Indore. सहकारिता विभाग के तीन वरिष्ठ निरीक्षक। एक हत्या के आरोप में फरार। दूसरा और तीसरा घूस लेते धराया। तीनों पर विभाग मेहरबान। दो आराम से नौकरी कर रहे हैं। तीसरा डेढ़ साल से विभाग से लापता है, लेकिन विभाग उसका पक्ष जानने के लिए कागज ही दौड़ा रहा है कि आएं और बताएं क्यों लापता हैं।
ये निरीक्षक संतोष जोशी (इंदौर), प्रमोद तोमर (इंदौर) और जी.एस. कनेश (धार) हैं। खास बात यह है कि तीनों पर जिन विभागों (पुलिस और लोकायुक्त) ने कार्रवाई की उन्होंने बाकायदा सहकारिता विभाग को लिखकर दे दिया कि ये हमारे विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में आरोपी हैं, आप भी इन पर कार्रवाई कीजिए लेकिन तीनों ही मामलों में करीब डेढ़ साल हो गया। सब यथावत हैं।
(1) जी.एस. कनेश- सहकारी निरीक्षक, धार
हत्या का आरोप-
पुलिस थाना सोंडवा (जिला आलीराजपुर) में 12 जनवरी 2021 को धारा 302, 307, 34 और 25,27 आर्म्स एक में मुकदमा दर्ज हुआ। तभी से फरार हैं। पुलिस को तलाश है। पुलिस ने 18 मार्च 2021 को विभाग को एफआईआर की सूचना दे दी। साथ ही यह भी लिखा कि नौकरी पर आएं तो सूचित करें। इनकी गिरफ्तारी जरूरी है। विभाग ने पुलिस की चिट्ठी को सूचनार्थ यहां-वहां भेजा लेकिन कनेश पर तत्काल कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
केस दर्ज होने के बाद भी दफ्तर आया
कनेश पर 12 जनवरी को केस दर्ज हुआ। उसके बाद वो सरकारी दौरे करता रहा। विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक 25 जनवरी को दफ्तर पहुंचा और 27 जनवरी से 19 फरवरी तक पारिवारिक कार्य का अर्जित अवकाश का आवेदन देकर चला गया। 23 फरवरी 21 से स्वास्थ्य खराब होने का छुट्टी का आवेदन दिया। तब तक उस पर केस दर्ज हुए करीब दो हफ्ते हो चुके थे।
अभी भी कागज ही दौड़ रहे हैं
हत्या जैसे गंभीर अपराध का मुकदमा होने के बाद भी विभाग ने करीब छह महीने बाद ( जून-2021) कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया, विभाग से अनुपस्थित रहने बाबद। तब से साल भर होने आया वही कागज दौड़ रहे हैं। विभाग अखबारों में सूचनाएं छपवाकर उन्हें अपना जवाब देने के लिए आमंत्रित कर रहा है।
(2) संतोष जोशी-वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक, इंदौर
घूस का आरोप-
शुभ क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के चुनाव को लेकर संस्था के कर्ता-धर्ता भरत जाट से 20 हजार की घूस मांगने का आरोप। पदाधिकारियों ने लोकायुक्त में शिकायत की। दस हजार की पहली किस्त लेते हुए परिसर में ही धरदबोचा। यह कार्रवाई 24 सितंबर 2021 को की गई थी। लोकायुक्त ने तीन दिन बाद ही विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई से अवगत करवा दिया था लेकिन विभाग भी लोकायुक्त की चिट्ठी इंदौर से भोपाल के बीच दौड़ाता रहा। संतोष जोशी फिलहाल इंदौर में ही पदस्थ हैं। पकड़ाने से करीब डेढ़ महीने पहले ही सीधी तबादला हो गया था लेकिन कोर्ट से 45 दिन का स्टे मिलने से यहीं रुक गया। उसी दौरान ट्रेप हो गया।
(3) प्रमोद तोमर-वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक, इंदौर
घूस का आरोप-
करीब डेढ़ साल पहले प्रमोद तोमर को पांच हजार की घूस लेते विभाग के अंदर खुद की सीट पर लोकायुक्त ने पकड़ा था। तोमर ने तिलक नगर सहकारी साख संस्था के अध्यक्ष दिलीपी बोरासी से घूस 10 हजार घूस मांगी थी। पांच हजार ले चुका था, पांच हजार की दूसरी किस्त लेते वक्त धरा गया। फिलहाल ये भी इंदौर में काम कर रहा है।
अखबार में नोटिस जारी हुआ, बाकी के लिए कोर्ट का आदेश है
तीनों मामले में सहकारिता आयुक्त संजय गुप्ता से 'द सूत्र' ने कार्रवाई संबंधी प्रश्न किए तो उन्होंने विभाग के ब्रजेश शुक्ला (स्थापना शाखा) का हवाला देकर कहा-वे जबाव दे देंगे। आप उनसे बात कर लें। श्री शुक्ला ने कहा- कनेश के मामले में अखबार में सूचना दी है। बाकी दो निरीक्षक के लिए कोर्ट का आदेश है। हालांकि बार-बार पूछने और कॉल करने के बावजूद उन्होंने इस बात का जवाब नहीं दिया कि कोर्ट का क्या आदेश है।