BHOPAL. यदि पारदर्शिता और जवाबदेही को ईमानदारी का पैमाना माना जाए तो मध्यप्रदेश में सिर्फ 6 फीसदी विधायक ही जनता के प्रति ईमानदार हैं। जी हां, आपने सही सुना। दरअसल पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में विधानसभा में पूरे सदन की सहमति से एक संकल्प पारित किया गया था। संकल्प ये था कि हर विधायक को अपनी और अपने परिवार की सालाना आय का ब्यौरा पटल पर सार्वजनिक करना होगा। लेकिन बीते 3 साल में सिर्फ 14 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया है। हैरानी की बात ये भी है जिन सदस्यों ने इस संकल्प का स्वागत कर कानून बनाने की मांग की थी। उन्होंने भी अपनी प्रॉपर्टी जनता के सामने नहीं रखी।
18 दिसंबर 2019 को मध्यप्रदेश विधानसभा में रखा गया संकल्प
18 दिसंबर 2019 को मध्यप्रदेश विधानसभा में एक संकल्प रखा गया। इस संकल्प में कहा गया कि हर सदस्य अपने और अपने परिवार की संपत्ति का ब्यौरा हर साल 31 मार्च से 30 जून के बीच विधानसभा में पेश करेगा जो जनता के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। ये प्रस्ताव महज 14 मिनट में ही सर्वसम्मति से पारित हो गया। 14 मिनट की चर्चा ये बताती है कि इसके विरोध में कोई था ही नहीं और सबने इसे स्वागत योग्य बताते हुए इसका समर्थन किया। इसलिए इस पर चर्चा की आवश्यकता नहीं रही।
द सूत्र ने की पड़ताल
जब द सूत्र ने इसकी पड़ताल की तो हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। विधानसभा की जानकारी के अनुसार 3 साल में अब तक सिर्फ 14 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति सार्वजनिक की। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह कहते हैं कि बीजेपी सरकार सर्वसम्मति से पारित संकल्प को ही ठेंगा दिखा रही है। आखिर अपनी संपत्ति जनता को बताने में क्या हर्ज है।
अब आपको बताते हैं इस संकल्प को पारित करने के पहले विधायकों ने इसके पक्ष में क्या-क्या कसीदे गढ़े थे।
डॉ. गोविंद सिंह ने जब संकल्प पटल पर रखा तो सबसे पहले विश्वास सारंग बोले।
विश्वास सारंग ने कहा कि जो व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रहा है वो जनता के प्रति उत्तरदायी है। उसके हर पहलू की पारदर्शिता समाज के सामने आनी चाहिए। इस संकल्प पर कानून बनाना चाहिए। हर व्यक्ति को पता चले कि उसके जनप्रतिनिधि और उसके परिवार की क्या संपत्ति है और उन्होंने क्या अर्जित किया है। इस संकल्प की वकालत करने वाले सारंग ने ही अपनी संपत्ति सार्वजनिक नहीं की।
तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान में मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि इस संकल्प की प्रतिपूर्ति के लिए बीजेपी का हर सदस्य इस संकल्प पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। खुद गोपाल भार्गव ने ही ये प्रतिबद्धता नहीं दिखाई। गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कहा था कि जो झूठी जानकारी दे उस पर दंड का प्रावधान करें।
अजय विश्नोई ने कहा था कि सिर्फ विधायकों ही नहीं बल्कि पारदर्शिता के लिए ये भी जरुरी किया जाए कि आईएएस और आईपीएस भी अपनी संपत्ति सार्वजनिक करें। लेकिन विश्नोई ने भी खुद की संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा में नहीं दिया।
विधायक रामपाल सिंह ने भी अफसरों की संपत्ति सार्वजनिक करने की वकालत की। रामपाल सिंह ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक नहीं की। द सूत्र ने जब भोपाल दक्षिण पश्चिम से विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा से सवाल किया तो वो बोले कि उन्होंने भी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। विधायक पीसी शर्मा ये तो कह रहे हैं कि सभी विधायकों को ब्यौरा देना चाहिए लेकिन अब तक उन्होंने खुद ही अपनी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
इन विधायकों ने दिया संपत्ति का ब्यौरा
- शिवराज सिंह चौहान (मुख्यमंत्री)
बीजेपी के 8 और कांग्रेस के 6 विधायकों ने दिया संपत्ति का ब्यौरा
डॉ. गोविंद सिंह ने भले ही हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया हो लेकिन कांग्रेस के ही सिर्फ आधा दर्जन विधायकों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की है। वहीं, बीजेपी के 8 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है। गोपाल भार्गव कहते हैं कि संकल्प में कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन हम सीएम से चर्चा करेंगे कि बीजेपी के सभी विधायक अपनी संपत्ति सार्वजनिक करें। ये तो इच्छा पर निर्भर है। दूसरी बात ये है कि अभी इलेक्शन आने वाला है। तो सबको ब्यौरा तो देना ही पड़ेगा। कई लोग संपत्ति के ब्यौरे को ही ब्यौरा मान लेते हैं, जो वो इलेक्शन कमीशन को देते हैं। इस वजह से भी कुछ लोग नहीं देते। इस मामले को लेकर हम सभी से चर्चा करेंगे।
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संपत्ति का ब्यौरा नहीं देने के पीछे अजीब-सा तर्क
डबरा से कांग्रेस के विधायक सुरेश राजे से जब द सूत्र ने यही सवाल पूछा तो बोले कि हमने तो ब्यौरा दे दिया है। द सूत्र ने जब यही सवाल इंदौर की देपालपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक विशाल पटेल से पूछा। उन्होंने कहा कि जिस दिन से सरकार बदली है। उस दिन से सिस्टम ही बदल गया है। ये लोग (बीजेपी वाले) विधानसभा ही नहीं चलने दे रहे हैं। फिर विधायक क्या ब्यौरा देगा, और जो चोर है, जिसके मन में पाप है वो क्या ब्यौरा देगा। अभी तक हमने भी ब्यौरा नहीं दिया है। यानी विशाल पटेल ने ब्यौरा नहीं दिया और इसके पीछे उनका अजीब-सा तर्क है कि जब विधानसभा सत्र ही नहीं चल पा रहा है तो फिर ब्यौरा देने का क्या मतलब है।
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विधानसभा में विधायकों की मनमर्जी
खैर, हमने ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस के विधायक प्रवीण पाठक से भी यही सवाल किया तो वो बोले कि उन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी दे दी है। अब इन विधायकों की बातचीत से तो यही लगता है कि 18 दिसंबर 2019 को विधानसभा में सबकी मर्जी से पारित हुए संकल्प का पालन मनमर्जी पर निर्भर करता है। यानी मन करेगा तो संपत्ति का ब्यौरा दे देंगे और मन नहीं होगा तो नहीं देंगे।