BHOPAL. मध्य प्रदेश की विरासत और जमीनी साझी संस्कृति को देश-दुनिया के लोगों तक पहुंचाने के लिए एमपी टूरिज्म नर्मदा किनारे के 100 गांवों में होम स्टे का निर्माण कर रहा है। मप्र की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी को अत्यंत आत्मीयता और सम्मान के साथ पूजा जाता है। एक तरह से एमपी टूरिज्म अपने विकास को विरासत से जोड़कर आगे बढ़ा रहा है। इसी के तहत नर्मदा किनार के 100 गांवों का चयन होम स्टे के लिए किया गया है। इन होम स्टे में आने वाले पर्यटकों को लजीज व्यंजनों के साथ, रोटी-चटनी जैसा स्थानीय खाना भी दिया जाएगा। यह एमपी टूरिज्म का नया प्रयोग है।
कहां-कहां बन रहे हैं होम स्टे
योजना के अनुसार, हंडिया में, जो कि नर्मदांचल हरदा के अंतर्गत आता है, होम स्टे का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा मंडलेश्वर, बजवाड़ा सहित कई गांवों में इस प्रकार के होम स्टे बनाए जाएंगे। इन होम स्टे में देश-विदेश से आने वाले सैलानी आत्मीयता और देसी संस्कृति का अनुकरण कर सकेंगे। देश-दुनिया की चकाचौंध से दूर ये होम स्टे बिना किसी अतिरिक्त संसाधन के सुलभ जीवन शैली का आनंद प्रदान करेंगे।
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इन होम स्टे के निर्माण का मुख्य उद्देश्य पर्यटन के साथ-साथ देसी संस्कृति,अध्यात्म कला और प्राकृतिक धरोहरों को सहेजना तथा आम लोगों तक पहुंचाना है। इस दौरान पर्यटकों को स्थानीय स्तर की चूल्हे की रोटी, सब्जी और चटनी तथा और स्थानीय व्यंजन भी परोसे जाएंगे। होम स्टे का निर्माण इस प्रकार किया जा रहा है कि वह देसी परंपरागत विधि से बना हुआ ही प्रतीत हो। इसीलिए ऊपर के हिस्सों में पूरी जुड़ाई चूने से करवाई जा रही है। इसके साथ ही इन होम स्टे में एसी, फ्रिज के स्थान पर देसी वेंटिलेशन तकनीक और मटके का ही उपयोग किया जाएगा। इंटीयर के साथ होम स्टे के निर्माण में ग्रामीण टच देने का प्रयास किया जाएगा।
ग्राम पंचायतों को दी जा रही प्रोत्साहन राशि
मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग के अनुसार, होम स्टे बनाने के लिए ग्राम पंचायतों को दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके तहत 700-800 वर्ग फीट में होम स्टे का निर्माण कराया जाएगा। इससे ग्राम पंचायतों में नवीन रोजगार और व्यवसाय के अवसर भी बढ़ेंगे।जब छोटे-छोटे गांवों में होम स्टे के लिए पर्यटक बाहर से आएंगे तो स्वतः ही ग्रामीण व्यवसाय उन्नत हो