Bhopal.
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 28 मार्च से शुरू हो गई है जो 16 मई तक चलेगी, लेकिन समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने वाले 93 फीसदी किसान को अब तक सरकार की ओर से भुगतान नहीं हुआ है। शादियों का सीजन है और किसान की जेब में पैसा नहीं होने से वह साहूकारों के चंगुल में फंस रहा है, इसके लिए जिम्मेदार सरकार ही है, क्योंकि वादा उपज बेचने के 7 दिनों के अंदर पूरे भुगतान का किया गया था। प्रदेश में हर बार समर्थन मूल्य पर खरीदी की तारीख लगभग एक जैसी ही रहती है। ऐसे में किसान अपनी बेटियों की शादी की तारीख उसी हिसाब से तय करता है, ताकि उपज बेचने के बाद पैसा हाथ में आ जाए, जिससे वह अपनी बेटी की शादी धूमधाम से कर सके, पर इस बार उपज बेचने के बाद भी किसानों को पैसा नहीं मिल रहा है। शादी की तारीख पहले से तय है और उसे ऐन वक्त पर बदला नहीं जा सकता, यही कारण है कि किसान साहूकारों से मोटे ब्याज पर पैसा लेकर शादी की तैयारियां कर रहे हैं।
आखा तीज पर है सबसे ज्यादा शादियां
अक्षय तृतीया जिसे आखा तीज के नाम से भी जानते हैं, इस बार 3 मई को है। यह मुहूर्त शादियों के लिए सबसे उत्तम है। सबसे अधिक शादियां इसी दिन होना है, लेकिन सरकारी खरीदी केंद्र पर अपनी उपज बेचने वाले किसानों को अब तक पैसे नहीं मिलने से शादी की तैयारियों में मुश्किलें आ रही है। वह जरूरत का सामान, टेंट, हलवाई की बुकिंग नहीं करवा पा रहे हैं। इसके अलावा 27 अप्रैल को भी शादियां है। 22, 23 और 24 अप्रैल के मुहूर्त में किसानों ने बाजार से कर्ज लेकर शादियां कराई है।
बहन की शादी के लिए बाजार से लिया पैसा
सलामतपुर में रहने वाले आकाश राजपूत बताते हैं कि उनके पिता का निधन 29 अप्रैल 2021 को हो चुका है, अब वे कमाने वाले अकेले हैं, सिर्फ 2 एकड़ पर खेती करते हैं। 3 मई को बहन शीतल की शादी है। अपने नाना के सहयोग से उपज बेची पर भुगतान नहीं हुआ। इधर—उधर से पैसे लेकर व्यवस्था की। आकाश और शीतल के नाना गणेशराम चौहान रायसेन में रहते हैं। जब उनसे बात की तो उनके चेहरे पर सरकार के प्रति गुस्सा साफ देखा जा सकता है। गणेशराम चौहान ने कहा कि 4 अप्रैल को उन्होंने 228 क्विंटल गेंहूं बेचा, नातिन का शादी सिर पर है, पर अब तक भुगतान नहीं हुआ। बाजार से जो 3 से 5 प्रतिशत ब्याज पर जो पैसा ले रहे हैं, क्या उस ब्याज का भुगतान सरकार करेगी।
सम्मेलन में हुए पंजीयन को निरस्त करा रहे लोग
राजपूत समाज सलामतपुर के कोषाध्यक्ष मोहन सिंह राजपूत का कहना है कि राजपूत समाज 25—30 सालों से सामूहिक विवाह सम्मेलन कराता आ रहा है। इस बार भी 3 मई के सम्मेलन में 75 जोड़ों की शादी होना थी, पर अब तक सिर्फ 22 पंजीयन हुए हैं। उनमें से भी कुछ अब आर्थिक दिक्कतों के कारण पंजीयन निरस्त करवाना चाह रहे हैं। गेंहूं बिकने के बाद भी भुगतान नहीं होने से व्यवस्था करने में बेहद दिक्कत आ रही है। वीदिशा के किसान रणवीर सिंह तोमर की बेटी की शादी 1 जून को है। 11 अप्रैल को उन्होंने 400 क्विंटल गेहूं बेचा, पर भुगतान अब तक नहीं हुआ। रणवीर सिंह तोमर पैसों का इंतजार कर रहे हैं, ताकि बेटी की शादी की तैयारियां शुरू कर सके।
4847 करोड़ का अटका हुआ है भुगतान
