BHOPAL: मध्यप्रदेश नगरीय प्रशासन विभाग MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1 के बाद अब MP ई-नगर पालिका पोर्टल 2.0 लॉन्च करने की तैयारी में हैं। इस बात का फैसला शिवराज सरकार की 4 मई को हुई कैबिनेट बैठक में किया गया। जहाँ मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने MP ई-नगर पालिका पोर्टल 2.0 के प्रस्ताव को स्वीकृति भी दे दी है। पोर्टल-2 को लाने के पीछे सरकारी तर्क ये है कि MP ई-नगरपालिका पोर्टल 2.0 को अबतक के अनुभवों से और बेहतर बनाएगा और उसमें नई तकनीकों को इंक्लूड किया जाएगा, जिससे नागरिकों को सर्विसेज का बेहतर लाभ मिलेगा। पर सरकार और नगरीय प्रशासन विभाग के ऑनलाइन नागरिक सेवाओं को दुरुस्त करने के तामझाम पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। दरसअल, सालों लम्बे और करोड़ो रुपए की लागत वाला MP ई-नगर पालिका का ये प्रोजेक्ट राज्य के उन नगर-निगमों को ही रास ही नहीं आ रहा है, जिनके लिए ये सारी कवायद की गई। हालत ये हैं कि भोपाल नगर निगम तो पहले ही MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1 छोड़ चुका है, और अब इंदौर नगर निगम भी इसी तैयारी में है। इसके बावजूद मध्य प्रदेश सरकार MP ई-नगर पालिका पोर्टल पर चंद सुविधाएँ जोड़ने का तर्क देते हुए करोड़ो रुपए खर्च करने की तैयारी में हैं! और अब तो इस पूरे मामले में राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी और नगर निगम के अधिकारी, दोनों में ठन गई है। जहाँ नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने MP ई नगरपालिका पोर्टल की हिमायत की है और आगे किसी भी नगर निगम को पोर्टल छोड़ने की अनुमति देने से साफ़ इंकार कर दिया है, तो वहीं कुछ नगर निगम के अधिकारी MP ई नगर पालिका के पोर्टल को बेकार बताते हुए अपना पोर्टल बनाने पर साफ़ अड़े हुए हैं। साफ़ है कि राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग और नगर निगमों में समंव्यय की भारी कमी है।
2015 में 225 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुआ था MP ई-नगर पालिका पोर्टल 1.0
बता दें कि प्रदेश में MP ई-नगर पालिका पोर्टल 1.0 का काम नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के तहत साल 2015 में 225 करोड़ रुपए के इन्वेस्टमेंट के साथ शुरू हुआ था। इसमें 18 सुविधाएं ऑनलाइन देने की बात हुई थी। उद्देश्य था ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना, नागरिकों को जन-सेवाएं देने में आसानी लाना तथा नगरीय निकायों के कार्यों में पारदर्शिता लाना। इसके बाद 5 साल पहले यानि 15 जनवरी 2017 को ई-नगरपालिका पोर्टल 1.0 को 22 सुविधाओं के साथ शुरू किया गया। इसमें 16 नगर निगम, 298 नगर परिषद, 99 पालिकाएं जुड़ी थीं। ऐसा करते हुए MP सरकार ने दावा किया था कि देश मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहाँ प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को सिंगल प्लेटफार्म पर जोड़ते हुए नागरिक सेवाओं को और नगरीय निकायों के इंटरनल कार्यों और प्रक्रियाओं को ऑनलाइन कर दिया गया।
नए पोर्टल पर होंगे 200 करोड़ रुपए खर्च
1 महीने में ही MP ई-नगर पालिका पोर्टल 2.0 के टेंडर प्रोसेस चालू हो जाएगी और सालभर में नया पोर्टल शुरू कर दिया जाएगा। पोर्टल 2.0 साल 2030 तक यानी कुल 7 वर्ष के लिये काम करेगा। इसमें 2 साल वर्ष नए पोर्टल के विकास तथा 5 साल पोर्टल के मेंटेनेंस के लिये होंगे। नए पोर्टल पर कुल 200 करोड़ खर्च रुपए किये जाएंगे।
अब पोर्टल 2.0 में क्या नया: 1 एक्स्ट्रा मॉड्यूल, 2 नई नागरिक सेवाएं, 2 नए विभाग, डिजिटल पेमेंट और वाट्सअप की सुविधाएँ
- नए पोर्टल 2.0 में ट्रेनिंग मॉड्यूल और 2 नागरिक सेवाएं बढ़ाईं गईं हैं। इसमें अब 15 की बजाय कुल 16 मॉड्यूल होंगे तथा 22 की जगह अब 24 नागरिक सेवाएँ शामिल होंगी। 2 नई सेवाओं में प्रॉपर्टी का म्युटेशन और मूवी की शूटिंग की ऑनलाइन परमिशन जैसी सुविधाएं शामिल हैं जिन्हे मिलाकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, प्रॉपर्टी टैक्स, विवाह पंजीयन, वाटर टैक्स पेमेंट, लीज रेंट, कमर्शियल लाइसेंस और ट्रेड लाइसेंस जैसे 24 काम घर बैठे कर हो सकेंगे।
भोपाल नगर निगम ने क्यों छोड़ा MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1?
