CHHATARPUR. लोकायुक्त पुलिस हर दिन कार्रवाई कर रिश्वतखोरों को पकड़ रही है। फिर भी प्रदेश में भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग पा रही है। छतरपुर नगर पालिका में पदस्थ उपयंत्री बाबूराम चौरसिया के द्वारा रिश्वत लेने का मामला सामने आया है। 21 अप्रैल, शुक्रवार को लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा। उपयंत्री चौरसिया ने भवन निर्माण की अनुमति देने के एवज में रिश्वत की मांग की थी। फरियादी उमेश चौरसिया एक निजी कंसल्टेंट एजेंसी का संचालन करते हैं। जैसे ही उन्होंने रिश्वत के 30 हजार रुपए उपयंत्री बाबूराम चौरसिया को दिए, सागर लोकायुक्त पुलिस के डीएसपी प्रफुल्ल श्रीवास्तव और उनकी टीम ने उन्हें पकड़ा लिया।
फरियादी ने लोकायुक्त में की थी शिकायत
इस मामले में लोकायुक्त डीएसपी ने बताया कि लोकायुक्त की संयुक्त टीम को छतरपुर के कंसल्टेंसी संचालक उमेश चौरसिया ने शिकायत की थी। बताया था कि नगरपालिका में पदस्थ उपयंत्री बाबूराम चौरसिया भवन निर्माण की अनुमति देने के लिए 30 हजार रुपए मांग रहे हैं। इसके बाद टीम ने कार्रवाई करते हुए उपयंत्री बाबूराम को रंगे हाथ पकड़ लिया।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाईयां हैं जारी
आपको बताते चले कि, एमपी में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सीबीआई, ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त जैसी एजेंसियां हैं, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही हैं। इतने सख्त रवैये के बावजूद कई मामले सामने आ रहे हैं। बीते दिनों ही मध्यप्रदेश की रीवा लोकायुक्त पुलिस ने एक एएसआई को पांच हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। बता दें, एएसआई ने आवेदक से अपराध पंजीबद्ध करने की एवज में घूस मांगी थी, जिसके बाद यह बड़ी कार्रवाई लोकायुक्त द्वारा मध्यप्रदेश के रीवा जिला अंतर्गत मऊगंज में की गई थी।
इंदौर लोकायुक्त ने पटवारी को दस हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था
19 अप्रैल को इंदौर लोकायुक्त ने सांवेर में एक पटवारी को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते होते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। यह रिश्वत एक किसान से जमीन के नामांतरण के एवज में मांगे जा रहे थे। किसान ने इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद टीम बनाकर लोकायुक्त की टीम ने उसे पकड़ लिया। भ्रष्टाचार एक्ट के तहत उस पर केस दर्ज कर लोकायुक्त द्वारा कार्रवाई की जा रही है।