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संजय गुप्ता, INDORE. रंगवासा इंडस्ट्रियल एरिया में सवा तीन हेक्टेयर की जमीन पर बन रहा टॉय क्लस्टर की जमीन का खेल जांच के दायरे में तो आ गया है, लेकिन अब जांच जिस तरह से शुरू हो रही है, उसे लेकर नया राजनीतिक विवाद खड़ा होते दिख रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस जांच को एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा द्वारा 17 अक्टूबर को कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही एक महत्वाकांक्षी योजना के विरोध के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है।
सखलेचा ने कैबिनेट मीटिंग में कहा- योजना से केवल बंधुआ मजदूर बनेंगे
17 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक में सखलेचा ने सीएम द्वारा पिछड़ा वर्ग विभाग द्वारा ओबीसी के 200 छात्रों को जापान भेजकर ट्रेनिंग और नौकरी देने की योजना का विरोध किया था। उनका कहना था कि इस योजना से केवल बंधुआ मजदूर बनेंगे और केवल एक ही वर्ग के लिए क्यों योजना लाई जा रही है? सीएम ने सखलेचा को समझाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वह अड़ गए और आखिरकार योजना को सीएम ने रद्द करने का ही फैसला कर लिया।
मंत्री की प्रतिक्रिया- कलेक्टर सीएम की जांच करना चाहते हैं
जब द सूत्र के संवाददाता संजय गुप्ता ने मंत्री सखलेचा से मोबाइल पर क्लस्टर की जांच को लेकर सवाल किया तो वह बिफर गए। उन्होंने कहा कि पॉलाट आवंटन मैंने नहीं, कैबिनेट ने किया है। यदि वे यानी कलेक्टर सीएम के खिलाफ जांच करना चाहें तो बहुत अच्छी बात है, मैं उन्हें एप्रिशिएट करूंगा। जांच को लेकर सीएम से ही पूछिएगा। मैं इस पूरे मामले में क्यों पार्टी बनूं, मैंने तो चार हजार इंडस्ट्री लगा दीं, जिसमें 80 फीसदी निजी जमीन पर लगी हैं। जांच को लेकर सीएम से ही पूछिएगा।
आखिर भूमिपूजन के दो महीने बाद जांच क्यों?
27 अगस्त को इंदौर दौरे के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने इस टॉय क्लस्टर का भूमिपूजन वर्चुअली किया था। इसके ठीक एक महीने पहले जुलाई के अंत में सभी 20 प्लॉटधारकों की रजिस्ट्री उद्योग विभाग द्वारा करा दी गई। सभी रजिस्ट्री एक ही दिन 29 जुलाई को कराई गईं। इसके बाद से ही प्लॉट आवंटन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। खासकर सीएम के भूमिपूजन के बाद तो इसमें और आरोप लग रहे हैं कि उद्योग विभाग के कुछ लोगों ने और एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के नाम पर बनी एसोसिएशन के डायरेक्टरों ने मिलकर इसमें खेल किया और खुद अपने व अपनी अलग कंपनियों के डायरेक्टरों के नाम पर एक से ज्यादा प्लॉट ले लिए।
कलेक्टर मनीष सिंह ने दिए जांच के आदेश
क्लस्टर में जमीन आवंटन के खेल को लेकर लगातार आरोप लग रहे हैं। द सूत्र ने 16 सितंबर को इसकी पूरी न्यूज दी थी कि किस तरह से जमीन आवंटन में कुछ लोगों ने मिलकर 50 करोड़ का खेल कर लिया। 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान की समीक्षा करते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने जिला महाप्रबंधक आर मंडलोई को अचानक आदेश दिए कि वह खिलौना क्लस्टर के प्लॉट आवंटन की जांच करना है, इसमें एसडीएम अंशुल खरे की मदद लीजिएगा, पूरी जांच करना है।
क्या जांच भोपाल से निर्देशित हुई है?
जिस तरह से भूमिपूजन के दो माह बाद यह जांच बैठी है, उससे जानकारों को लग रहा है कि कहीं यह जांच भोपाल से तो निर्देशित नहीं हुई। जिस तरह मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान की बैठक के दौरान जांच के आदेश दिए, फिर जमीन आवंटन की जांच के आदेश संबंधी न्यूज भी जनसंपर्क से अलग से जारी हो जाती है और इसमें जिला पंचायत सीईओ वंदना शर्मा को नोडल अधिकारी बनाया जाता है। फिर थोड़ी देर में कलेक्टर इंदौर के ऑफिशियली ट्विटर पर भी यह प्रेस नोट जारी कर दिया जाता है। यानी इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि न्यूज कहीं से भी मीडिया से मिस नहीं हो।
लेदर टॉय वाले कर रहे हैं आवंटन धांधली की शिकायतें
इस मामले में लेदर टॉय एसोसिएशन द्वारा भी धांधली की शिकायतें की गई है। एसोसिएशन के पदाधिकारी पन्नालाल वानपूरे का कहना है कि हमारे पास जियो टैगिंग है, लेकिन इसके बाद भी हमारे किसी भी मैन्युफैक्चरर्स को प्लॉट नहीं दिए गए। इसकी हमने शिकायत की है। बीजेपी वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे को भी ज्ञापन देकर पूरी स्थिति बताई थी।
बात वो नहीं जो दिख रही है...
मंत्री सखलेचा का नाराज होना बहुत कुछ संकेत देता है। दूसरी तरफ कलेक्टर ने जांच के आदेश अचानक दे दिए। अब सवाल यही पूछा जा रहा है कि क्या भोपाल में बैठे हुक्मरानों के निर्देश पर ये आदेश दिए। सबसे अहम बात ये कि कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि मीडिया की नजरों से ये खबर ना चूके। जनसंपर्क की साइट पर पर ये खबर जारी हुई। इसके बाद इंदौर कलेक्टर के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से बाकायदा प्रेसनोट जारी हुआ। यानी जांच की खबर मीडिया की सुर्खियां बने, इसकी पूरी कोशिश हुई। लिहाजा सवाल उठ रहा है कि टॉय क्लस्टर में हुई धांधली के मामले की जांच प्रशासनिक है या सियासी?
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