भोपाल। राजधानी के वल्लभ भवन (Mantralay) और सतपुड़ा (Satpura) में बैठने वाले अफसर पत्नियों से लड़कर ऑफिस आते हैं। उन्हें कब्ज (Constipetion) की शिकायत भी रहती हैं। इस वजह से वे अतार्किक निर्णय लेते हैं। इस स्थिति में सुधार के लिए ऐसे अफसरों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग करानी चाहिए और उन्हें पेट साफ रखने के लिए क्रीमाफिन प्लस सस्पेंशन देना चाहिए। यह रोचक सुझाव बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर (BMC Sagar)) की मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (MTA) ने राज्य स्तरीय प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (PMTA) को दिया है।
मेडिकल एजुकेशन के ACS का अतार्किक निर्णय
बीएमसी, सागर की मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो.(डॉ) सर्वेश जैन एवं सचिव डॉ. शैलेंद्र पटेल ने यह लिखित सुझाव मंगलवार, 7 सितंबर को एसोसिएशन की स्टेट बॉडी प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (पीएमटीए) मध्यप्रदेश के अध्यक्ष और सचिव के नाम जारी किया है। उन्होंने इस पत्र में चिकित्सा शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) के एक अतार्किक निर्णय का उल्लेख किया है। जिसमें संबंधित एसीएस ने चिकित्सा शिक्षा विभाग में सातवें वेतनमान का लाभ 2018 से देने का निर्णय लिया था। जबकि सरकार के दूसरे विभागों में इस वेतनमान का लाभ जनवरी 2016 से लागू किया गया।
अफसरों को मोटिवेशनल वीडियो, पेटसफा भेजें मेडिकल टीचर्स
वेतनमान लागू करने में किए गए भेदभाव पर मेडिकल टीचर्स उक्त एसीएस से मिलने मंत्रालय (वल्लभ भवन) गए तो वे भड़क गए। वे सभी से बोले डॉक्टर साहब सस्पेंड नहीं करूंगा, सीधा मेडिकल रजिस्ट्रेशन कैंसिल करूंगा। आपको प्रैक्टिस करने लायक भी नहीं छोड़ूंगा। अतः प्रदेश की पीएमटीए सरकार से अनुरोध करे कि वह ऐसे सभी अफसरों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग कराए। इन अधिकारियों को क्रीमाफिन प्लस सस्पेंशन उपलब्ध कराया जाए। जब तक शासन स्तर पर संबंधित अफसरों के लिए यह व्यवस्था नहीं होती तब तक प्रदेश के सभी मेडिकल टीचर्स उनके ई-मेल एवं वाट्सएप पर मोटिवेशन वीडियो भेजें। इसके अलावा सभी अफसरों के ऑफिस के एड्रेस पर क्रीमाफिन प्लस, डूफालेक सस्पेंशन या पेटसफा भी भेजें।