BHOPAL. कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजों का मध्यप्रदेश पर गहरा असर होता दिख रहा है। वहां कांग्रेस के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ जाने के बाद जहां मध्यप्रदेश कांग्रेस में नई जान आ गई है, वहीं दूसरी तरफ 200 पार का नारा देने वाली बीजेपी में अंतर्कलह और बढ़ गई है। बीजेपी नेताओं को समझ नहीं आ रहा कि इस आंतरिक घमासान को थामने के लिए कौनसा फॉर्मूला लागू किया जाए।
टिकट वितरण का गुजरात का फॉर्मूला फेल
टिकट वितरण का गुजरात फॉर्मूला तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ही फेल हो गया। चेहरे बदलने वाला दूसरा फॉर्मूला मध्यप्रदेश में लागू करने के मामले में पहले ही देर हो चुकी है। ऐसे में सवाल यह है कि कैसे पार्टी एकजुट होकर चुनाव में उतरे और एंटीइनकमबेंसी को मात दे। कुछ समय पहले तक मध्यप्रदेश में विकास और सुशासन के दावे करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज अब चुनाव के 5 महीने पहले केवल लाड़ली बहना जैसी सीधे लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं और हर समाज के तुष्टिकरण के भरोसे पार्टी की नैया पार कराने की बात करने लगे हैं। लेकिन घर के भीतर ही हो रहे गड्ढों को भरने का कोई कारगर रास्ता नहीं सूझ रहा है। यहां तक कि मंत्री भी अब खुलकर एक-दूसरे की शिकायत कर रहे हैं तो पार्टी के कई पुराने नेता खुलकर बगावत के मूड में आ गए हैं और पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से रोष व्यक्त कर रहे हैं। सागर जिले से संबंधित 2 मंत्रियों गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत ने उसी जिले के एक और मंत्री और मुख्यमंत्री के करीबी समझे जाने वाले भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दोनों को प्रदेश नेतृत्व ने किसी तरह मनाया। नाराज मंत्रियों का आरोप है कि जिले में केवल एक ही मंत्री की सुनी जा रही है। जब मंत्रियों का यह हाल है तो बाकी का क्या। पार्टी की इस कलह कथा का विस्तार बीजेपी के और भी कई नेताओं तक है।
बयानों से फैली सनसनी
बीते सप्ताह जबलपुर पश्चिम से विधायक रहे और पूर्व मंत्री हरजिंदर सिंह बब्बू ने तो खुलेआम पार्टी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से अपनी जान को खतरा होने का बयान देकर सनसनी फैला दी थी। हालांकि बाद में दबाव में शाम तक उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया। लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था। इसी तरह विजयराघवगढ़ से बीजेपी के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने भी वीडी शर्मा पर यह कहकर हमला किया कि राज्य में बीजेपी की कब्र खोदने के लिए वो अकेले ही काफी हैं। मध्यप्रदेश बीजेपी में इसके पहले अब तक किसी भी प्रदेशाध्यक्ष पर ऐसे तीखे हमले नहीं हुए थे। इससे लगता है कि पार्टी में अनुशासन तार-तार हो रहा है। हालांकि वीडी शर्मा पर हो रहे ये हमले पार्टी की आंतरिक गुटबाजी और महत्वकांक्षाओं की लड़ाई का नतीजा है, यह कोई सुनियोजित साजिश है या फिर नेताओं कार्यकर्ताओं का सहज आक्रोश यह अभी स्पष्ट नहीं है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक में संगठन के आला नेताओं के सामने साफ कह दिया था कि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है। जिला बीजेपी अध्यक्ष कुर्सी से भी नहीं उठते। विजयवर्गीय ने चेतावनी के स्वर में कहा कि हमें यह सब जल्द ठीक करना होगा। लेकिन एक बात तो बिल्कुल साफ है कि संगठन नेतृत्व नाराज लोगों को मनाने में अभी तक ठीक से कामयाब नहीं रहा है। बीजेपी में अंदरखाने यह जुमला चल रहा है कि पार्टी 4 हिस्सों में बंटी है। ये है महाराज बीजेपी, शिवराज भाजपा, नाराज भाजपा और निराश भाजपा। इस कलह की पुष्टि संघ द्वारा पिछले दिनों कराए आंतरिक सर्वे से भी हो रही बताई जाती है, जिसके मुताबिक बीजेपी के वर्तमान 127 में से 51 विधायक हार सकते हैं। चर्चा यह भी है कि विधानसभा चुनाव में वर्तमान विधायकों में से एक तिहाई के टिकट काटे जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो आंतरिक घमासान और बढ़ेगा।
