भोपाल. मध्यप्रदेश में शराबबंदी पर जमकर गहमागहमी हो रही है। गुजरात और बिहार की तरह एमपी में शराबबंदी की मांग जोरों पर है। दूसरी तरफ देखा जाए तो शराब आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए इसे बैन नहीं किया जा सकता। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से किए जाने वाले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यह बात सामने आई कि शराब शहर से ज्यादा गांव में पी जाती है। पिछले पांच साल में शराब पीने वालों की संख्या कम जरूर हुई है। लेकिन एक हैरान करने वाली बात ये सामने आई कि MP में महिलाएं, पुरुषों से शराब पीने के मुकाबले में आगे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 29.6 फीसदी पुरुष और 1.2 फीसदी महिलाएं शराब पीते थे। सितंबर 2021 में शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या घटकर 20.2 और महिलाओं की संख्या 0.4 फीसदी हुई। खास बात यह रही कि हर दिन और हफ्ते में एक बार शराब पीने के मामले में महिलाएं, पुरुषों से आगे हैं। हालांकि, अंतिम स्टडी के 2 साल में से 6 महीने तक कोविड के कारण शराबबंदी भी रही। स्टडी में पहली बार भोपाल में शराब पीने वालों की संख्या बताई गई।
ग्रामीण क्षेत्र की महिला-पुरुष आगे
पिछले 5 साल में दो सर्वे किए गए। पहले में 15 से 49 उम्र और दूसरी में 15 से ज्यादा उम्र के महिला-पुरुषों को शामिल किया गया। दोनों में एक बात समान रूप से सामने आई कि शराब पीने के मामले में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आगे हैं। आखिरी सर्वे में बताया गया कि महिलाएं 1 फीसदी और पुरुष 17 फीसदी शराब पीते हैं। इनमें से गांव की महिलाएं 1.2 और शहर की 0.5 परसेंट शराब पीती हैं। जबकि शहरी पुरुष 13.2 और ग्रामीण 18.6 परसेंट पीते हैं।