फरीद शेख, KHARGONE. खरगोन के महेश्वर विधानसभा क्षेत्र में ग्राम पिपलिया बुजुर्ग के ग्रामीण शिकायतकर्ता अब खुद परेशान होते नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत पिपलिया बुजुर्ग से लगी फिफरिया के समीप गौचर भूमि के सरकारी होने और उस पर इंदौर के व्यवसायी किसान संदीप साहू के कब्जा किए जाने की शिकायत की थी लेकिन जिम्मेदार अधिकारी करही टप्पा तहसीलदार मनीष जैन ने उल्टा शिकायतकर्ताओं को ही नोटिस जारी कर दिया।
तहसीलदार ने शिकायतकर्ताओं से ही मांगा जवाब
तहसीलदार मनीष जैन ने नोटिस में शिकायतकर्ताओं पर ही सवाल खड़े कर दिए और जवाब मांगा कि आपका जमीन से क्या वास्ता है ? जबकि ग्रामीणों का कहना है कि कई सालों से शिकायत के बावजूद अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जब सीएम हेल्पलाइन में 70 एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारी के कब्जा करने की शिकायत की तो उल्टा तहसीलदार ने उन्हें ही ये कहते हुए नोटिस जारी कर दिया कि इस जमीन से आप लोगों का क्या वास्ता है स्पष्ट करें और शिकायत बन्द करने का दबाव डाल रहे हैं। ऐसे में समझने वाली बात है कि ग्राम से लगी भी गौचर भूमि जो पशुओं के चारे की व्यवस्था के लिए सरकार से आवंटित होती है। उस पर अतिक्रमण किए जाने पर की शिकायत को लेकर अगर ग्रामीणों को ही नोटिस जारी होने लगे तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अधिकारियों और अतिक्रमणकारी के बीच सांठगांठ है।
गौचर की जमीन पर इंदौर के व्यवसायी का कब्जा
ग्राम पंचायत पिपलिया बुजुर्ग में लगभग 70 एकड़ सरकारी गौचर भूमि पर इंदौर के व्यवसायी संदीप अमृतराज साहू के कब्जा किए जाने की शिकायत ग्रामीण महेंद्र शुक्ला, जगदीश मुकाती, नरेंद्र सहित अन्य ने की है। ये शिकायत पहली बार नहीं की गई बल्कि पहले भी शिकायत हुई हैं। लेकिन प्रशासन संबंधित अतिक्रमणकारी को दंड कर नियत राशि जमा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
अब तक कोई कार्रवाई नहीं
ग्राम पंचायत पिपलिया बुजुर्ग के शिकायतकर्ता महेंद्र शुक्ला और जगदीश मुकाती का कहना है कि पहले भी कई बार गांव की गौचर भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की गई लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब सीएम हेल्पलाइन पर इस उम्मीद से शिकायत की गई थी कि गांव के लिए उपयुक्त गौचर भूमि पर हुए अतिक्रमण प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी लेकिन करही टप्पा तहसीलदार मनीष जैन ने नोटिस जारी कर दिया। तहसीलदार का सवाल करना मिलीभगत को साबित करता है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव से लगी लगभग 70 एकड़ जमीन पर बगीचे निर्माण किए गए हैं जिसमें अधिकांश भूमि गौचर है। इंदौर के व्यवसायी ने जमीन पर कब्जा किया है। शिकायत पर करही टप्पा तहसीलदार द्वारा छोटी-सी दंड राशि वसूल कर जमीन नाम पर करने का खेल रचा जा रहा है। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि अफसर न केवल अतिक्रमणकारी का साथ दे रहे हैं बल्कि खुद का मतलब भी साध रहे हैं।
ग्रामीणों ने की अतिक्रमण हटाने की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च अधिकारियों से जांच कराकर अतिक्रमण को हटाया जाए। ग्राम पंचायत को गौचर भूमि अतिक्रमण मुक्त करके सौंपी जाए। हालांकि करही टप्पा तहसीलदार मनीष जैन का कहना है कि शिकायत पर कार्रवाई की जाती है। यदि ग्रामीणों को गौचर भूमि पर पशु चराना है तो जाएं, चराएं, किसने रोका है। तहसीलदार ने आक्रोशित होते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि पूरे मध्यप्रदेश में किसानों ने कहीं न कहीं सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रखा है। दंड और बेदखली की प्रक्रिया की जाती है। जब भी सरकार को जमीन की जरूरत होती है खाली करवा ली जाती है। यदि इन्हें कोई कानूनी कार्रवाई ही करना है तो न्यायालय खुले हैं, न्यायालय जाएं। तहसीलदार के इस बयान से साफ नजर आता है कि ग्रामीण चाहे सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर लें या सीएम पास चले जाएं। होगा वही जो अफसर चाहेंगे। वह भी ऐसे अतिक्रमणकारियों के इशारे पर जो सरकारी जमीनों पर कब्जे का चक्रव्यूह रचते हैं।