बैतूल में लंपी वायरस के खात्मे के लिए पंचायत ने लागू किए पांच दिवसीय नियम, कर रहे विशेष पूजा पाठ, बीमारी को मान रहे दैवीय प्रकोप

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Vivek Sharma
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बैतूल में लंपी वायरस के खात्मे के लिए पंचायत ने लागू किए पांच दिवसीय नियम, कर रहे विशेष पूजा पाठ, बीमारी को मान रहे दैवीय प्रकोप

विनोद पातरिया, BETUL. मध्य प्रदेश के बैतूल में लंपी वायरस से पशुओं की मौत से परेशान ग्रामीण इसे दैवीय प्रकोप मान रहे हैं और देवी को मनाने के लिए पूजा पाठ का सहारा ले रहे हैं । ग्रामीणों ने पांच दिन के लिए कुछ प्रतिबंध भी लगाए है । इनका उल्लंघन करने पर 10 हजार का जुर्माना तय किया है । बैतूल जिले में लंपी बीमारी के प्रकोप से मवेशियों की जान जा रही हैं। ऐसे में ग्रामीण बीमारी को दैवीय प्रकोप मानते हुए इससे छुटकारा पाने के लिए अपने स्तर पर नियम बनाने लगे हैं। बैतूल ब्लाक के गांव बोदी जूनावानी के ग्रामीणों ने भी लंपी के प्रकोप को खत्म करने के लिए सख्त नियम बना लिए हैं । जिनका सभी ग्रामीणों को 5 दिनों तक पालन करना अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन करने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी रखा गया है। बताया जा रहा है कि लंपी बीमारी से पशुओं की बीमार होने के बाद मौत हो रही है। यही वजह है कि पशुपालक सहित ग्रामीण बुरी तरह से परेशान हो गए हैं। पांच दिवसीय नियम बनाए गए हैं जिन्हें सभी को मानना अनिवार्य है। इसमें किसी भी घर में तेल से बघार नहीं लगाया जाएगा, कोई भी महिला अथवा पुरूष लकड़ी का गट्ठा सिर पर नहीं रखेगा और ना ही महिलाएं कुंए, हैण्डपंप से डबल गुंडी (बेहड़े) से पानी भरेंगी, गांव में कोई भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करेगा।  





नवरात्र जैसा नजारा





आम तौर पर नवरात्र के दौरान मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाकी है लेकिन बैतूल के आरुल गांव मे इन दिनों नवरात्र जैसा ही माहौल है। हाथ में जल लिए महिलाएं गांव के देव स्थानों पर जल चढ़ाने के लिए कतार लगाए नजर आ रही है। रोज यह अनुष्ठान मवेशियों को लंपी वायरस से बचाने के लिए किया जा रहा है। अगले 9 दिनों तक महिलाएं यहां माता मंदिर में पहुंचकर अलसुबह पूजा अर्चना कर रही है। आरुल, कुम्हारिया, माथनी, मंडई बुजुर्ग में यही अनुष्ठान हो रहे हैं।





छौंक लगाने प्रतिबंध





गांवों में इन धार्मिक अनुष्ठान के अलावा भोजन में लगने वाले बघार को भी रोक दिया गया है।  ग्रामीण महिलाएं भोजन बनाते समय छौंक नहीं लगा रही हैं। प्रक्रिया एक सप्ताह से ज्यादा चलेगी। ग्रामीणों का विश्वास है की इससे उन्हे फायदा पहुंचता है। ग्रामीणों  के मुताबिक इन धार्मिक प्रक्रियाओं को अपनाने का फायदा भी हुआ है। मवेशी तेजी से ठीक हो रहे है।





अब तक सैकड़ों मवेशियों की मौत





बैतूल जिले में पिछले तीन महीने से लंपी पैर पसार रहा है। यहां 350 से ज्यादा गांव इसकी गिरफ्त में है। जिले में अब तक सैकड़ों मवेशियों की मौत हो चुकी है। वहीं लगभग हर गांव मे लंपी वायरस से पीड़ित मवेशी हैं। जिससे ग्रामीणों में खौफ है। पशु चिकित्सा विभाग लंपी की रोकथाम में सुस्त नजर आ रहा है। जिससे अब ग्रामीण भगवान और तंत्र मंत्र का सहारा ले रहे हैं। पशु चिकित्सा विभाग का जैसा सहयोग और उपचार मिलना चाहिए वैसा नही मिल रहा। इसीलिए धार्मिक अनुष्ठान की ओर रुख कर रहे हैं।बोदी जुनावानी के ग्रामीणों ने लंपी बीमारी से सप्ताह भर में दर्जन भर मवेशियों की मौत के बाद इस बीमारी को दैविक प्रकोप मानते हुए गांव में अनोखे निर्णय लिए हैं ताकि बीमारी से निजात मिल सके। गांव की सीमा पर ग्रामीण एक साथ पूजन कर यह निर्णय लिया है कि जब तक मवेशियों पर आयी लंपी बीमारी ठीक नहीं हो जाती कोई भी ग्रामीण मदिरा मांस का सेवन नहीं करेगा। इन सभी नियमों का पालन नहीं करने वालो पर पंचायत 10 हजार रूपये का जुर्माना करेगी।





नियमों का हो रहा कड़ाई से पालन





इन नियमों का ग्रामीण कड़ाई से पालन कर रहे है। श्यामू धुर्वे (मुखिया ) का कहना है कि लंपी बीमारी से पशुओं की बीमार होने के बाद मौत हो रही है। यही वजह है कि पशु पालक सहित ग्रामीण बुरी तरह से परेशान हो गए हैं। सभी इसे दैवीय प्रकोप मान रहे हैं इसी के चलते बीमारी का प्रकोप खत्म करने के लिए पांच दिवसीय नियम बनाए गए हैं। रघुनंदन हरसुले (ग्रामीण) का कहना है कि कोई भी महिला अथवा पुरूष लकड़ी का गट्ठा सिर पर नहीं रखेगा और ना ही महिलाएं कुंए, हैण्डपंप से डबल गुंडी (बेहड़े) से पानी भरेंगी, गांव में कोई भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करेगा। सोमेश उइके (उपमुखिया ) का कहना है कि इन सभी नियमों का पालन नहीं करने वालों पर पंचायत 10 हजार रूपये का जुर्माना करेगी। इन नियमों का ग्रामीण कड़ाई से पालन कर रहे हैं।



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