BHOPAL. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के अचानक दिल्ली रवाना होने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। बीजेपी का हर दूसरा नेता नरोत्तम के दिल्ली जाने का कारण जानने का प्रयास कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट 2 मार्च को संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के पेड न्यूज मामले में अंतिम सुनवाई करने वाला है। इसकी जानकारी मिलते ही वे अचानक दिल्ली निकल गए। सूत्रों का ये भी कहना है कि नरोत्तम आज केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा से मुलाकात कर सकते हैं।
पांच साल पुराना है मामला
चुनाव आयोग ने पांच साल पहले पेड न्यूज के मामले में सुनवाई करने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत तीन साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया था। वहीं, धारा 7 (बी) के अनुसार विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया, जिससे वे विधानसभा के सदस्य भी नहीं रह सकते थे। आयोग के इस फैसले के खिलाफ नरोत्तम मिश्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने चुनाव आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें आयोग ने नरोत्तम को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसी मामले की अंतिम सुनवाई 2 मार्च को होना है। संभावना जताई जा रही है कि नरोत्तम सुप्रीम कोर्ट की अंतिम सुनवाई के संबंध में अपने वकीलों से चर्चा करेंगे।
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दिल्ली हाईकोर्ट कैसे पहुंचा था मामला
नरोत्तम मिश्रा ने चुनाव आयोग के फैसले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में चुनौती दी थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल की वजह से सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद यह केस जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा, जिसने इसे सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट भेज दिया। इसके बाद मिश्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अर्जी लगाई, जो खारिज हो गई। मिश्रा बाद में इस मामले को डिविजनल बैंच में ले गए जहां उनकी सुनवाई के बाद आयोग के आदेश का रद्द किया गया।
यह है मामला
ये मामला 2008 के विधानसभा चुनाव के खर्च से जुड़ा है। नरोत्तम के खिलाफ कांग्रेस के राजेन्द्र भारती ने 2009 में आयोग के सामने एक याचिका दायर कर कहा था कि मिश्रा ने 2008 के विधानसभा चुनाव के खर्चे का सही ब्योरा नहीं दिया। उन्होंने कई मदों में किए गए खर्चे नहीं दिखाए, जिनमें ‘पेड न्यूज’ भी शामिल हैं। इसमें उन्होंने 8 से 27 नवंबर के बीच 42 खबरों की प्रतियां भी लगाई थीं, जो पेड न्यूज की श्रेणी में आती है। सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951, में 10 (ए) के तहत 23 जून, 2017 को तीन साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया था। वहीं, धारा 7 (बी) के अनुसार विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया, जिससे वे विधानसभा के सदस्य भी नहीं रह सकते थे।