ओवैसी, आप और जयस की मालवा-निमाड़ में दस्तक, जयस के निशाने पर बीजेपी, AIMIM से कांग्रेस को नुकसान, आप के टारगेट पर शहरी सीटें

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Arvind Tiwari
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ओवैसी, आप और जयस की मालवा-निमाड़ में दस्तक, जयस के निशाने पर बीजेपी, AIMIM से कांग्रेस को नुकसान, आप के टारगेट पर शहरी सीटें

INDORE. मध्यप्रदेश की सियासत के फैसले में मालवा-निमाड़ की सबसे अहम भूमिका रहती है। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस), आम आदमी पार्टी (आप) और असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी दस्तक दे दी है। इस अंचल की दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर जयस, आप और एआईएमआईएम की असरकारक उपस्थिति चुनावी नतीजों को प्रभावित करती नजर आ रही है। इन तीनों ने जिस अंदाज में अभी से मैदान संभाल लिया है, वह भाजपा और कांग्रेस की परेशानी को बढ़ाने वाला है। 



जयस ने 22 सीटों पर झोंक रखी है पूरी ताकत 



आंतरिक विवादों से जूझ रही जयस का सारा फोकस बड़वानी, धार, आलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, रतलाम, देवास की सीटों पर है। जयस ने उन सीटों पर अपनी सक्रियता बढ़ा रखी है, जहां आदिवासी मतदाताओं की संख्या 40 हजार से ज्यादा है। मालवा निमाड़ की 66 में से 22 सीटें अनुसूचित जनजाति की है। जयस यहां पूरी ताकत से भिड़ी हुई है। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान जो एकजुटता जयस में थी, वह अब नजर नहीं आ रही है, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में आदिवासी युवा उसके पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। पढ़-लिखकर संपन्न हो चुके आदिवासी समाज के लोग चाहे वे अधिकारी हों या व्यापारी, आर्थिक मोर्चे पर खुलकर जयस की मदद कर रहे हैं। वैसे तो जयस की तैयारी प्रदेश के तमाम आदिवासी संगठनों को साथ लेकर 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। जयस ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए ओबीसी वर्ग के नेताओं को भी जगह देने की घोषणा की है। प्रदेश में ऐसी 33 सीटें तय की हैं, जहां से समान्य और ओबीसी वर्गों के प्रत्याशी मैदान में उतारे जाएंगे। 



धार और अलीराजपुर में जयस सबसे ज्यादा मजबूत



मैदानी स्थिति का आंकलन करें तो जयस सबसे ज्यादा मजबूत धार और अलीराजपुर जिले में है। यहां भी मनावर, कुक्षी, गंधवानी, जोबट और अलीराजपुर सीटों पर वह पूरी ताकत से मैदान संभाले हुए है। बड़वानी और झाबुआ जिले में जयस सेंधवा, बड़वानी, झाबुआ और थांदला में ज्यादा सक्रिय है। राजपुर, पानसेमल और पेटलवाद में उसे अभी काफी मेहनत करना होगी। खंडवा की हरसूद सीट पर जयस का असर अभी देखने को मिल नहीं रहा है, जबकि नेपानगर सीट पर वह नए सिरे से गणित जमाने में लगी है। देवास जिले की बागली सीट पर वह चुनाव तक निर्णय को प्रभावित करने की स्थिति में आ जाएगी। रतलाम जिले की दो सीटों रतलाम ग्रामीण और सैलाना में से रतलाम ग्रामीण में जयस असरकारक दिख रही है, जबकि सैलाना में वह कांग्रेस और भाजपा के बाद तीसरे नंबर पर है। खरगोन जिले की भीकनगांव और भगवानपुरा सीट पर जयस ने पांव तो जमाए हैं, लेकिन मुकाबले में आने के लिए बहुत मेहनत करना होगी। जिन सामान्य सीटों पर जयस अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है, उनमें महू सबसे ऊपर है। इसके बाद बदनावर, धार, खरगोन का नंबर आता है। महू में बड़ी संख्या में आदिवासी मतदाता हैं और जयस जिस अंदाज में अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर इन्हें लामबंद कर रहा है, वह सत्तारूढ़ भाजपा के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। जयस के एक धड़े से गहरा जुड़ाव रखने वाले डॉ. आनंद राय इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। बदनावर में भी आदिवासी मतों की संख्या बहुत ज्यादा है और यहां जयस समय-समय पर अपनी ताकत दिखाता रहता है।  



