज्य शासन ने वायरल वीडियो के आधार पर सस्पेंड कर दिया था, लेकिन कुछ समय पहले कोर्ट ने उनके सस्पेंशन को खत्म करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में पुरुषोत्तम शर्मा की तरफ से सीनियर एडवोकेट निधीश गुप्ता और विनोद शुक्ला ने पैरवी की थी।



शर्मा ने पहले हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका 



एमपी सरकार आईपीएस शर्मा की निलंबन अवधि बार-बार बढ़ा रही थी। इसके खिलाफ उन्होंने कैग में याचिका दायर की थी। इसमें उनकी मांग थी कि नियम के अनुसार निलंबन की प्रथम अवधि 6 महीने की होती है। इसके बाद यदि निलंबन की अवधि को बढ़ाना है तो तीन सदस्यीय कमेटी की सिफारिश आवश्यक होती है। याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार कमेटी की सिफारिश के बिना निलंबन अवधि में 5 बार बढ़ोतरी कर चुकी है, जो नियम के खिलाफ है। कैग ने 5 मई 2022 को निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किए जाने के कारण निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। निलंबन अवधि का निर्धारण करने के लिए एक कमेटी होती है, जिसमें प्रमुख सचिव, गृह सचिव और डीजीपी सदस्य होते हैं।






शर्मा का रहा विवादों से नाता



पत्नी की बेरहमी से पिटाई के आरोप में आईपीएस पुरुषोत्तम शर्मा पर सरकार ने गाज गिराई थी। शिवराज सरकार ने उन्हें स्पेशल डीजी के पद से हटा दिया था। पुरुषोत्तम शर्मा करीब 2 साल पहले सुर्खियों में थे। उस वक्त हनीट्रैप केस की जांच के दौरान इनका नाम उछला था। विवाद एसटीएफ के गाजियाबाद वाले फ्लैट को लेकर हुआ था। शर्मा उस वक्त एसटीएफ के सुप्रीमो थे। तब उन्होंने कहा था कि मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।


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