संजय गुप्ता, INDORE. सबसे बड़े भूमाफियाओं में शामिल चंपू उर्फ रितेश अजमेरा, नीलेश अजमेरा, चिराग शाह, जितेंद्र उर्फ हैप्पी धवन के साथ ही बिल्डर मोहन चुघ और कैलाशचंद्र गर्ग को जिला प्रशासन ने फिर नोटिस जारी किए हैं। हाईकोर्ट में सुनवाई नजदीक है और दो फरवरी की बीती सुनवाई और सख्ती के बाद भी हर कोई एक-दूसरे की आड़ लेकर उन पर जिम्मेदार ढोलने में जुटा हुआ है। अधिकांश तो खुद पेश भी नहीं हो रहे हैं और वकीलों को भिजवा रहे हैं। नोटिस के बाद ना गर्ग पहुंचा ना चुग। इन सभी ने अपने वकील से जवाब भिजवा दिए। वहीं नीलेश और चिराग तो सामने आ ही नहीं रहे हैं। चंपू ने अपने जिम्मेदारी चिराग शाह पर ढोली हुई है।
ढाई सौ से ज्यादा पीड़ितों को लौटाना है प्लाट या जमा राशि
कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स टाउन और सेटेलाइट हिल में ढाई सौ से ज्यादा पीड़ितों को प्लाट या जमा राशि लौटाई जानी है, लेकिन जिन्हें प्लाट पर कब्जा भी दिया तो उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है, राशि मिली तो आधी-अधूरी मिली है, चेक भी कैश नहीं हुए हैं। अब ऐसे में जिला प्रशासन के पास एक ही रास्ता बचता है कि वह इन सभी भूमाफियाओं की संपत्ति कुर्क करने की मंजूरी मांगे और इसकी राशि से पीड़ितों को उनका हक दिलाए, साथ ही सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत पाए इन सभी भूमाफियाओं की जमानत निरस्ती का आवेदन औपचारिक तौर पर कोर्ट में लगाया जाए। बीती सुनवाई में मौखिक तौर पर प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर पहले ही कह चुके हैं कि यह भूमाफिया सपोर्ट नहीं कर रहे हैं और हम सभी की जमानत निरस्ती का आवेदन लगाना चाहते हैं।
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कालिंदी गोल्ड में महावीर जैन ने कहा- सब कुछ चिराग, हैप्पी, निलेश का किया धरा
कालिंदी गोल्ड सिटी के पीड़ितों को लेकर गोल्ड सिटी डेवलपर्स फर्म के भागीदार महावीर जैन ने प्रशासन के आगे खुलासा किया है कि वह केवल डमी व्यक्ति था। सब कुछ चिराग, नीलेश और हैप्पी का किया धरा है, यहीं फर्म में वास्तविक कर्ताधर्ता है। साल 2010 में जब यह फर्म बनाई तब उनके यहां आयकर रेड थी, तब मुझे और प्रवीश शाह को भागीदार बनाया गया। मेरा कोई लेना-देना नहीं है। इन्होने ही कालिंदी कंसट्र्क्शन कंपनी के डायरेक्टर प्रदीप नायक निवासी रानाडे कंपाउड पलासिया और भगवानदास चंदानी निवासी दस उत्कर्ष विहार के साथ करार किए। मैं मार्च 2013 में कंपनी से अलग हो गया था। इसके बाद निकुल कपासी इसमें जुड़ गया। सब कुछ इनके द्वारा ही किया धरा है, मैं तो खुद बेरोजगार हूं और इनके कारण सालों से परेशान हो रहा हूं।
कॉलोनी का एक हिस्सा इनके पास
इस कॉलोनी में पीड़ितों को चिराग का मैनेजर हैप्पी और निलेश पर तो हैप्पी चिराग पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं। वहीं चंपू भी चिराग पर जिम्मेदारी ढोल रहा है। कॉलोनी का एक हिस्सा योगिता अजमेरा के पास है, जो वह पीड़ितों को देने के लिए तैयार नहीं है।
फोनिक्स में एक और एफआईआर,लेकिन मामला वहीं का वहीं
फोनिक्स कॉलोनी को लेकर फिनिक्स डेवकांस कंपनी के मुख्य कर्ता धर्ता फिर वहीं चंपू उसकी पत्नी योगिता, नीलेश और उसकी पत्नी सोनाली अजमेरा, चंपू औऱ् नीलेश के पिता पवन अजमेरा, चिराग शाह रहे हैं। बाद में इसमें इनके कर्मचारी निकुल कपासी, रजत बोहरा, विकास सोनी आदि आ गए। फिनिक्स को सभी जादूगरों ने पेरेंटल ड्रग इंडिया से एक करोड़ का लोन बताकर और उसे नहीं चुकाकर डिफाल्टर करार करा चुके हैं। वहीं प्रशासन द्वारा जो पीड़ितों को प्लाट दिए गए, इसमें अभी भी रजिस्ट्री के कोई ठिकाने नहीं है। वहीं कमेटी के प्रमुख और अपर कलेक्टर