Jabalpur. जबलपुर में हर साल छोटी बड़ी अग्नि दुर्घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन बावजूद इसके नगर निगम अपने इकलौते फायर स्टेशन से शहर वासियों की आग से सुरक्षा कर रहा है, जो कि नाकाफी है। वैसे तो बड़ी अग्नि दुर्घटना के वक्त कैंट बोर्ड और आयुध निर्माणियों के दमकल वाहन भी मदद के लिए आ जाते हैं लेकिन शहर की लाखों की आबादी में कई इलाके ऐसे भी हैं जो फायर स्टेशन से काफी दूर हैं। बावजूद इसके शहर में सब फायर स्टेशन शुरू करने की योजना फाइलों के ढेर में दबी पड़ी है। बता दें कि नगर निगम ने डेढ़ दशक पहले ही सब फायर स्टेशन बनाने की कोशिश की थी लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई।
महज 12 दमकल वाहन हैं नगर निगम के पास
नगर निगम की बात की जाए तो उसके फायर स्टेशन में 12 दमकल वाहन हैं। जिसमें से 3 बड़े और दो छोटे दमकल वाहन ही कारगर हैं। हाल ही में एक टर्न टेबल लैडर करोड़ों रुपए खर्च करके बुलवाई गई है। साथ ही एक बूम मॉनीटर भी आग बुझाने में काम आ रहा है। वहीं अग्नि दुर्घटनाओं की बात की जाए तो पिछले एक साल में 3 सौ से ज्यादा छोटी बड़ी अग्नि दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 10 लोगों की जान भी गई। वहीं आग से करीब साढ़े 3 करोड़ की संपत्ति जलकर खाक हुई।
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सुरक्षा संस्थानों के पास है अपनी फायर ब्रिगेड
जबलपुर में 5 बड़े रक्षा संस्थान हैं, जिनमें उनकी अपनी फायर ब्रिगेड मौजूद हैं। लेकिन शहर की आबादी को देखते हुए नगर निगम के जोन वाइस अलग-अलग सब फायर स्टेशन बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। वहीं केंटोन्मेंट बोर्ड के पास अपना अलग दमकल विभाग है। जो केंट क्षेत्र तक ही सीमित है।
सिटी से दूर बस रही हैं कॉलोनियां
बीते डेढ़ दशक में शहर का तेजी से विस्तार हुआ है। बरेला से लगे गांवों, घाना, सोनपुर, वीरनेर, पाटन और कटंगी बायपास तक कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। सुहागी से आगे महाराजपुर तक कॉलोनियां बस चुकी हैं। जो कि नगर निगम के फायर स्टेशन से कई किलोमीटर की दूरी पर हैं। ऐसे में जोन वाइस सब फायर स्टेशन की महती आवश्यकता महसूस की जा रही है।
नगर निगम के सहायक अधीक्षक राजेंद्र पटेल ने बताया कि फायर सब स्टेशन विस्तार से लेकर दमकल टीम के विस्तार का प्रस्ताव पूर्व में शासन को भेजा गया है। नगर की सीमा के विस्तार के साथ ही फायर सब स्टेशन स्थापित किए जाने की आवश्यकता बढ़ गई है।