Bhopal. मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। देश में निचले स्तर तक समग्र विकास हो सके, इसके लिए पंचायती राज की स्थापना की गई थी। अब यही पंचायतें भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन गई है। पिछले कार्यकाल में सरपंचों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जमकर भ्रष्टाचार किया। पिछले 5 साल में पंचायत एक्ट के तहत 4309 मामले दर्ज किए गए है। इस मामले में अब क 483 सरपंचों को पद से हटाया गया है। जबकि 2858 सरपंचों और सचिव से वसूली की कार्रवाई की जा रही है। इतना ही नहीं 2636 सरपंचों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना बाकी है। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि, हमारे प्रदेश की पंचायत किस स्तर तक भ्रष्टाचार में डूबी हुईं हैं।
शिक्षा में हुआ बड़ा घोटाला
सतना में बड़ा घपला सर्व शिक्षा अभियान के तहत हुआ। इसमें स्कूलों के भवन, बाउंड्रीवाल, खेल मैदान और खेल सामग्री के लिए पैसा आया था, लेकिन सरपंचों और सचिवों की मिलीभगत से उस पैसे की बंदरबांट कर ली गई। इसी प्रकार ग्राम पंचायत सिलावटी में निर्मल भारत योजना के तहत शौचालय बनाने के लिए आए 6 लाख 44 हजार रुपए हजम कर लिए। इन पैसों से 140 शौचालय बनने थे लेकिन एक भी नहीं बना। ऐसा ही कुछ हाल प्रदेश की हर पंचायत का है।
सरपंच को पद से हटाने का है प्रावधान
पंचायत राज अधिनियम की धारा-40 के तहत भ्रष्टाचार के आरोप में सरपंच को उसके पद से हटाने का प्रावधान है। पहले यह कार्रवाई एसडीएम करते थे, लेकिन बीते दो साल जिला पंचायत के सीईओ कर रहे हैं। सरकारी धन के दुरुपयोग या गबन पर धारा-92 के तहत वसूली का अधिकार भी सीईओ को है। धारा-92 के तहत वसूली आदेश निकलते हैं।