देव श्रीमाली GWALIOR. समाज में बढ़ती कुरीतियों को हटाने और गौ माता की उपेक्षा को खत्म करने के तमाम प्रयासों के चलते ग्वालियर जिले में लोगों को अपने प्राचीन संस्कारों से परिचित कराने के लिए एक अनूठी परंपरा की शुरूआत की गई है। नव विवाहित दूल्हा-दुल्हन ने दांपत्य बंधन में बंधने के बाद सीधे गौशाला पहुंचे और गौ माता का साधु-संतों और परिवारजनों की मौजूदगी में न सिर्फ नव दांपत्य जीवन शुरू किया बल्कि जीवन भर गौरक्षा और गौ सेवा का संकल्प भी दिया।
तीन जोड़ों ने लिया गौ सेवा का संकल्प
ग्वालियर शहर के तीन नवविवाहित जोडों का हाल ही में विवाह बीती रात ही संपन्न हुआ है और उनके मांगलिक आयोजन में गौशाला साधु भी पहुँचे थे । साधुओं ने उन्हें गौशाला आने का आमंत्रण दिया था इसलिए वे आज फेरे लेने के बाद सीधे गौशाला ही पहुंचे। ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला के मुख्य संरक्षक स्वामी ऋषभदेवानंद ने दूल्हा-दुल्हन को अपनी भावनाओं से अवगत हुए उनसे गौ सेवा का संकल्प भी दिलाया।
ये भी पढ़ें...
शंख ध्वनि और मंत्रोच्चार के साथ शुरू किया जीवन
तीनों नवविवाहित जोडे सुबह ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला पहुंचे। नव विवाहित संदीप दुबे और अभिषेक ने बताया कि गौरक्षा के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए शंख ध्वनि और वेद मंत्रोच्चारण के बीच संतों की उपस्थिति में गाय का पूजन किया है और हम लोगों को गौ माता के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रोत्साहित करने का संकल्प भी दिलाया।
यह लोगो को सांस्कृतिक परम्परा से जोड़ने का प्रयास
नगर निगम द्वारा संचालित लाल टिपारा गौशाला के संरक्षक स्वामी ऋषभदेवानंद ने कहा कि भारत वर्ष की ऋषि परंपरा में गौ पूजन का विशेष महत्व है लोगों को उनही सांस्कृतिक परंपराओं से बांधने के लिए यहां ऐसे आयोजन लगातार किए जा रहे हैं ,जिससे लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को समझकर समाज में अपना योगदान दें।