बीजेपी में आने वालों की गति धीमी, छोड़ने वालों की संख्या बढ़ी
जमीनी स्थिति यह है कि दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आने वालों की गति धीमी हो गई है, जबकि बीजेपी छोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मध्यप्रदेश बीजेपी को हाल में बड़ा झटका सागर जिले की नरियावली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक प्रदीप लारिया के भाई डॉ. हेमंत लारिया ने कांग्रेस में शामिल होकर दिया। प्रदीप लारिया के खिलाफ एक कोर्ट केस में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। इसके पहले पूर्व विधायक दीपक जोशी ने कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी में व्याप्त नाराजी का धमाका कर ही दिया था। हाल में हेमंत लारिया के अलावा बालाघाट की पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अनुभा मुंजारे, सतना के वरिष्ठ नेता सईद अहमद, अम्बाह जिला मुरैना के अभिनव छारी, मुरैना के महेश मावई, हरदा में मंत्री कमल पटेल की करीबी माने जाने वाली दीपक सारण, पूर्व विधायक राधेलाल बघेल और वेदांती त्रिपाठी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं तो बीजेपी के ही एक विधायक नारायण त्रिपाठी ने राज्य में अलग पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। अगर ये पार्टी बनी तो नुकसान बीजेपी को ही होना है।
बदले हालात में आक्रामक हो रही कांग्रेस
लिहाजा बदले हालात में कांग्रेस और आक्रामक होती जा रही है। इसका ताजा उदाहरण कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह पर हुआ व्यक्तिगत हमला है। इस हमले को मुंहतोड़ जवाब शिवराज के बजाय उनके पुत्र कार्तिकेय चौहान ने दिया। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के इस महासंग्राम में एक और नेता पुत्र कार्तिकेय की एंट्री इस बात का संकेत है कि सीएम शिवराज अब बुधनी की अपनी राजनीतिक विरासत अगली पीढ़ी को सौंपने का मानस बना रहे हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 मई को अपनी शादी की वर्षगांठ को लेकर एक वीडियो शेयर किया था। जिसमें सीएम शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह सिलबट्टा चलाते नजर आ रही हैं। साथ ही पास में कुछ महिलाएं चूल्हे पर रोटियां सेंकती और चूल्हा फूंकती दिख रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस नारी सम्मान योजना के तहत हर महिला को 1500 रुपए और 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने वादा कर रही है। कांग्रेस ने शिवराज के ट्वीट पर तंज कसा कि आदरणीय मामी जी! अब आपकी जल्द ही चूल्हा फूंकने की तकलीफ खत्म होने वाली है, क्योंकि कमलनाथ जी के मुख्यमंत्री बनते ही आपको भी 500 रुपये में गैस सिलेंडर मिलेगा।' इससे भड़के कार्तिकेय ने ट्वीट किया कि कांग्रेस रिश्तों की पवित्रता, प्रेम को नहीं समझती। हर बात में राजनीति देखती है। चरित्र शब्द की समझ कांग्रेस के नेताओं को कम है। यही नहीं कार्तिकेय ने कमलनाथ और उनके पुत्र और सांसद नकुलनाथ पर भी पलटवार करते हुए सिख दंगों का जिक्र किया। रणनीति साफ है कि बीजेपी अब कमलनाथ को सिख दंगों का आरोपी बनाकर घेरने की कोशिश कर रही है। हालांकि कमलनाथ इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं। उधर मतदाता का मानस भी बदलता लग रहा है। इशारा साफ है कि बीजेपी के लिए पांचवीं बार सत्ता में वापसी उतनी आसान नहीं है, जितनी कि 2 माह पहले तक लग रही थी। जबकि कांग्रेसी खेमे में अब ज्यादा जोश और उम्मीदें झलक रही हैं।