DHAR. धार जिले की कुक्षी तहसील कई मायनों में खास है। यहां की आदिवासी संस्कृति प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी विशेष स्थान रखती है। होली के समय यहां लगने वाले भगोरिया मेले और उसमें उमड़ने वाली भीड़ और आदिवासी संस्कृति को पास से निहारने देश-दुनिया से लोग आते हैं। इस इलाके का जितना समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास है, उतना ही साफ यहां का राजनीतिक मिजाज है।
कुक्षी विधानसभा सीट का सियासी मिजाज
धार जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से एक कुक्षी कई मायनों में खास है। एक समय मध्यप्रदेश की राजनीति में विपक्ष की आवाज मजबूती से रखने वाली जमुना देवी इसी कुक्षी विधानसभा सीट से जीतकर सदन पहुंची थीं। कुक्षी पर कांग्रेस का एकतरफा राज रहा है। अब तक हुए 15 चुनावों में यहां कांग्रेस को 12 बार जीत मिली तो वहीं साल 1962 में जनसंघ, 1990 में बीजेपी और 2011 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। कुल मिलाकर 3 बार कांग्रेस से जनता को मोह भंग हुआ। वर्तमान में यहां से कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह (हनी) बघेल विधायक हैं। 15 महीने की कमलनाथ सरकार में बघेल नर्मदा घाटी विकास मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
कुक्षी विधानसभा सीट का राजनीतिक समीकरण
2018 के विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले हनी बघेल कुक्षी से जीतकर कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। हनी बघेल पहली बार 2013 में यहां से विधायक बने थे। 2018 में 63 हजार वोटों से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह को हराया था। इससे पहले उनके पिता प्रताप सिंह बघेल और जमुना देवी के बीच कांग्रेस के टिकट को लेकर खींचतान मचती रही। कभी जमुना देवी तो कभी प्रताप सिंह यहां से जीतते रहे लेकिन जनता के बीच कांग्रेस ही पहली पसंद रही। हालांकि तीन मौके ऐसे भी आए जब जनता ने कांग्रेस को भी नकार दिया था। साल 2023 में कांग्रेस की तरफ से हनी बघेल तय उम्मीदवार हैं तो वहीं बीजेपी की तरफ से कई नाम सामने हैं। तो वहीं जयस भी इस इलाके में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा रही है। जयस की मौजूदगी बघेल और बीजेपी दोनों की नींद उड़ाने के लिए काफी है।
कुक्षी विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर मुद्दे और चेहरे का साथ-साथ जातिगत समीकरण साधना भी अहम है। यहां अनुसूचित जनजाति वोट निर्णायक स्थिति में हैं। ऐसे में आदिवासी बाहुल्य डही क्षेत्र जो कांग्रेस का गढ़ है। वहां के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हर बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को यहां से इतने वोट मिलते आए हैं कि कुक्षी क्षेत्र के मतदाताओं का झुकाव बीजेपी के साथ होने के बाद भी कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव जीत जाते हैं। हालांकि, पाटीदार और सिर्वी समाज भी इस इलाके में प्रभावी हैं।
कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
अन्य आदिवासी इलाकों की तरह ही इस इलाके में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां रोजगार, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य तो बड़े मुद्दे हैं ही। इसके साथ ही खराब कानून व्यवस्था इस इलाके की छवि को धूमिल करती है। यहां अस्पतालों में डॉक्टर की कमी है, स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। रोजगार के अवसरों की कमी है तो वहीं साफ पीने के पानी की भी कमी है। इन सवालों के जवाब जानने के लिए जब हमने इलाके के स्थानीय नेताओं से बात की तो दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। वहीं जयस ने दोनों दलों को जमकर कोसा।
द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से भी बात की तो कुछ सवाल निकलकर आए।
द सूत्र ने कुक्षी विधायक से पूछे सवाल
- 15 महीने की सरकार में आपके इलाके के कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ?
सवालों से भागे कुक्षी विधायक हनी बघेल
द सूत्र ने जब विधायक हनी बघेल से जनता के सवालों के जवाब मांगे तो उनके पास कोई जवाब नहीं थे। विधायक हनी बघेल जनता के सवालों से भागते नजर आए।
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