आस्था को कोर्ट में घसीटना ठीक नहीं,  3 नहीं तो 30 हजार लेंगे, यह धमकी नहीं सलाह

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आस्था को कोर्ट में घसीटना ठीक नहीं,  3 नहीं तो 30 हजार लेंगे, यह धमकी नहीं सलाह

देव श्रीमाली, Gwalior. जयभान सिंह पवैया भारतीय जनता पार्टी में फायरब्रांड नेता माने जाते है । इसकी वजह उनका अतीत है। सांसद, विधायक और राज्य में मंत्री बनने से पहले जयभान सिंह पवैया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में थे, और वहां विहिप की गतिविधिया देखते थे। संघ ने जब रामजन्मभूमि आंदोलन को देशभर में फैलाने की रणनीति बनाई तो, इसका महती जिम्मा बजरंग दल को सौंपा। जिसमे मस्जिद का विवादित ढांचा ढहाने का काम भी शामिल था, और इस बजरंग दल की राष्ट्रीय कमान जयभान सिंह पवैया को सौंपी। वे रामजन्मभूमि विध्वंस मामले में आरोपी भी है। विगत दिनों उनके  द्वारा ज्ञानवापी मामले को लेकर किये गए एक धमकी भरे ट्वीट ने सनसनी फैला दी। उन्होने धमकी भरे लहजे में लिखा,तीन नही तो तीस हजार...। इस मामले पर "द सूत्र" ने पवैया से खास बातचीत की।



हर मुद्दे को अदालत में घसीटना, चिढ़ाने जैसा



जब उनसे पूछा कि तीन नही तो तीस हजार..यह तो सीधी-सीधी धमकी है कि काशी,मथुरा नहीं दोगे तो तीस हजार मस्जिदों को ले लेंगे। इस पर पवैया कहते है, मैने धमकी नहीं दी बल्कि सलाह दी है। मेरे जैसा व्यक्ति ये मानता है कि 110 करोड़ लोगों की सनातन आस्था के हर मुद्दे को अदालतों की ओर घसीटना, उनको चिढ़ाने का षड्यंत्र है। पवैया ने कहा कि मैं ज्ञानवापी को भारत के समझदार मुस्लिम समुदाय के लिए एक सुनहरा अवसर के रूप में देख रहा हूं, क्योंकि अयोध्या में वे चूक गए अब काशी और मथुरा का सत्य सामने दिखाई दे रहा है। जिसे वे सदाशयता के साथ स्वीकार करते हैं तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए सामाजिक सदभाव की नींव रखी जा सकती है। क्योंकि औरंगजेब न किसी का पूर्वज हो सकता है और न आदर्श। उस खूनी आक्रांता को बचाने की लड़ाई लड़कर कुछ लोग देश को किस दिशा में ले जाना चाहते है। असदुद्दीन ओवेसी जैसे लोग राज करने का दिवास्वप्न देखने वाले मुट्ठीभर लोगों की राजनीतिक हवस का शिकार पूरा मुस्लिम समाज को नही बनना चाहिए।



मैने पांडवों का उदारण दिया, अर्थ समझें



पवैया ऐसे मामलों पर मुसलमानों द्वारा दी जाने वाली प्रतिक्रिया को भी गलत और खतरनाक बताते है। बकौल पवैया, ऐसे आस्था और संवेदनशीलता वाले मुद्दों पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया आज के उस भारत के लिए शुभ नही है जब देश विश्वगुरु के सिंहासन की तरफ आगे बढ रहा है। तो क्या यह भाषा धमकाने वाली नही है। इस पर पवैया कहते है मेरे ट्वीट में धमकी नही सलाह है। इसमें ऐसी सलाह है जो युग की जरूरत है। हम जो नही चाहते उस ओर देश को बढ़ना ठीक नही है। मैने पांडवों के पांच गांव का उदाहरण दिया है। उससे अर्थ को समझा जा सकता है। सीमित बातों में इतिहास के घाव भरे जा सकते है मैने या संकेत उदाहरण के साथ समझाया है।

 


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