देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर में वायरल फीवर से पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। सर्दी-जुकाम और बुखार की शिकायत लेकर बच्चे-बुजुर्ग अस्पताल पहुंच रहे हैं। सरकारी अस्पताल के बेड फुल हो गए हैं। डॉक्टर इसे वायरल ब्रोंकियोलाइट्स नाम दे रहे हैं, इसका असर बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे ज्यादा है। वहीं देश में H3N2 वायरस तेजी से फैल रहा है, लेकिन ग्वालियर में इसके टेस्ट करने के लिए सुविधा नहीं है। वायरल ब्रोंकियोलाइट्स के लक्षण H3N2 से मिलते-जुलते हैं, इसलिए डॉक्टर एहतियात बरतते हुए H3N2 से बचाव के लिए ही इलाज कर रहे हैं।
यह होते है लक्षण
H3-N2 वायरस से मिलते जुलते मरीज ग्वालियर में काफी संख्या में मिल रहे हैं। यही हाल ग्वालियर चंबल अंचल में दिखाई दे रहा है। ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में जुकाम-खांसी और बुखार के मरीजों की संख्या लगभग 4 गुनी पहुंच गई है। जो मरीज अस्पताल में दिखाने के लिए आ रहे हैं, उसमें इस वायरस से मिलते जुलते लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन पूरी तरह इसको लेकर अलर्ट है। इसमें भी कोरोना जैसे लक्षण होते हैं यानी खांसी, जुकाम, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत,चेस्ट इंफेक्शन आदि। लेकिन यह कोरोना जैसा घातक नहीं है। इसमें सिर मं दर्द के साथ, सूखी खांसी आती है इसलिए फेंफड़ों पर असर होता है।
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15-20 दिन में ठीक होता है पेशेंट
जयारोग्य अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इस समय अस्पताल में सबसे अधिक मरीजों की संख्या उन लोगों की है जिनको सर्दी जुकाम खांसी और बुखार है। अधिकतर ऐसे मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ऐसे मरीजों की जांच की जा रही है ताकि इन्फ्लूएंजा वायरस पुष्टि हो सके लेकिन उनका कहना है कि अभी तक इस इस वायरस का कोई मरीज सामने नहीं आया। इसलिए सिर्फ फ्लू वायरल के रूप में देखा जा रहा है। फिर मरीजों को ऐसी शिकायत है वह मरीज ठीक होने में लगभग 15 से 20 दिन तक ले रहे हैं।
डॉक्टर की सलाह- अपनी मर्जी से एंटी वायोटिक कतई ना लें
इसके साथ ही अंचल में बुजुर्ग और युवा लोगों के साथ-साथ, यह वायरल अब बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है। जीआर मेडिकल कॉलेज के पीएसएम विभाग के एचओडी और जयारोग्य चिकित्सा समूह के अधीक्षक रहे डॉ.अशोक मिश्रा का कहना है कि बदलता मौसम वायरस के लिए सबसे ज्यादा सहयोगी होता है। ये इन्फ्लूएंजा का एक सब टाइप है एच2 एन3। इसमें कोविड के लक्षण हैं लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। कोविड में आरटीपीसीआर पॉजिटिव आ जाता है इसमें पॉजिटिव नहीं आएगा। इसमें मृत्युदर इतनी नहीं है, लेकिन लक्षण आने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। डॉ. मिश्रा का ये भी कहना है कि इसमें बगैर डॉक्टर की सलाह के और अपनी मर्जी से एंटी वायोटिक ना लें। डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा ही लें।
यह वायरस सबसे ज्यादा अटैक बच्चो पर
