BHOPAL/INDORE. मध्य प्रदेश में सीमेंट सप्लाई चेन किस तरह एयर पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार है, यह हमने आपको पहली कड़ी में बताया था। अब आप और हम जहां सांस ले रहे हैं, वहां हवा कितनी शुद्ध है, जब आप इसके बारे में जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। शुरुआत की मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करते हैं। यहां पुराने शहर में एक हार्डवेयर की दुकान है। इस दुकान को युवा व्यवसायी मीतेश शाह (38) चलाते हैं। दुकान के एक हिस्से को पॉलिथीन से कवर किया हुआ है। कारण- मीतेश को सांस लेने में दिक्कत होती है। मीतेश ने बताया कि इस पूरे इलाके में बस धूल के गुबार ही उड़ते रहते हैं, जिससे यहां अधिकांश लोगों को सर्दी-खांसी जैसी समस्या रहती है। पहले पूरी दुकान को पॉलिथीन से कवर किया था, पर ग्राहकों की दिक्कत को देखते हुए अब इसे सिर्फ खुद के बैठने की जगह पर लगा लिया है। इसके बावजूद मीतेश सांस की बीमारी की चपेट में आ गए।
भोपाल में मेट्रो और फ्लाईओवर का निर्माण लोगों की परेशानी बढ़ा रहा
एयर पॉल्यूशन की वजह कई होती है, लेकिन भोपाल में बढ़े पार्टिकुलेट मैटर की मुख्य वजह यहां चल रहे मेट्रो और फ्लाईओवर जैसे बड़े निर्माण कार्य हैं। सीवेज, गैस और पानी की पाइप लाइन बिछाने बार-बार सड़कें खोदी गई जिससे धूल के गुबार रह रहकर उठते रहते हैं। एमपी के इस खूबसूरत शहर में सुबह से लेकर रात तक अलग—अलग लोकेशन पर PM2.5 की वैल्यू 101 से लेकर 143 µg/m³ तक और PM10 की वेल्यू 130 से लेकर 190 µg/m³ तक रहती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) भोपाल के क्षेत्रीय अधिकारी बृजेश शर्मा इसके लिए निर्माण एजेंसी नगर निगम और पीडब्ल्यूडी को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके अनुसार इन एजेंसियों का काम है कि वह ऐसी व्यवस्था करे जिससे निर्माण से धूलकण ना उड़ें।
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वाहनों के प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं ट्रैफिक पुलिसकर्मी
एयर पॉल्यूशन की चपेट में आने वाले भोपाल के मीतेश शाह अकेले नहीं है, सीमेंट सप्लाई चेन में मजदूरों की तरह ही चौक चौराहों पर अपनी ड्यूटी करते हुए ट्रेफिक पुलिस के जवान भी हर रोज अपनी सेहत को दांव पर लगा रहे हैं। इंदौर के रेडिसन चौराहे पर तैनात यातायात पुलिसकर्मी की आंखों में जलन होती है। इसकी वजह हैवी ट्रेफिक के चलते बढ़ा एयर पॉल्यूशन है, लेकिन वे ये बात किसी से कह नहीं सकते। यातायात पुलिस अधिकारी अजय मार्को कहते हैं कि हम बोल नहीं सकते कि पॉल्यूशन का असर पड़ रहा है। विजयनगर में नाइट्रोजन डॉइआक्साइड की वैल्यू मापी गई तो NO₂ की वैल्यू 208 µg/m³ मिली, जो विस्फोटक है, हालांकि सुबह 10.30 बजे इतनी ज्यादा वैल्यू के पीछे अत्यधिक ट्रैफिक को ही एक कारण माना जा सकता है।
इंदौर में 21 लाख से ज्यादा वाहन, यही दिक्कत की वजह
जम्मू में रहने वाले रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. अश्विन वांगनू इसके लिए बढ़ते ट्रैफिक को जिम्मेदार मानते हैं। इंदौर की जनसंख्या भले ही करीब 35 लाख है, लेकिन यहां पर वाहनों की संख्या 21 लाख से ज्यादा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसमें भी करीब चार लाख वाहन ऐसे है, जो 15 साल की उम्र पूरी कर चुके है। इनसे निकलने वाले धुएं से यहां लगातार NO₂ की मात्रा बढ़ रही है।
(This story was produced with support from Internews’ Earth Journalism Network.)