Damoh. प्रोजेक्ट टाइगर को 50 साल पूरे होने वाले हैं। 70 के दशक में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके बाघों को संरक्षण देने भारत सरकार ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। अब इसके 50 साल पूरे होने जा रहे हैं। वहीं इस प्रोजेक्ट के तहत लंबे समय से टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश के लिए एक और अच्छी खबर है। दमोह-सागर और नरसिंहपुर जिलों में फैले नौरादेही-दुर्गावती अभयारण्य को जल्द टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल जाएगा। टाइगर स्टेट की 50वीं वर्षगांठ पर इसकी घोषणा किए जाने की संभावना है। ऐसा हुआ तो यह प्रदेश का 7वां टाइगर रिजर्व होगा।
पन्ना के बाद नौरादेही बड़ी सफलता
बता दें कि पन्ना में बाघ विलुप्त हो चुके थे। जिसके बाद वन विभाग ने वहां पुनः बाघों को बसाया था। इस सफलता से प्रेरित होने के बाद नौरादेही अभयारण्य में बाघों के कुनबे के बीज फूटे। यहां बाघों के जोड़े को छोड़ा गया और अब यहां 12 बाघ मौजूद हैं। आने वाले समय में इनकी संख्या में और इजाफा होने की संभावना है।
- यह भी पढ़ें
बनाया जाएगा कोर एरिया
दरअसल नौरादेही अभयारण्य और वीरांगना दुर्गावती वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को मिलाकर नए टाइगर रिजर्व के कोर एरिया को बनाया जाएगा। केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से पन्ना नेशनल पार्क को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मप्र में एक नया टाइगर रिजर्व बनाने की शर्त रखी है। जिसे पूरा किए बिना केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को अंतिम स्वीकृति नहीं मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से पन्ना नेशनल पार्क का 46 फीसद हिस्सा डूब और निर्माण से प्रभावित होने जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार विधानसभा चुनाव से पहले केन-बेतवा प्रोजेक्ट को शुरू कराना चाहती है। मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड 4 माह पहले अक्टूबर में नौरादेही और रानी दुर्गावती सेंचुरी को टाइगर रिजर्व बनाने के मंजूरी दे चुका है। हाल ही में वन विभाग ने टाइगर रिजर्व की स्वीकृति का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा है।