24 अप्रैल तक सरकार ने 25.76 लाख मेट्रिक टन गेंहूं की खरीदी की। जिसका 5191 करोड़ भुगतान होना है। इनमें से मात्र 24 हजार 762 किसानों को मात्र 7 फीसदी यानी 344 करोड़ का भुगतान हुआ है। लाखों किसानों का भुगतान अब भी अटका हुआ है। मंत्रालय में सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में सरकार की ओर से दावा किया गया है कि 1107 करोड़ यानी 21 फीसदी भुगतान के पत्रक तैयार कर लिए गए हैं। हर दिन 35 हजार किसानों को 500 करोड़ का भुगतान कर 2 मई तक सभी लंबित भुगतान को पूर्ण कर लिया जाएगा। सवाल यह है कि जब तक किसान को भुगतान होगा, तब तक वह अपनी बेटी की शादी के लिए कर्ज ले चुका होगा, जीरो परशेंट ब्याज के लाभ से भी किसान वंचित हो जाएंगे, इसका खामियाजा कौन भरेगा।
जीरो परशेंट ब्याज का भी नहीं मिला फायदा
किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि किसानों को जीरो परशेंट ब्याज का लाभ भी नहीं मिलेगा। सरकार की लापरवाही की वजह से किसानों को अब 7 से 10 प्रतिशत तक का ब्याज देना होगा। कॉपरेटिव बैंक के माध्यम से सरकार किसानों को जीरो परशेंट ब्याज पर लोन देती है। इस निर्धारित समय पर जमा करना होता है। इस बार लोन की राशी जमा करने की तारीख थी 15 अप्रैल जो कि निकल चुकी है। किसानों को अपनी उपज बेचने के बाद भी पैसा नहीं मिला जिससे वह लोन जमा नहीं कर पाया। अब किसान को 3 लाख तक का लोन होने पर 7 प्रतिशत और 3 लाख से अधिक का लोन होने पर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा। वहीं केसीसी के लोन की राशि पर भी अब 4 की जगह 7 प्रतिशत ब्याज देना होगा।
आधार अपडेशन के कारण अटका है भुगतान
पहली बार PFMS यानी पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल के माध्यम से किसानों को आधार आधारित बैंक खाते में उपज का पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है। सोमवार को मंत्रालय में हुई समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने तर्क दिया कि NIC यानी नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सिस्टम और PFMS के बीच समन्वय कर नई व्यवस्था लागू करने में समय लग गया, इसलिए भुगतान में देरी हुई। 23 अप्रैल तक भुगतान की सभी कार्रवाई और परीक्षण पूर्ण कर लिया गया है। वहीं सेवा सहकारी समिति सलामतपुर के समिति प्रबंधक कुंवरसिंह दांगी ने बताया कि आधार डाटा बेस से इस बार भुगतान होना है, जिसे पोर्टल पर अपडेट कर रहे हैं, नई प्रक्रिया के कारण देरी हो रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या पंजीयन के समय आधार अपडेट नहीं कराए गए तो कुंवरसिंह दांगी ने कहा कि भुगतान क्यों लेट हो रहा है, ये उनके भी समझ में नहीं आ रहा है, इसकी जानकारी उपर से ही मिल पाएगी।
किसान संगठनों का आरोप— ब्याज कमाना चाह रही सरकार
किसान जागृति संगठन के संस्थापक इरफान जाफरी ने कहा कि जब पंजीयन हुआ था तब आधार भी लिंक किया था, खाता भी लिंक किया था, जमीन भी लिंक की थी और हर किसान का मोबाइल भी लिंक किया था। ये सब बहाने बाजी है। केंद्र सरकार से जो गेंहूं खरीदी का पैसा आया है, उसका ब्याज प्रदेश सरकार खा रही है। जितने दिन किसानों का पैसा रोका जाएगा, सरकार को उतने दिन का उस पैसे का ब्याज मिलेगा। वहीं कालापीपल से कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिंगल क्लिक के चक्कर में किसानों का पेमेंट अटका रहे हैं। यह सूदखोरी को बढ़ावा देने की नई व्यवस्था है। आज किसान को पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत है, पर उसे भुगतान नहीं हो रहा है। सरकार खुद किसानों को सूदखोरी की ओर धकेल रही है।