मध्यप्रदेश में कोरोना में जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों में से महज 22% को मिले 50 लाख, बाकी नियमों में उलझे

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Arun Dixit
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मध्यप्रदेश में कोरोना में जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों में से महज 22% को मिले 50 लाख, बाकी नियमों में उलझे

BHOPAL. कोरोना काल में सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा माना था और उनके लिए एक योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत कोरोना से मौत होने पर सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को 50 लाख की मुआवजा राशि दी जाएगी, लेकिन सरकार ने विधानसभा में एक बड़ा खुलासा किया है। सिर्फ 22 फीसदी सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को ही कोरोना योद्धा के 50 लाख रुपए मिले हैं। बाकी 78 फीसदी कोरोना योद्धा के परिजन सरकार की 18 बिंदुओं की चक्की में पिस गए। बेदर्द सरकार ने उनको कोरोना योद्धा मानने से इनकार कर दिया। कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने ये लिखित जवाब दिया। 





78 फीसदी की जान की कोई कीमत नहीं 



 



सरकार के मुताबिक प्रदेश के सभी जिलों से 325 सरकारी कर्मचारी कोरोना काल में मौत के शिकार हुए। इनमें से सिर्फ 71 लोगों के परिजनों को कोरोना योद्धा सम्मान निधि 50 लाख रुपए मिली। ये आंकड़ा महज 22 फीसदी होता है। इनमें से 168 कर्मचारियों के परिजनों के आवेदनों को राजस्व विभाग के राहत आयुक्त ने रिजेक्ट कर दिया। क्योंकि ये आवेदन उनकी शर्तों को पूरा नहीं करते थे। 33 मामलों में उनके बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई, जबकि अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान तो पहले से ही है। कोरोना योद्धा योजना के तहत उनको 50 लाख रुपए भी मिलने थे, लेकिन यहां पर सरकार ने चालाकी दिखा दी। इनमें से 30 लोगों के परिजनों ने आवेदन नहीं ​किया। इस तरह से सरकार के पास सिर्फ 23 मामले पेंडिंग हैं। 





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इन नियमों में फंस गई कोरोना योद्धाओं की जान





कोरोना योद्धा योजना के लिए सरकार ने 18 बिंदुओं के पैरामीटर बनाए थे। इनको पूरा करने पर ही कोरोना काल में जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारी को कोरोना योद्धा का दर्जा मिलता था। इन 18 बिंदुओं में प्रयोगशाला रिपोर्ट जिसमें ये प्रमाणित किया गया हो कि कोविड के परीक्षण में सकारात्मक परिणाम आए थे, यानी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव होना चाहिए। जिस अस्पताल में मौत हुई हो उसकी मौत की डिटेल रिपोर्ट, डेथ सर्टिफिकेट और संबंधित कार्यालय का प्रमाण पत्र जिसमें ये प्रमाणित किया गया हो कि व्यक्ति सरकारी कर्मचारी था और कोविड नियंत्रण के लिए काम कर रहा था। यानी ये वे नियम थे जिनमें उन कोरोना काल में जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों की जान उलझकर रह गई। कोविड से मौत होने के बाद भी जिन दस्तावेजों में कोविड का कारण न लिखा गया हो तो उनको कोरोना योद्धा नहीं माना गया। 





इन जिलों में सबसे ज्यादा मौत 







  • टीकमगढ़- 36



  • उज्जैन- 28


  • अशोक नगर- 30


  • शहडोल- 27






  • इन जिलों में एक भी मौत नहीं  







    • उमरिया



  • आगर मालवा


  • सीधी


  • सतना


  • भिंड


  • गुना


  • बुरहानपुर






  • कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप





    विधानसभा में सवाल उठाने वाले कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में सरकारी कर्मचारियों की मौत के झूठे आंकड़े दिए हैं, जबकि 152 तो अकेले पुलिसकर्मियों के थे। 325 की ये संख्या असली आंकड़ों की आधी से भी कम है। प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि सरकार ने इनकी जान की कोई कीमत नहीं समझी और नियमों में उलझाकर इनकी फर्ज को लेकर हुई मौत को नजर अंदाज कर दिया। सिर्फ 22 फीसदी को ही योजना का लाभ मिल पाया है, यह शर्मनाक है। इससे साफ है सरकार कोरोना योद्धाओं के लिए बेदर्द रही है।



    बाकी नियमों में उलझे महज 22% को मिले 50 लाख जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारी the rest got entangled in the rules only 22% got 50 lakhs government employees who lost their lives MP News एमपी न्यूज मध्यप्रदेश में कोरोना Corona in Madhya Pradesh