एआईएमआईएम से सीधा कांग्रेस को नुकसान 



हैदराबाद के सांसद ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इस बार के विधानसभा चुनाव में उन सीट पर मतों का विभाजन करवाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी, जहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाता हैं। खरगोन, उज्जैन उत्तर, बुरहानपुर, रतलाम शहर, इंदौर 3, इंदौर 5 के साथ ही जावरा, खंडवा, महिदपुर, नागदा-खाचरौद, मंदसौर विधानसभा क्षेत्रों पर एआईएमआईएम की नजर है और नगरीय निकाय चुनाव में यहां अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर उसने आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए संकेत दे ही दिए हैं। यह तय है कि एआईएमआईएम मुस्लिम मतदाताओं के बाहुल्य वाली सीटों पर उम्मीदवार मैदान में लाएगी और इससे होने वाले मतों के विभाजन का सीधा नुकसान कांग्रेस को होना है। एआईएमआईएम के प्रतिनिधि इन क्षेत्रों में सक्रिय मुस्लिम नेताओं से संपर्क कर रहे हैं और उनकी मुलाकात ओवैसी से भी करवा रहे हैं। मध्यप्रदेश में 2008 में अपनी सत्ता बचाने के लिए भाजपा ने भी कुछ ऐसा ही दांव खेला था, तब पार्टी ने उन सीटों पर जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं, फंडिंग करके मुस्लिम उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरवा दिए थे। इन लोगों को दो हजार से चार हजार के बीच वोट मिले थे और कांग्रेस के कई उम्मीदवार इसी कारण चुनाव हार गए थे। इनमें बड़ी संख्या उन उम्मीदवारों की थी, जो पांच सौ से दो हजार मतों के अंतर से हारे थे। 



आप का जोर शहरी सीटों पर



मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर चुकी आम आदमी पार्टी का सारा फोकस मालवा निमाड़ की शहरी सीटों पर है। पार्टी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेता इंदौर, उज्जैन, रतलाम, देवास, धार, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर जैसे शहरों में लगातार मूवमेंट कर रहे हैं। इनकी तैयारी शहरी युवाओं के साथ ही कामकाजी लोगों को घेरने की है। छोटे काम-धंधे में लगे लोगों पर आप का ज्यादा फोकस है। आने वाले समय में अरविंद केजरीवाल भी इंदौर, उज्जैन में बड़े आयोजन में शामिल हो सकते हैं। पार्टी की अलग-अलग टीम इंदौर में गली-मोहल्लों तक पहुंच रही है और बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की कवायद चल रही है। पार्टी के सदस्यता अभियान को मालवा-निमाड़ क्षेत्र में जो समर्थन मिला है, उसे पार्टी के कर्ताधर्ता अच्छा संकेत मान रहे हैं। 



आप के फिलहाल एक महापौर और 122 पार्षद हैं



मध्य प्रदेश में आप के फिलहाल एक महापौर और 122 पार्षद हैं। आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने का ऐलान पहले ही कर दिया था। आप प्रदेश की सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। 



भाजपा की बढ़ने लगी है परेशानी, कांग्रेस की मजबूती कागजों पर



मालवा-निमाड़ की 66 सीटों पर आज की स्थिति में यदि हम सरसरी नजर डालें तो जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, भाजपा की परेशानी बढ़ ही रही है। मजबूत संगठन नेटवर्क के बावजूद भाजपा का कमजोर पक्ष नेताओं का आम जनता से दूरी बनाना, सरकारी कामकाज में बढ़ता भ्रष्टाचार, भाजपा नेताओं में एक-दूसरे को निपटाने की प्रतिद्वंद्विता है। कांग्रेस के संगठन का तानाबाना जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर पर छिन्न-भिन्न हैं। सेक्टर और मंडलम जितने मजबूत कागजों पर दिख रहे हैं, उतने मैदान में नहीं हैं। यहां स्थिति अभी 50-50 की है। जो आगे किसी के भी पक्ष में 60-40 में तब्दील हो सकती है।


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