BHOPAL. मप्र में जनता को राहत और सुविधा देने के उद्देश्य से राजस्व नियमों में बदलाव किया गया है। प्रदेश में अब नजूल अनापत्ति प्रमाणपत्र व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। लंबे समय से इसकी मांग भी रही थी। इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। आवेदनों की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से नए राजस्व नियमों में अब नजूल अधिकारी वार्षिक रूप से नजूल की भूमि की जानकारी नगरीय निकाय और टाउन कंट्री प्लानिंग को उपलब्ध कराएंगे उसी के आधार नए निर्माण और ले आउट की अनुमति दी जाएगी। इसी के साथ ही पृथक रूप से नजूल विभाग से एनओसी लेना की अनिवार्यता अब समाप्त कर दी गई है।
नजूल एनओसी से संबंधित मामले आरसीएमएस पर दर्ज होंगे। इस आदेश के जारी होने के बाद एक माह बाद कोई भी एनओसी जारी नहीं करेगा। सरकार द्वारा राजस्व नियमों में बदलाव के साथ ही प्रदेश में उक्त व्यवस्था हमेशा के लिए लागू कर दी गई है। सरकार के आदेश में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यदि कोई नजूल एनओसी जारी करता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। सरकार का यह फैसला आम जनता के हित में मील का पत्थर साबित होगा। उनके आवेदवों का निपटारा यथा शीघ्र हो सकेगा।
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आखिर क्यों हटाई गई व्यवस्था
प्रदेश में लागू इस नई व्यवस्था के पीछे आम जनता की उस तकलीफ पर ध्यान केंद्रित किया गया है। नजूल अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए लोग परेशान हो रहे थे। यह प्रमाण पत्र लेने के लिए तीन से चार माह का वक्त लगता था। मध्यप्रदेश शासन द्वारा भूमि क्रय करने के दस वर्ष बाद अनुसूचित क्षेत्रों में डायवर्शन के नियम को हटा दिया गया था। इसके बावजूद डायवर्शन के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता था। मकान निर्माण के लिए सर्वप्रथम नजूल अनापत्ति के लिए राजस्व विभाग में समस्त दस्तावेज सहित आवेदन करना होता है। वहां से राजस्व निरीक्षक व पटवारी अपने अभिमत के साथ तहसीलदार को आवेदन प्रेषित करते हैं। वहां से एसडीएम के पास स्वीकृति के लिए प्रकरण भेजा जाता है। इस प्रक्रिया के कारण तीन-चार माह में भी स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। आखिरकार जनता को इस लंबी से छुटकारा मिल गया और इसके साथ ही जमीन से जुड़े प्रकरणों में ते जी आएगी। जनता को यह अत्यंत राहत देने वाली खबर है।