आईसीयू में लगभग 40 बच्चे भर्ती है इनमें से अधिकतर बच्चे एक वर्ष से कम उम्र के हैं। और इस बीमारी के लक्षण इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस मिलते-जुलते हैं। पीडियाट्रिक विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ ने बताया है कि खांसी सर्दी जुकाम बुखार होने के साथ-साथ इन बच्चों में पसलियां चलने लगती हैं। साथ ही ऐसे बच्चों को अधिकतर खांसी आना, तेजी के साथ सांस लेना, उल्टी और लगातार खांसी होने के साथ-साथ बच्चों को तेजी से बुखार आ रहा है। इसके साथ ही यह वायरल तेजी से एक-दूसरे के संपर्क में आने वालों में भी फैल रहा है। यही कारण है कि ऐसे बच्चों को जब ऐसी शिकायत है, तो दूसरे बच्चे को संपर्क में नहीं लाना चाहिए। डॉ. गौड़ कहते हैं कि ग्वालियर चम्बल अंचल में काफी बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों में बाकी के साथ बच्चों में पसलियां चलने के भी लक्षण आ रहे हैं और खांसी काफी दिन तक चलती है।
एक साल से छोटे बच्चों को बहुत दिक्कत
डॉ. गौड़ बताते हैं कि यह वायरल एक साल से छोटे बच्चे को ज्यादा परेशान कर रहा है। वे खांसी में कफ को बाहर नहीं निकाल पाते, इसलिए वे उसे बाहर नहीं निकाल पाते इसलिए उन्हें तकलीफ बढ़ जाती है और उन्हें भर्ती करना पड़ता है।
बच्चों के आईसीयू हुआ फुल
डॉ. अजय गौड़ का कहना है कि इस समय वायरल का प्रकोप बढ़ने के कारण मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है, जो पलंग की तुलना में बहुत ज्यादा है लेकिन सभी को एडजस्ट कर समुचित इलाज किया जा रहा है। उनका कहना है कि आईसीयू की स्थिति भी ऐसी है। कमलाराजा हॉस्पिटल का पीडियाट्रिक आईसीयू में 40 बच्चे अभी भर्ती नहीं हैं।
सीएमएचओ का दावा- अभी H3N2 का कोई केस नहीं
जिले के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस से मिलता जुलता वायरल है। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि अभी इस बार इसका मध्यप्रदेश में कोई मरीज सामने नहीं आया है। यही कारण है कि ऐसे मिलते-जुलते वायरस के लक्षण मरीजों और बच्चों में देखने को मिल रहे हैं और इसी को लेकर स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों के लिए अलग से ओपीडी लगाने के निर्देश जिला अस्पताल और जयारोग्य अस्पताल में भी दिए हैं। साथ ही बच्चे और बुजुर्गों को दूर रहने के लिए कहा गया है क्योंकि यह वायरस संपर्क में आने वालों को फैल रहा है इसलिए वैक्सीन और कोरोना टेस्ट पर भी लगातार मीटिंग की जा रही है।
जबकि हकीकत ये कि टेस्ट की व्यवस्था ही नहीं
एक तरफ सीएमएचओ का दावा है जबकि हकीकत कुछ और ही है। दरअसल, ग्वालियर में एक भी पीड़ित का टेस्ट ही नहीं हुआ। जिससे यह पुष्टि हो सके कि पीड़ित H3N2 वायरस का शिकार है या नहीं? पीडियाट्रिक विभाग के प्रमुख डॉ. गौड़ मानते हैं कि अभी यहां इसके टेस्ट की कोई सुविधा नहीं है लिहाजा आईसीएमआर की गाइडलाइन के हिसाब से हम लोग पीड़ितों का इलाज इन्फ्लूएंजा के नए वायरस के हिसाब से ही कर रहे हैं और मरीज ठीक होकर घर भी जा रहे हैं।
जेएएच में H3N2 वायरस जांचने वाली किट ही नहीं
एक तरफ इस नए वायरस ने कोहराम मचा रखा है वहीं सरकारी गंभीरता की हालत ये है कि ना तो स्वास्थ्य विभाग और ना ही जेएएच प्रबंधन के पास इस वायरस की जांचने की कोई व्यवस्था है। गजराराजा मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजिकल लैब के नोडल अधिकारी डॉ. वैभव मिश्रा का कहना है कि उन्होंने एच 3 एन 2 वायरस की जांच के लिए किट के ऑर्डर जारी कर दिए हैं। यही बात डीन डॉ.अक्षय निगम ने कही। अभी तक तो इसकी जांच ही शुरू नहीं हुई। मामला, मीडिया में आने के बाद अब कहा जा रहा है कि किट आ गई है इसलिए जांच के सेंपल डीआरडीई में भेजेंगे।