संघ प्रमुख भागवत 17 दिन में दूसरी बार मप्र आ रहे, पहले बुरहानपुर और फिर जबलपुर जाएंगे, जानें RSS के लिए क्यों अहम है देश का दिल

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Atul Tiwari
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संघ प्रमुख भागवत 17 दिन में दूसरी बार मप्र आ रहे, पहले बुरहानपुर और फिर जबलपुर जाएंगे, जानें RSS के लिए क्यों अहम है देश का दिल

BHOPAL. मध्य प्रदेश में इस साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। 15 महीनों को छोड़ दें तो 2003 से लगातार प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार काबिज है। सत्ता में बने रहने के लिए पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कवायद शुरू कर दी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत 17 दिन में दूसरी बार मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। इस बार वे कल यानी 16 अप्रैल को बुरहानपुर जा रहे हैं, 18 अप्रैल को जबलपुर पहुंचेंगे। भागवत 31 मार्च को भोपाल में शहीद हेमू कालाणी जन्मशताब्दी समारोह में शामिल हुए थे।  



बुरहानपुर में ये कार्यक्रम



भागवत बुरहानपुर में गोविंद महाराज समाधि का लोकार्पण करेंगे। दरअसल, 1933 में RSS की पहली शाखा यहीं से शुरू हुई थी। इसे लेकर संघ और बीजेपी नेताओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। माना जा रहा है कि वे यहां खंडवा-बुरहानपुर के संतों के साथ बैठक और धर्म-संस्कृति सभा को संबोधित कर सकते है। भागवत महाजना पेठ स्थित गोविंदनाथ महाराज की समाधि स्थल और ताप्ती नदी के किनारे बसे भगवान श्रीराम दरबार प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान बद्रीकेश्वर धाम के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद महाराज, भारतीय संत समिति के स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, देवनाथ मठ के स्वामी जितेंद्रनाथ महाराज और श्रीमंत राजे मुधोजी भोंसले समेत कई संत कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।



बुरहानपुर के बाद जबलपुर जाएंगे भागवत



भागवत 18 अप्रैल को जबलपुर दौरे में रहेंगे। वे यहां राम कथा और संत समागम में शामिल होंगे। इसके बाद वे स्वामी श्यामदेवाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जबलपुर पहुंचेंगे। 



संघ के लिए मध्य प्रदेश इसलिए अहम



जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश में 2023 का चुनाव हिंदुत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। इसके लिए संघ ने चाक-चौबंद तैयारी कर ली है। इसकी एक वजह ये भी है कि 2018 में बीजेपी चुनाव हार गई थी, हालांकि 15 महीने बाद सरकार बनाने में कामयाब हो गई। इस बार बीजेपी-संघ के केंद्र में हिंदुत्व ही है। उज्जैन के महाकाल लोक के बाद ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित किया जाना, राम पथगमन (वनवासी राम लोक) व ओरछा में राम लोक, सीहोर में सलकनपुर और मैहर में मां शारदा लोक डेवलप करने का प्लान है। ओरछा, सलकनपुर और वनवासी राम लोक के लिए 250 करोड़ का बजट रखा है।



मध्यप्रदेश में इन दिनों 'कथा पॉलिटिक्स' चल रही है। टिकट पाने से लेकर वोटर्स को जोड़ने के लिए नेता कथाओं का सहारा ले रहे हैं। बड़े कथावाचकों की कथाएं करा रहे हैं। लेकिन अब इन पर भी जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस के सीनियर लीडर और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बीजेपी का प्रचारक बता दिया। इधर, सतना जिले के मैहर में 3 मई से 7 मई तक होने वाली पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा कैंसिल हो गई है। कथा का आयोजन बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने किया था। त्रिपाठी अब अपनी पार्टी बना चुके हैं। उधर, पंडित प्रदीप मिश्रा ने अब तक छिंदवाड़ा में कथा के लिए कमलनाथ को समय नहीं दिया है।       



मध्य प्रदेश में आदिवासी भी बड़ा फैक्टर



मध्य प्रदेश में आदिवासी आबादी को लेकर भी बीजेपी चौकस है। वजह है जय युवा आदिवासी संगठन यानी जयस का सक्रिय होना। सितंबर 2021 में अमित शाह जबलपुर आए थे और गोंड शहीद शंकर शाह-रघुनाथ शाह के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसके बाद 15 नवंबर 2021 (बिरसा मुंडा जयंती के दिन) को प्रधानमंत्री नरेंद्र  ने भोपाल के हबीबगंज स्टेशन को रानी कमलापति के नाम से लोकार्पित किया। जानकारों का कहना है कि संघ के केंद्र में घूमंतू, अर्धघूमंतू, घुमक्कड़ (आदिवासी) जातियां हैं। संघ की फिलॉसफी है कि हम सब एकरक्त (हिंदू और आदिवासी) हैं। मध्य प्रदेश में 82 विधानसभा सीटें एससी-एसटी (दलित-आदिवासी) के लिए आरक्षित हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जिस भी पार्टी ने इस खेमे को जीत लिया, वो सत्ता पा लेता है। 



बीजेपी का हिंदुत्व का एजेंडा बरकरार 



भागवत का हिंदू कार्यक्रमों में शिरकत करना दिखाता है कि हिंदुत्व, संघ और बीजेपी के एजेंडे में शामिल है। इसी अप्रैल में बीजेपी नेता राहुल कोठारी भोपाल में देवकीनंदन ठाकुर की कथा करा चुके हैं। मार्च में पनागर विधायक (जबलपुर) सुशील तिवारी (इंदु) बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री की कथा करा चुके हैं। वहीं, जबलपुर केंट से बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी ने भी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराई थी।  हरदा में कमल पटेल ने जया किशोरी की कथा करवाई। गढ़ा कोटा (सागर) में मंत्री गोपाल भार्गव ने राजेंद्रदास देवाचार्य की कथा करवाई थी। 



बीजेपी को देखकर कांग्रेस भी पीछे नहीं



जबलपुर में विधायक तरुण भनोट जया किशोरी की कथा करवा चुके हैं। बदनावर में कांग्रेस नेता शरद सिसोदिया, इंदौर के कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला और देपालपुर से कांग्रेस विधायक विशाल पटेल भी प्रदीप मिश्रा की कथा करा चुके हैं।



कांग्रेस की भी भगवा चोला ओढ़ने की तैयारी



अप्रैल में भोपाल में कांग्रेस कार्यालय भगवामय दिखाई दिया। मौका था कांग्रेस का पुजारियों और धर्माचार्यों की धर्म संसद का। कांग्रेस के भगवामय होने के पीछे कांग्रेस के पुजारी प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित की गई धर्म संसद थी। जिसमें प्रदेश के तमाम जिलों से मंदिरों के पुजारियों धर्म आचार्यों संतो को बुलाया गया था। इसी धर्म संसद के चलते कांग्रेस कार्यालय को पूरी तरह भगवामय कर दिया गया था। अपनी पिच पर कांग्रेस को बैटिंग करते देख बीजेपी ने इसे 2023 के लिए कांग्रेस का चुनावी स्वांग करार दिया। कमलनाथ ने कहा था, "क्या भगवा ट्रेडमार्क बीजेपी का है, उन्होंने ठेका लिया हुआ है? हम सब में धार्मिक भावनाएं हैं, पर हम इसे राजनैतिक मंच पर नहीं लाते।  जब हम मंदिर जाते हैं, इनको पेट में दर्द होता है।


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