दरअसल, MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1 पर धीरे काम होने से और उसपर प्रापर्टी टैक्स जमा करने में आ रही दिक्कतों के चलते भोपाल नगर निगम 1 अप्रैल 2022 को MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1 छोड़ दिया था। MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1 छोड़कर अपने पुराने पोर्टल को दोबारा शुरू करने में भोपाल नगर निगम को 8 से 10 करोड़ तक खर्च भी करने पड़े थी। इस बारे में द सूत्र ने बात की भोपाल नगर निगम आयुक्त वीएस चौधरी कोलसानी से और जाना कि ऐसा कदम क्यों उठाया गया? तो उन्होंने भी बताया कि कैसे MP ई-नगर पालिका पोर्टल-1 पर भोपाल नगर निगम का कोई काम ढंग से नहीं हो पाया!
MP ई नगर पालिका पोर्टल-1 फेल, भोपाल नगर निगम का पोर्टल ज्यादा यूसर फ्रेंडली-बेहतर: कोलसानी, भोपाल नगर निगम आयुक्त
"नगर निगम भोपाल का टैक्स कलेक्शन के लिए पहले से ही अलग से सिस्टम रहा है। हालांकि, बीच में हमने MP ई नगर पालिका पोर्टल-1 को यूस करना शुरू जरूर किया था, पर हमको अहसास हुआ कि MP ई नगर पालिका पोर्टल-1 की तुलना में भोपाल नगर निगम का अपना पोर्टल ज्यादा अच्छा है और इसपर पर ही बेहतर फीचर्स हैं। इसीलिए भोपाल नगर निगम वापस अपने खुद के पोर्टल पर कार्य करने लगा! और अब तो भोपाल नगर निगम 1 अप्रैल 2023 से SAP सॉफ्टवेयर के नए वर्शन - HANA पर काम कर रहे हैं। इसी का असर है कि करदाता वित्तीय वर्ष 2023-24 में यहाँ ज्यादा आसानी से, स्पीड से पेमेंट कर पा रहे हैं...यानी ये प्लेटफार्म ज्यादा यूज़र फ्रेंडली हैं! हमने आने वाले 7 सालों (साल 2030 तक) के लिए टेंडर किया है जिसपर 10 करोड़ खर्च किया है।"
'MP ई नगर पालिका पोर्टल पुरानी टेक्नोलॉजी पर काम करता है'
भोपाल नगर निगम की ई-सर्विसेज के पोर्टल को संभालने वाली कंपनी डेलॉइट के अधिकारियों का कहना है कि भोपाल नगर निगम की इ-सर्विसेज पोर्टल SAP S/4HANA Cloud ERP सॉफ्टवेयर पर काम करता है। इसका सबसे बड़ा बेनिफिट इससे मिलने वाली स्पीड है...जिसकी मदद से किसी भी सर्विसेज को तेज़ी से पूरा किया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर से भोपाल नगर निगम कम संसाधनों के साथ बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेस कर सकता हैं। जबकि MP ई नगर पालिका पोर्टल SAP के पुराने वर्शन पर ही काम करता है।
'अन्य नगर निगम भी कर सकते हैं भोपाल के फुटस्टेप्स को फॉलो!'
