मध्य प्रदेश के मंत्रियों का गांव कनेक्शन कमजोर! चुनाव से पहले लोगों को जोड़ने के लिए धार्मिक आयोजनों की कवायद

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Atul Tiwari
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मध्य प्रदेश के मंत्रियों का गांव कनेक्शन कमजोर! चुनाव से पहले लोगों को जोड़ने के लिए धार्मिक आयोजनों की कवायद

हरीश दिवेकर, BHOPAL. मध्य प्रदेश में बीजेपी का सत्ता संगठन इस बात से परेशान है कि मंत्रियों का गांव कनेक्शन कमजोर हो गया है। मंत्री जनता तक भले ही ना पहुंच रहे हों, लेकिन जनता उन तक पहुंचे और अच्छी तादाद में पहुंचे, इसका इंतजाम उन्होंने कर लिया है। बहाना तो जनता से कनेक्शन बनाने का है, लेकिन इस बहाने कुछ नेताओं ने पार्टी के सामने अपने परिजनों की दावेदारी भी पेश कर दी है।



बीजेपी नेताओं के घर भागवत दरबार, कथा कराने की होड़ लगी



मध्य प्रदेश के मंत्रियों के यहां कहने को सभाएं धार्मिक हो रही हैं, लेकिन इनके बहाने सियासी पुण्यफल कमाने की कोशिश है। फल भी ऐसा जो ना सिर्फ उनकी सियासी नैया पार लगाए, बल्कि जरूरी हो तो उनके परिवार का सियासी भविष्य भी संवार दे। जनता से सीधे संपर्क साधने के लिए फिलहाल नेताओं को भागवत कथा कराना सबसे आसान तरीका लग रहा है। शिवराज कैबिनेट के मंत्री अपने अपने क्षेत्र में भव्य भागवत कथा करवा रहे हैं। कथाओं में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। ये भीड़ वोट में तब्दील हो या ना हो, लेकिन शक्ति  प्रदर्शन का हिस्सा तो बन ही रही है, जिसकी खातिर बीजेपी नेताओं में अब होड़ सी लग गई है। एक के बाद एक दिग्गज मंत्री और विधायक भागवत का पाठ करवा रहे हैं। ये रेस जितनी चौंकाने वाली है,त उससे ज्यादा चौंकाने वाले कुछ नेताओं के आमंत्रण पत्र हैं। 



भागवत कथा कराने में ये तीन मंत्री सबसे आगे



यूपी और गुजरात चुनाव का हाल देखने के बाद ये अंदाजा लगाना आसान था कि मध्य प्रदेश का चुनावी रण भी धार्मिक रंग से सराबोर होगा। भक्तों को महाकाल लोक की सौगात देकर बीजेपी अपने इरादे भी साफ कर चुकी थी कि अगले चुनाव में धर्म एक बड़ा मुद्दा होगा ही। पार्टी इस थीम पर और काम करती, उससे पहले ही पार्टी के मंत्री और विधायक दो कदम आगे निकल गए हैं। सार्वजनिक और पार्टी स्तर पर होने वाले आयोजनों से पहले मंत्री और विधायकों ने अपने घरों में ही धर्म का दरबार सजा लिया है। बड़े स्तर पर भागवत कराने में तीन मंत्री सबसे आगे रहे हैं- पहले गोपाल भार्गव, दूसरे भूपेंद्र सिंह और तीसरे कमल पटेल, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में बड़े आयोजन कर जनता को रिझाने के साथ ही अपनी ताकत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी इस रेस में पीछे नहीं रहे। कुछ ही समय पहले बीजेपी विधायक रमेश मंदोला भी कथा करवा चुके हैं। सिंधिया समर्थक जसपाल जज्जी बुरे दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन भागवत का आयोजन पहले ही करवा चुके हैं, जिसमें कई मंत्री भी शामिल हुए थे। गोविंद सिंह राजपूत भी नेपाली बाबा के साथ क्षेत्र की जनता से मुखातिब हो चुके हैं। कुल मिलाकर माहौल भक्तिमय बनाकर जनता से संपर्क साधा जा रहा है। कोशिश सिर्फ वोटर्स ने नाता जोड़ना है या कोई और भी राजनीतिक उल्लू इसके जरिए सीधा किया जा रहा है।



मंत्रियों के बड़े स्तर पर आयोजन, गिफ्ट भी बांटे



शिवराज कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ विधायक और मंत्री गोपाल भार्गव ने देशभर से 37 धर्मगुरु बुलवाकर कथा करवाई। 5 हजार महिलाओं को साथ में जोड़कर कलश यात्रा भी निकाली गई। गिफ्ट भी दिए गए। खुरई में कथा कराने के लिए मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कमल किशोर नागर को बुलवाया। कमल पटेल ने हरदा में कथा करवाई। जया किशोरी को बुलवाया। आखिरी  दिन सामूहिक विवाह भी करवाए। पूरे हरदा में इस आयोजन की चर्चा रही। खबर है कि कमल पटेल ने अगले साल भी कथा की बुकिंग कर ली है। कथा 6 अक्टूबर 2023 से शुरू होगी और वोटिंग के दिन तक चलेगी। सियासी गलियारों में ये तय माना जा रहा है कि इस कथाओं से सकारात्मक उम्मीद होने की वजह से ही मंत्री इस पर इतना समय और संसाधन दोनों खर्च कर रहे हैं।



कार्ड पर जो चेहरे छपे, उनकी सबसे ज्यादा चर्चा



कथा कराना और उसमें भीड़ जुटाना एक सियासी स्टंट हो सकता है, लेकिन इसमें जो चौंकाने वाली बात है वो हैं इनके आमंत्रण पत्र और आयोजन में सक्रिय चंद चेहरे। गोपाल भार्गव की कथा के इनविटेशन कार्ड पर उनके बेटे अभिषेक भार्गव का नाम और फोटो नजर आई। इसी तरह खबर है कि भूपेंद्र सिंह के आयोजन में उनकी पत्नी का नाम प्रमुखता से था। कमल पटेल के आयोजन मे भी परिवार की भागीदारी खूब नजर आई। सियासी जानकारों  की मानें तो इस तरह नेता अपनी सियासी विरासत के दावेदारों को भी लोगों से इंट्रड्यूस करवा रहे हैं।



कथाएं भले ही धार्मिक हों, लेकिन आयोजन पूरी तरह चुनावी हैं, जिसमें बीजेपी आगे नजर आ रही है। कांग्रेस भी इस रेस का हिस्सा बन जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी, क्योंकि ये कथा एक पंथ और बहुत सारे काज का जरिया बन रही है। मतदाताओं से कनेक्शन तो जुड़ ही रहा है, सत्ता और संगठन के सामने शक्ति प्रदर्शन भी पुरजोर तरीके से हो रहा है। जनता के बीच परिजन की पैठ बन रही है। हो सकता है कि आज नेता इनकार करें, लेकिन कल इसका सियासी लाभ लेने से चूकेंगे नहीं।


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