INDORE संजय गुप्ता. मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की परीक्षाओं और रिजल्ट से संकट कम होते नहीं दिख रहा है। राज्य सेवा परीक्षा 2019 की भर्ती प्रक्रिया अभी कानूनी विवाद में चल ही रही है, साल 2020 की परीक्षा पर आयोग खुद ही फैसला नहीं कर पा रहा है और अब आयोग द्वारा 2019 व 2021 की परीक्षाओं के नए 87-13 फीसदी का फार्मूले से घोषित किए गए रिजल्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसे खारिज करने को लेकर भी अभ्यर्थियों की याचिकाएं इंदौर हाईकोर्ट बेंच में दायर हो गई है। इस मामले में मंगलवार छह दिसंबर को सुनवाई होना है।
यह है विवाद
याचिका लगाने वाले अभ्यर्थियों के वकील विभोर खंडेलवाल का कहना है कि 87-13 फीसदी के फार्मूले से बना रिजल्ट असंवैधानिक है। 87 फीसदी रिजल्ट तो ठीक है, लेकिन जब 13 फीसदी के लिए आयोग ने प्रोवीजनल रिजल्ट जारी किया तो यह उन्होंने अनारक्षित वर्ग व ओबीसी वर्ग में बांटने की जगह सामान्य और ओबीसी वर्ग के हिसाब से बांट दिया और इसी कैटेगरी के हिसाब से प्रोवीजनल रिजल्ट जारी किया, जबकि अनारक्षित कैटेगरी के हिसाब से इसमें मेरिट में ऊपर आने वाले ओबीसी, एसटी-एससी सभी वर्ग को लेना था। इसलिए यह घोषित रिजल्ट ही गलत है।
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यह है फार्मूला
हाईकोर्ट में ओबीसी का आरक्षण 14 या 27 फीसदी रखने को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है। मप्र शासन ने सितंबर में हाईकोर्ट के अंतरिम निर्देश के तहत सौ फीसदी पदों में से 87 फीसदी पद तो 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ जारी करने का सुझाव पीएससी को दिया और शेष 13 फीसदी पद अनारक्षित और ओबीसी दोनों के लिए मान्य करते हुए प्रोवीजनल रिजल्ट जारी करने के लिए कहा। यानि 13 फीसदी पद पर अनारक्षित का प्रोवीजनल रिजल्ट बना और साथ ही 13 फीसदी पदों के लिए ओबीसी का भी प्रोवीजनल रिजल्ट जारी किया गया। शासन और पीएससी की मंशा है कि हाईकोर्ट से यदि ओबीसी के पक्ष में फैसला होता है तो ओबीसी के लिए जारी 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट को मान्य कर मूल रिजल्ट में शामिल कर लिया जाएगा और यदि ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी ही रखने का फैसला होता है तो अनारक्षित वर्ग के लिए जारी 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट को मान्य कर इसमें पास अभ्यर्थियों को मूल रिजल्ट में शामिल किया जाएगा।
अक्टूबर में जारी किया था रिजल्ट
इस फार्मूले के आधार पर पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 की प्री का रिजल्ट फिर जारी किया और लिखित परीक्षा फिर से जनवरी 2023 में कराने की घोषणा कर दी ( इसमें रोस्टर नियम का भी विवाद था, जिसे हाईकोर्ट में खारिज होने से पीएससी ने इसकी लिखित परीक्षा दोबारा कराने का फैसला लिया)। यह रिजल्ट 87-13 फीसदी के फार्मूले से जारी हुआ। इसी तरह आयोग ने कुछ अक्टूबर में ही राज्य सेवा परीक्षा 2021 की प्री का रिजल्ट भी इसी फार्मूले से जारी कर दिया, जिसकी मुख्य परीक्षा भी 2023 में होना है। वहीं राज्य सेवा परीक्षा 2020 की भी प्री और लिखित दोनों आयोग पहले ही ले चुका है लेकिन अब इसका रिजल्ट किस तरह जारी हो, लिखित दोबारा ली जाए या नहीं, इसे लेकर अभी भी आयोग विचार कर रहा है और विधिक सलाह ले रहा है, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
इधर हाईकोर्ट ने रखा हुआ है आर्डर रिजर्व
इधर राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और आर्डर रिजर्व पर रखा हुआ है। इसमें पूर्व लिखित परीक्षा में पास हो चुके 1918 अभ्यर्थियों की ओर से याचिका लगी है, इनका कहना है कि जब एक बार वह परीक्षा पास कर इंटरव्यू के लिए क्वालीफाइ हो चुके हैं तो फिर उनकी दोबारा परीक्षा लेने की जरूरत ही नहीं है, ऐसे में केवल दूसरे रिजल्ट में पास हुए अतिरिक्त अभ्यर्थियों की ही अतिरिक्त लिखित परीक्षा ली जाए ना कि सभी की। इसमें किसी भी दिन हाईकोर्ट का आर्डर जारी हो सकता है।
चार साल से भर्ती की राह तक रहे अभ्यर्थी
साल 2018 में पीएससी से अंतिम बार डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे अधिकारी चयनित हुए थे। इसके बाद से मप्र शासन में राज्य सेवा अधिकारियों की भर्ती नहीं हुई है। साल 2019, 2020, 2021 और 2022 में राज्य सेवा भर्ती प्रक्रिया के लिए इंटरव्यू नहीं हुए और ना ही अंतिम भर्ती पूरी हो सकी है।