द सूत्र से बात करते हुए भोपाल नगर निगम आयुक्त ने तो यहाँ तक कह दिया कि बहुत हद तक उम्मीदें हैं कि अब प्रदेश के अन्य नगर निगम भी भोपाल के फुटस्टेप्स को फॉलो करते हुए MP ई नगर पालिका पोर्टल को छोड़कर अपने खुदके पोर्टल पर वापस कार्य करना शुरू कर सकते हैं। और शायद कोलसानी के इतने विश्वास के साथ ऐसा कहने के पीछे कारण है..और वो ये कि भोपाल नगर निगम के 'MP ई-नगर पालिका पोर्टल 1.0 छोड़ने के बाद अब इंदौर भी मध्य प्रदेश के ई-नगर पालिका पोर्टल सिस्टम से बाहर होने की तैयारी में है।
इंदौर को भी नहीं चाहिए MP ई-नगर पालिका पोर्टल 1.0 का साथ
इंदौर नगर निगम की योजना एवं आइटी विभाग की समिति ने ई-नगर पालिका सिस्टम से बाहर होने के साथ ही अपने सॉफ्टवेयर को लागू करने का फैसला लिया है। प्रस्ताव अब एमआइसी में जाएगा। वहां निर्णय के बाद भोपाल भेजा जाएगा। इंदौर नगर निगम के एमआईसी सदस्य राजेश उदावत का कहना है कि ई नगर पालिका पोर्टल किसी काम का नहीं है। उन्होंने डी सूत्र से बातचीत में कहा, "इंदौर नगर निगम ने इंदौर को बेहतर और डिजिटल सिटी के तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया है और ऐसे में नगर निगम अपना डाटा सेंटर बनाने की तैयारी कर रहा है। और चाहता है कि निगम अपनी ई-सर्विसेज पर खुद कमांड करे। साथ ही ई नगर पालिका पोर्टल धीरे काम करता है और उसपर कोई कार्य अच्छे से नहीं हो पाता।" बता दें कि MP ई-नगर पालिका पोर्टल 1.0 भोपाल से संचालित है, इसपर इंदौर निगम का कोई आधिपत्य नहीं है। उसमें जानकारी अपडेट करने या जानकारी लेने निगम को दुसरे पर आश्रित होना पड़ता है। इंदौर अक्टूबर 2020 में ई-नगर पालिका सिस्टम में शामिल हुआ था। इसके पहले इंदौर नगर निगम खुद के सॉफ्टवेयर इंडिआमा पर काम करता था, जिसे निगम ने 2007 में खरीदा था। सॉफ्टवेयर पर निगम को महीने में 4 लाख का खर्च आता था। अभी MP ई-नगर पालिका पर काम करने के लिए इंदौर नगर निगम को हर माह सरकार को 40 लाख रुपए तक देने पड़ते हैं।
द सूत्र ने इस मामले में इंदौर नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह से बात करने की कोशिश की। पर उन्होंने ये कहते हुए बात करने से मना कर दिया कि इस मामले में मैं कुछ भी नहीं बोल सकती हूं और साथ ही पूछा कि यह तो गोपनीय जानकारी है और यह द सूत्र के पास कैसे आई?
अब किसी भी नगर निगम को MP ई-नगर पालिका पोर्टल से अलग होने की अनुमति नहीं दी जाएगी: आयुक्त भरत यादव, नगरीय प्रशासन विभाग, MP
ये तो रही भोपाल और इंदौर नगर निगमों के जिम्मेदारों की बातें। पर जब इस पूरे मामले में राज्य के नगरीय प्रशासन विभाग का तर्क जाना गया और पूछा गया कि आखिर जब MP ने मुख्य शहरों के नगर निगम MP ई-नगर पालिका पोर्टल पर काम ही नहीं करना चाहते तो MP ई-नगर पालिका पोर्टल 2.0 पर 200 करोड़ रुपए खर्च करने का क्या औचित्य? तो विभाग के आयुक्त भारत यादव ने साफ़ कह दिया है कि अब किसी भी नगर निगम को MP ई-नगर पालिका पोर्टल से अलग होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही भोपाल को भी उसके पोर्टल के साथ कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने पर MP ई-नगर पालिका पोर्टल पर वापस लाया जाएगा।
साफ़ है कि नगरीय प्रशासन विभाग और नगर निगम, दोनों ही एक ही मुद्दे पर अलग-अलग दिशा में दौड़ लगा रहें हैं। और इस आपसी समंव्यय की कमी में जनता के टैक्स के पैसे फूंके जा रहे हैं। एक तरफ सरकार नगर पालिका और नगर निगम से सभी संंबंधित सभी कामों को ऑनलाइन करने के लिए MP ई-नगर पालिका पोर्टल पर 200 करोड़ खर्च करने की तैयारी में हैं। वहीँ दूसरी तरफ एक नगर निगम अपने अपने पोर्टल पर सालाना 10 करोड़ रुपए खर्च कर कर रहा है। दोनों का कहना ये है कि वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े, यानि एक ही सुविधा के लिए दो अलग-अलग जगहों पर करोड़ो खर्च!
इंदौर इनपुट: अंकित