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संजय गुप्ता, INDORE. जबलपुर हाईकोर्ट ने पीएससी की राज्य सेवा परीक्षा-2019 में इंटरव्यू के लिए क्वालीफाइ 140 उम्मीदवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीएससी को साफ निर्देश दिए कि वह इस मामले में अगले मंगलवार यानी 22 नवंबर तक अपना जवाब प्रस्तुत कर दें। ऐसा नहीं करने पर वह इस परीक्षा को लेकर चल रही प्रक्रिया पर स्टे कर देंगे। हाईकोर्ट के सामने उम्मीदवारों की ओर से वरिष्ठ वकील नमन नागरथ ने साफ कहा कि पीएससी को जवाब देने के लिए जो भी समय लेना है ले। लेकिन पहले प्रक्रिया पर स्टे हो, क्योंकि यह दो बातें साथ नहीं हो सकतीं कि पीएससी दोबारा परीक्षा की प्रक्रिया भी चलने दें और अपना जवाब भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत नहीं करें।
ये रखे गए तर्क
वरिष्ठ वकील नागरथ और वकील आकाश ललवानी ने कोर्ट को चार्ट द्वारा बताया कि साल 2019 की परीक्षा और साल 20121 की परीक्षा के सिलेबस में अंतर है। उम्मीदवारों के लिए यह पूरी प्रक्रिया कठिनाई भरी हो रही है। पहले आपने लिखित परीक्षा ली और फिर इंटरव्यू के लिए जल्दबाजी कर उम्मीदवारों से सभी दस्तावेज ले लिए। जब अप्रैल 2022 में हाईकोर्ट का फैसला आया। इसके बाद भी अक्टूबर 2022 में जाकर इन्होंने पुराने रिजल्ट रद्द कर नए संशोधित रिजल्ट जारी किए और इस सब में छह माह का लंबा समय लिया। यहां उम्मीदवार अपने जीवन की कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और उनका हर दिन कीमती है। वह बड़े पद पर भी जा सकते हैं और असफल भी हो सकते हैं। ऐसे में पीएससी फैसलों में देरी नहीं कर सकता है। सभी तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने ये निर्देश दिए।
18 नवंबर को एक अन्य याचिका पर सुनवाई
उधर एक और याचिका हाईकोर्ट जबलपुर में लगी है, जिसमें 7 अप्रैल 2022 को दिए गए फैसले की व्याख्या कुछ उम्मीदवारों द्वारा चाही गई है। अभ्यर्थियों का कहना है कि रोस्टर नियमों की व्याख्या हमने याचिका में चाही है, क्योंकि ऐसा हाईकोर्ट में कहीं नहीं कहा गया था कि पूरा रिजल्ट रद्द कर फिर से परीक्षा ली जाए। इसी को लेकर वरिष्ठ वकील नागरथ इसमें भी उम्मीदवारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं। सभी मुद्दों को जोड़कर हाईकोर्ट जबलपुर इसमें सीधे पीएससी को कोई निर्देश जारी कर सकता है, ऐसी उम्मीद सभी पक्षकार द्वारा की जा रही है।