एमपी के स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही! प्राइमरी टीचर्स के खाली पदों के सिर्फ 5% पर ही भर्ती, वजह- वित्त विभाग की परमिशन नहीं ली

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Atul Tiwari
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एमपी के स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही! प्राइमरी टीचर्स के खाली पदों के सिर्फ 5% पर ही भर्ती, वजह- वित्त विभाग की परमिशन नहीं ली

राहुल शर्मा, Bhopal. कहा जाता है कि एक योग्य शिक्षक, मजबूत समाज को खड़ा करता है। अच्छी एजुकेशन की पहली सीढ़ी प्राथमिक शिक्षा होती है, पर मध्यप्रदेश में होने जा रही प्राथमिक शिक्षक भर्ती विवादों में घिरी है। प्राथमिक शिक्षक भर्ती सिर्फ 18 हजार 527 पदों पर हो रही है। 17 नवंबर से अभ्यर्थी डाक्यूमेंट अपलोड कर सकेंगे। इधर पात्रता परीक्षा पास हजारों अभ्यर्थी बीते एक माह से सोशल मीडिया पर 18 हजार की जगह 51 हजार पदों पर भर्ती की मुहिम छेड़े हुए है। रैलियां भी निकाली जा रही हैं, पर इस मुहिम का कोई खास असर नहीं होने वाला। कारण यह कि स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों का सोते रहना। दरअसल विभाग रिक्त पदों के 5 प्रतिशत से ज्यादा पर नियुक्ति देने से पहले वित्त विभाग से अनुमति लेता है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने यह अनुमति नहीं ली या अनुमति लेने के सही प्रयास ही नहीं किए। नतीजा- स्कूल शिक्षा विभाग रिक्त पदों का 5 प्रतिशत यानी 7 हजार 429 पदों पर ही भर्ती कर रहा है। ठीक इसके उलट ट्राइबल विभाग ने वित्त विभाग से अनुमति लेकर 5 प्रतिशत से ज्यादा 11098 पदों पर नियुक्ति निकाल दी। समय पर वित्त विभाग से अनुमति नहीं लेने से स्कूल शिक्षा विभाग भर्ती पदों में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकेगा। इस संबंध में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से संपर्क करना चाहा तो गुजरात चुनाव में व्यस्त होने से उनसे संपर्क नहीं हो सका। वहीं विभाग की पीएस रश्मि अरुण समी और आयुक्त अभय वर्मा ने ना तो कॉल रिसीव किया और न ही मैसेज का कोई रिप्लाई दिया।    





पहले समझिए क्या है 5 प्रतिशत भर्ती का नियम





मध्य प्रदेश में साल 2019 से सीधी भर्ती पर रोक थी। 14 अगस्त 2021 को सरकार ने इस पर लगी रोक हटा दी। नए आदेश के अनुसार विभाग अपने स्तर पर रिक्त पदों में से पांच प्रतिशत पर खुद भर्ती कर सकेंगे, इसमें पदोन्नति के पद भी शामिल है। वहीं इस संख्या से ज्यादा पद भरने के लिए उन्हें वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी। प्राथमिक शिक्षकों के प्रदेश में करीब सवा लाख पद खाली है। वहीं, जनजाति एवं अनुसूचित जाति विभाग के अंतर्गत 49 हजार 567 पद रिक्त हैं। इसके बावजूद ट्राइबल विभाग में 11 हजार और स्कूल शिक्षा विभाग में महज 7429 पदों पर भर्ती इसलिए हो रही है, क्योंकि ट्राइबल विभाग ने समय रहते वित्त विभाग से अनुमति ली और स्कूल शिक्षा विभाग सोता रहा या जो प्रयास किए, वे काफी नहीं थे। 





जिला रोस्टर लागू होने से भी हुआ नुकसान





प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में जिला रोस्टर लागू किया गया है। इससे जनरल, ओबीसी, एससी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के योग्य अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता देखना पड़ रहा है। अभ्यर्थी शिवम शर्मा ने कहा कि जब परीक्षा राज्य स्तर पर की गई है तो जिला स्तर का रोस्टर क्यों लागू किया जा रहा है। जब परीक्षा राज्य स्तर की है तो रोस्टर भी राज्य स्तर का लागू होना चाहिए। जिस केटेगरी को राज्य स्तर पर जितना आरक्षण है.. उतना आरक्षण उस केटेगरी को मिलना चाहिए। 





