भानपुर खंती में नहीं बनेंगे आईएसबीटी और आवास, टीएंडसीपी का लैंड यूज चेंज करने से इंकार, नगर निगम के केंसिल किए टेंडर

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Rahul Sharma
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भानपुर खंती में नहीं बनेंगे आईएसबीटी और आवास, टीएंडसीपी का लैंड यूज चेंज करने से इंकार, नगर निगम के केंसिल किए टेंडर

Bhopal. राजधानी भोपाल में ओल्ड डंपिंग साइट भानपुर खंती में अब न तो आईएसबीटी का निर्माण होगा और न ही यहां पीएम आवास योजना के तहत 320 आवास बनेंगे। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग यानी टीएंडसीपी ने भानपुर खंती के लैंड यूज को चेंज करने से मना कर दिया है। जिसके बाद भोपाल नगर निगम ने यहां निर्माण के लिए बलाए गए टेंडर को केंसिल कर दिया है। बता दें कि भानपुर खंती पर आवासीय ईकाई और अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल यानी आईएसबीटी का नियम विरूद्ध तरीके होने वाला निर्माण और इन निर्माणों से होने वाले संभावित खतरे को लेकर सिर्फ और सिर्फ द सूत्र ने ही 26 जनवरी को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद टीएंडसीपी में लैंड यूज चेंज करने को लेकर आपत्तियां आई। आपत्तियां के निरीक्षण के बाद इन्हें सही पाया गया और टीएंडसीपी ने भानपुर खंती का लैंड यूज कृशि से बदलकर आवासीय करने से मना कर दिया। जिसके बाद भोपाल नगर निगम ने भी अपने हाथ पीछे खेंच लिए।   





द सूत्र ने यह किया था खुलासा





 



द सूत्र ने अपनी खबर में खुलासा किया था कि राजधानी भोपाल में करीब 5 साल पहले भानपुर खंती को बंद किया, पर 46 सालों तक यहां जमा कचरे के कारण इस इलाके का ग्राउंड वॉटर प्रदूषित हो गया और जमीन के अंदर जहरीली और विस्फोटक गैसे जमा हो गई। मीथेन गैस जिसे साइंस की भाषा में मार्स गैस कहा जाता है ये काफी विस्फोटक होती है, इससे बड़ा विस्फोट हो सकता है जिससे बड़ी संख्या में जानमाल की हानि हो सकती है। मध्यप्रदेश पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी पीसीबी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के सामने यह सबमिशन दिया है कि भानपुर खंती के आसपास का भूजल बहुत बुरी तरीके से प्रदूषित है। यानी यदि हाउसिंग सोसायटी बनाई जा रही है तो वहां का पानी पीने से लोग गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाएंगे। नियमानुसार 15 सालों तक इसके आसपास के एरिए में बड़ा निर्माण नहीं हो सकता, लेकिन भोपाल नगर निगम यानी बीएमसी इसी जमीन के उपर 320 आवास बनाकर लोगों की जिंदगी खतरे में डालने वाली थी।   





96 करोड़ से आवास योजना के फ्लैट और आईएसबीटी का होना था निर्माण 





भानपुर में भोपाल नगर निगम 96 करोड़ से आवास योजना के फ्लैट और आईएसबीटी का निर्माण उस जगह पर करने वाली थी, जहां 5 साल पहले तक लाखों टन कचरा डंप था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत खंती की आधी पड़ी हुई खाली जमीन पर नाले की ओर 320 आवासीय फ्लैट का निर्माण होना था। ये आवासीय फ्लैट हाउसिंग फॉर आल योजना के तहत लोगों को दिए जाने वाले थे। शेष बची आधी जमीन पर रेलवे लाइन की ओर आईएसबीटी यानी इंटर स्टेट बस टर्मिनल को बनाया जाना था। 





टीएंडसीपी ने इसलिए नहीं किया लैंड यूज में बदलाव





सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी सीपीसीबी की गाइडलाइन फॉर डिस्पोजल आफ लेगेसी वेस्ट  के पेज 22 पर 4.4.4 में यह स्पष्ट दिया गया है कि बंद हो चुकी कचरा खंती से 15 सालों तक 500 मीटर के दायरे में कोई भी बड़ा निर्माण नहीं हो सकता, खासकर आवासीय प्रोजेक्ट तो बिल्कुल भी नहीं। इस नियम का हवाला देकर पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडे ने टीएंडसीपी में आपत्ति लगाई थी। जिसके बाद आपत्ति का परीक्षण कर इसे सही पाया गया और टीएंडसीपी ने लैंड यूज चेंज करने से मना कर दिया। बता दें कि यह गाइडलाइन इसलिए ही बनाई गई क्योंकि प्रदूषित पानी से लोगों के स्वास्थ पर असर पड़ेगा, वहीं जमीन में दफन गैसों से कभी भी विस्फोट की स्थिति बन सकती है, इससे उस निर्माण पर हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहेगा। 15 सालों में जमीन के इन गैसों का प्रभाव कम हो जाएगा, जिसके बाद हुए निर्माण में कोई खतरा नहीं रहेगा।





सेंसेटिव जोन में बीएमसी बना चुकी है 960 फ्लैट 





भोपाल नगर निगम यानी बीएमसी की लापरवाही का आलम यह है कि भानपुर कचरा खंती से 500 मीटर के सेंसेटिव जोन के अंदर ब्रिज के दूसरी ओर 390.41 मीटर दूरी पर 960 आवासीय फ्लैट का निर्माण कर चुकी है। इन फ्लैट में अब फिनिशिंग वर्क किया जा रहा है। इनमें 528 ईडब्ल्यूएस और 432 एमआईजी फ्लैट शामिल है। भोपाल नगर निगम 5 लाख 25 हजार की दर से ईडब्ल्यूएस कैटेगिरी के सभी 528 फ्लैट सेल कर भी चुकी है। जबकि यहां भी जहरीले पानी और गैसों का खतरा तो बना ही हुआ है।  भानपुर में ब्रिज के दूसरी ओर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो 960 फ्लैट बनाए गए उनमें एलआईजी श्रेणी के 432 फ्लैट हैं। इन फ्लैट की कीमत 16 लाख 50 हजार रूपए है, लेकिन अभी भी इस इलाके में आ रही गंदी बदबू और जहरीले पानी की वजह से लोगों ने इस प्रॉपर्टी में रूचि लेना बंद कर दी। जिसके कारण फिलहाल यह प्रोजेक्ट खटाई में है। इस सबके बावजूद अब भोपाल नगर निगम जहां कचरा डंप होता था उसके उपर ही करोड़ों खर्च कर फ्लैट बनाने जा रहा था।



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