डॉ. बेडेकर इस मामले में चिराग शाह की और धोखाधड़ी पहले ही पकड़ चुके हैं जिसमें 14 फरवरी 2022 को लसूडिया थाने में राजस्व निरीक्षक मनीष चतुर्वेदी के माध्यम से प्रशासन एफआईआर क्रमांक 0225 नंबर से चिराग शाह के साथ ही दीपक अग्रवाल, स्वाति अग्रवाल, गजराज सिंह, एंजिल इन्फ्राटेक, घनश्यामदास पर 467, 468, 470, 471,120 बी और 34 की धाराओं में केस दर्ज करा चुके हैं। इन सभी पर आरोप है कि मिलजुलकर फिनिक्स कॉलोनी में 26 भूखंडों का फायदा उठाया, टीएनसीपी में भी तीन बार नक्शे में खेल किया गया। यह कॉलोनी 38 हेक्टेयर पर है।
डमी व्यक्ति दीपक अग्रवाल के नाम करा दीं 26 भूखंडों की रजिस्ट्री
आरोप है कि चिराग शाह ने दीपक अग्रवाल नाम का डमी व्यक्ति खड़ाकर 26 भूखंडों की रजिस्ट्री दीपक के नाम करा दी, जबकि यह चिराग का ही व्यक्ति था और वास्तव में रजिस्ट्री चिराग ने ही करवाई। यहां पर चंपू जिम्मेदारी चिराग पर ढोल रहा है और उसका मैनेजर नीलेश, चंपू पर। फोनिक्स पीडितों की ओर से एक और शिकायत सामने आ रही है कि इसमें जो भी केस अभी सेटल हुए हैं, वह उन पीडितों के नहीं है जिन्होंने एफआईआर कराई थी और जो सालों से लड रहे हैं, बल्कि अधिकांश पीड़ित वह है जिनकी शिकायतें सुनवाई के दौरान आई थी। जैसे सुरभि तलवार पीड़ित है, इसी तरह दिनेश बृजधनवाने, गोविंद बेडिया यह सब वह लोग हैं, जिन्होंने थाने में केस कराया था लेकिन अभी तक इनके केस भूमाफियाओं ने सेटल नहीं किए हैं और ना ही प्रशासन भूमाफियाओं पर इसके लिए पर्याप्त दबाव बना पाई है।
सेटेलाइट हिल्स में किसानों के बयान, हमने तो जमीन बेची ही नहीं
उधर सेटेलाइट हिल्स में एक नई धोखाधड़ी का मामला सामने आ गया है, द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार कुछ किसान ऐसे सामने आए हैं और इन्होंने औपचारिक बयान भी दर्ज करा दिया है, जो जमीन भूमाफियाओं द्वारा सेटेलाइट हिल में बताई जा रही है, उसका तो सौदा ही पूरा नहीं हुआ है और फर्जी हस्ताक्षर के जरिए जमीन ली गई है। यह किसान अभी तक भटक रहे हैं और इसके चलते जमीन मिलने की संभावना ही नहीं है, जिससे पीड़ितों को प्लाट मिल सके। इसी मामले में इस जमीन के एक हिस्से पर बैंक लोन लेने वाले कैलाश गर्ग और यहां जमीन लेने का सिलसिला शुरू करने वाले मोहन चुग को भी प्रशासन ने नोटिस देकर तलब किया है।
भूमाफिया इस तरह झाड़ रहे पल्ला
यह कॉलोनी एवलांच कंपनी जो साल 2008 में मोहन चुघ और उनके बेटे नितेश चुघ ने बनाई उसके द्वारा लांच की गई। इसके बाद इसमें यह दोनों हट गए और कैलाश गर्ग और सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बन गए। इस गर्ग ने कुछ हिस्सा बैंक में गिरवी रख कर 110 करोड़ का बैंक लोन ले लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को एक प्रस्ताव पास किया और चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सभी सौदे करने के लिए पॉवर एटार्नी दे दी। वहीं नारायण एंड अंबिका साल्वेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी जिसने कॉलोनी के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और उसकी पत्नी योगिता जून 2005 में डायरेक्ट बने, जो साल 2009-10 तक रहे। यानी कि कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू अजमेरा द्वारा की गई। अब चंपू प्लॉट धारकों को प्लॉट देने से यह कहकर बच रहा है कि यह कॉलोनी तो गर्ग की थी और उसने बैंक से लोन ले लिया। वहीं गर्ग इसमें पीड़ितों को यह कहकर भगा रहा कि मैंने उस जमीन को गिरवी नहीं रखा, जो चंपू ने बेची, वह दूसरा हिस्सा था, तो चंपू ही निपटाएगा। इस पूरे खेल में पीड़ित और अधिकारी उलझ कर रह गए हैं। जिन्हें कब्जा देना भी बताया जा रहा है, वहां गर्ग एंड कंपनी भगा देती है।