BHOPAL. मध्य प्रदेश में 10 मई को तीन आईएएस अफसरों के ट्रांसफर किए गए। सरकार ने इसका ऑर्डर जारी कर दिया है। 2009 बैच के अफसर मनीष सिंह राज्य के नए जनसंपर्क कमिश्नर बनाए गए हैं। वहीं, राघवेंद्र कुमार सिंह खनिज विभाग के प्रमुख सचिव बनाए गए हैं। दिल्ली से प्रतिनियुक्ति से वापस लौटने पर नवनीत कोठारी को एमपीआईडीसी का एमडी बनाया गया है।
किसको कहां प्रभार मिला?
मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के MD मनीष सिंह को मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग का आयुक्त बनाया गया है। उनके पास मध्यप्रदेश माध्यम और MP मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का अतिरिक्त प्रभार भी रहेगा।
जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त तथा मध्यप्रदेश माध्यम के प्रबंध संचालक राघवेंद्र कुमार सिंह को प्रमुख सचिव खनिज विभाग बनाया गया है। वे 1997 बैच के IAS हैं। 1998 बैच के IAS निकुंज कुमार श्रीवास्तव खनिज विभाग के प्रमुख सचिव के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त होंगे। वहीं, 2001 बैच के IAS नवनीत कोठारी को एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में मैनेजिंग डायरेक्टर और मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (भोपाल) में प्रबंध संचालक और मध्यप्रदेश शासन औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग में पदेन सचिव बनाया गया है।
सरकार के भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं मनीष सिंह
मनीष सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं। मनीष पहले इंदौर के नगर निगम कमिश्नर रहे। इसी दौरान इंदौर स्वच्छता में देश में नंबर 1 आया और लगातार बना हुआ है। इसके बाद मनीष कोरोना काल में इंदौर के कलेक्टर बनाए गए। इस समय भी मनीष ने जबर्दस्त प्रशासनिक सूझबूझ का परिचय दिया और इंदौर में कोरोना को काफी कुछ कंट्रोल किया। मनीष सिंह के पास मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का भी प्रभार है। सरकार चुनाव से पहले मेट्रो का काम पूरा कर जनता में संदेश देना चाहती है। मनीष सिंह मीडिया मैनेजमेंट के भी महारथी माने जाते हैं। जनसंपर्क कमिश्नर बनाकर सरकार ने चुनावी साल में यही साधने का प्रयास किया है।
इंदौर कलेक्टर के जनसंपर्क कमिश्नर बनने की परंपरा
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2009 बैच के अफसर मनीष सिंह मध्य प्रदेश के नए जनसंपर्क कमिश्नर बनाए गए हैं। ट्रांसफर प्रशासनिक व्यवस्था के तहत होते हैं, लेकिन ये संयोग है कि जो आईएएस अधिकारी इंदौर कलेक्टर के पद पर रहा होता है, बाद में वही जनसंपर्क आयुक्त कमिश्नर किया गया। इससे पहले इंदौर के पूर्व कलेक्टर राघवेंद्र सिंह जनसंपर्क कमिश्नर रहे हैं। 1977 बैच के आईएएस अधिकारी ओपी रावत भी इंदौर कलेक्टर से जनसंपर्क संचालक बनाए गए थे। भागीरथ प्रसाद, एसआर मोहंती, मनोज श्रीवास्तव, पी नरहरी, राजेश राजौरा, राकेश श्रीवास्तव समेत कई आईएएस अफसर इंदौर कलेक्टर के बाद जनसंपर्क विभाग के संचालक या आयुक्त बने।
विज्ञापनों की बंदरबांट पर लगेगी लगाम
माना जा रहा है कि जहां सीएम और सरकार के कामकाज को बेहतर ढंग से बताने की कोशिश होगी तो वहीं अब पत्रकारिता में फैक्ट चेकिंग सिस्टम और टाइट हो सकता है, यानी कि यदि किसी विभाग की गलत न्यूज छपी तो इसका जवाब भी मीडिया संस्थानों को देना पड़ सकता है। वहीं विज्ञापनों की बंदरबाट पर भी लगाम लग सकती है। जिस तरह से सिंह की कार्यशैली है कि वह जिस विभाग में जाते हैं पहले तो वहां का सिस्टम समझकर उसकी लूप होल और लीकेज को टाइट करने का काम करते हैं और इसके लिए वह सारे सूत्र अपने हाथ में लेते हैं, यानि कि कोई भी फाइल उनकी नजरों से होकर ही निकलेगी। ऐसे में सिंह के इस पद पर आने का असर प्रदेश के मीडिया संस्थानों को भी जल्द दिखने लगेगा।