मध्य प्रदेश PSC के 87-13 के फॉर्मूले से घोषित रिजल्ट पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, 8 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई

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Shivasheesh Tiwari
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मध्य प्रदेश PSC के 87-13 के फॉर्मूले से घोषित रिजल्ट पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, 8 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई

संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) ने 2019 व 2021 की परीक्षाओं का रिजल्ट 87-13 फीसदी के फार्मूले से घोषित किया है। घोषित रिजल्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसे खारिज करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट इंदौर में याचिका लगी है। इसकी सुनवाई आज यानी 6 दिसंबर को हुई। उम्मीदवारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने पक्ष रखा। साथ में वकील विभोर खंडेलवाल भी उपस्थित रहे। उनका पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में पीएससी से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।





यह रखे गए पक्ष





जानकारी के अनुसार इसमें उम्मीदवारों की ओर से पक्ष रखा गया कि जो 13 फीसदी रिजल्ट के लिए प्रोवीजनल सूची बनाई गई है, वह पूरी तरह से अंसैवाधिनक है। क्योंकि इसे अनारक्षित कैटेगरी की जगह सामान्य वर्ग के लिए बना दिया गया है। इसमें मेरिट के   हिसाब से नंबर लाने वाले एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। इस तरह आरक्षण नीति को लागू नहीं किया गया है, ऐसे में यह रिजल्ट असंवैधानिक है। उल्लेखनीय है कि रिजल्ट जारी करने के बाद ही पीएससी ने कैविएट दायर कर दी थी, इसके चलते इसमें अब पहले पीएससी का पक्ष सुना जाएगा, इसके बाद ही हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में कोई निर्देश जारी किया जाएगा। आयोग ने इस फार्मूले से राज्य सेवा परीक्षा 2019, राज्य सेवा परीक्षा 2021 के साथ ही वन सेवा और अन्य परीक्षाओं के भी रिजल्ट बीते दो माह में जारी किए हैं।





यह है विवाद का फार्मूला





हाईकोर्ट में ओबीसी का आरक्षण 14 या 27 फीसदी रखने को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है। मप्र शासन ने सितंबर में हाईकोर्ट के अंतरिम निर्देश के तहत सौ फीसदी पदों में से 87 फीसदी पद तो 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ जारी करने का सुझाव पीएससी को दिया और शेष 13 फीसदी पद अनारक्षित और ओबीसी दोनों के लिए मान्य करते हुए प्रोवीजनल रिजल्ट जारी करने के लिए कहा। यानी 13 फीसदी पद पर अनारक्षित का प्रोवीजनल रिजल्ट बना और साथ ही 13 फीसदी पदों के लिए ओबीसी का भी प्रोवीजनल रिजल्ट जारी किया गया। शासन और पीएससी की मंशा है कि हाईकोर्ट से यदि ओबीसी के पक्ष में फैसला होता है तो ओबीसी के लिए जारी 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट को मान्य कर मूल रिजल्ट में शामिल कर लिया जाएगा और यदि ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी ही रखने का फैसला होता है तो अनारक्षित वर्ग के लिए जारी 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट को मान्य कर इसमें पास उम्मीदवारों को मूल रिजल्ट में शामिल किया जाएगा।



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