सत्ताधारी दल को वोट नहीं देने की युवा खा रहे कसम





नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य राधे जाट ने मांग की है कि भर्ती के 18 हजार पदो को बढ़ाकर 51 हजार किए जाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा योग्य उम्मीदवारों को मौका मिल सके। सरकार आंकड़ों की बाजीगरी कर बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है। युवा जगह-जगह बीजेपी को वोट नहीं देने की कसम खा रहे है।





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    स्कूल शिक्षा : 7429 पदों पर भर्ती हो रही है। इसमें अनरिज्वर्ड कैटेगरी के लिए 2016 (27.51%), एसटी वर्ग के लिए 1989(26.79%), एससी के लिए 1261(16.98%), ओबीसी के लिए 1534(20.66%) और ईडब्ल्यूएस कैटेगिरी के लिए 629 (8.47%) पद आरक्षित किए गए है। 





    ट्राइबल : 11098 पदों पर भर्ती हो रही है। इसमें अनरिज्वर्ड कैटेगरी के लिए 972 (8.75%), एसटी वर्ग के लिए 8093(72.92%), एससी के लिए 695 (6.26%), ओबीसी के लिए 1174 (10.57%) और ईडब्ल्यूएस कैटेगिरी के लिए 164 (1.47%) पद आरक्षित किए गए है। 





    बैकलाग पदों को भी किया शामिल





    स्कूल शिक्षा विभाग और ट्राइबल विभाग कुल 18 हजार पदों पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती कर रहा है। यह भर्ती शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की मेरिट के आधार पर होगी। ट्राइबल विभाग के अधिक पद होने से एसटी वर्ग के लिए 8 हजार 93 पद आरक्षित है। वहीं स्कूल शिक्षा विभाग में एसटी वर्ग के लिए 1989 पद आरक्षित है। ऐसे में अकेले एसटी वर्ग के लिए 18 हजार में से 10 हजार पद आरक्षित है। हालांकि इनमे बैकलॉग के पदों को भी एडजस्ट किया गया है। 





    जीएडी ने वित्त को नया प्रस्ताव भेजा पर स्वीकृति मिलना आसान नहीं





    युवाओं को रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक साल में एक लाख रिक्त पदों पर भर्ती की घोषणा की है। इस स्थिति को देखते हुए भर्ती नियम में एक बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार किया गया। इसके तहत केवल एक बार के लिए विभागों को निर्धारित सीमा से अधिक पदों पर भर्ती की अनुमति दिए जाने का प्रस्ताव शामिल है। सामान्य प्रशासन विभाग यानी जीएडी ने इस संबंध में वित्त विभाग को प्रस्ताव  भेज भी दिया है, पर इस पर स्वीकृति मिलना इतना आसान नहीं है। इसके पीछे प्रदेश का वित्तीय संकट है।  





    क्या सरकार का ट्राइबल एरिया में ज्यादा फोकस?





    प्रदेश के वित्तीय संकट की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में ट्राइबल डिपार्टमेंट को 5 प्रतिशत से अधिक पदों पर भर्ती की वित्त से स्वीकृति मिलने के पीछे सरकार का ट्राइबल एरिया पर ज्यादा फोकस बताया जा रहा है। चुनावी साल है...और सरकार ट्राइबल एरिए में कोई भी नुकसान नहीं उठाना चाहती। ट्राइबल स्कूल में तो पर्याप्त भर्तियां हो रही है, जो एक तरह से ठीक भी है, पर स्कूल शिक्षा विभाग ने सिर्फ 20 जिलों में पद निकाले हैं, वहीं 32 जिलों में भर्तियां नहीं निकाली, इस पर जिम्मेदार न तो ध्यान दे रहे हैं और न ही सवाल का जवाब। क्या इन जिलों में पर्याप्त योग्य शिक्षकों की जरूरत नहीं है। 





    कम अंक आने पर भी एसटी वर्ग के ज्यादा कैंडिडेट होंगे सिलेक्ट





    प्रदेश में हुई प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में करीब 6 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी, जिसमे से करीब सवा लाख कैंडिडेट्स पास हुए। पात्रता परीक्षा होने से परीक्षा के समय पदों की कहीं कोई जानकारी नहीं दी गई। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीणा घाणेकर ने बताया कि इससे एसटी वर्ग की मेरिट कम अंक की आएगी और अन्य कैटेगिरी की मेरिट हाई जाएगी। इससे होगा ये कि 72 अंक वाले को जॉब मिल जाएगी और एक वर्ग विशेष के अभ्यर्थियों को कम अंक में भी जॉब मिल जाएगी। इसके बीच के अंक वाले सभी योग्य उम्मीदवार जॉब पाने से रह जाएंगे।



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