Narsinghpur. सरकार जहां एक जिला एक उत्पाद के तहत विभिन्न जिलों के प्रसिद्ध उत्पादों की ब्रांडिंग करा रही है, वहीं नरसिंहपुर में एक जिला एक उत्पाद के लिए चयनित गुड़ पर टैक्स वसूलने की तैयारी कर ली गई है। नरसिंहपुर जिला पंचायत ने जिले में संचालित होने वाली करीब 4 हजार गुड़ भट्टियों को स्थानीय पंचायत में एक से 2 हजार रुपए तक टैक्स जमा करने का आदेश जारी किया है। जिसके तहत स्वयं के गन्ने की पिराई कर गुड़ बनाने पर 1 हजार और अन्य किसानों का गन्ना खरीदकर व्यावसायिक तौर पर गुड़ बनाने वाले भट्टी संचालकों को 2 हजार रुपए टैक्स जमा करना होगा।
नई व्यवस्था के तहत गुड़ भट्टी के संचालन को औद्योगिक गतिविधि के अंतर्गत मानते हुए इस पर टैक्स लगाया जाएगा। जैविक गुड़ उत्पादक किसानों का कहना है कि गुड़ पर अप्रत्यक्ष रूप से मंडी टैक्स का भुगतान तो करना ही पड़ता था। ऐसे में एक और टैक्स लगाना कहां तक उचित है। वहीं एक जिला एक उत्पाद के तहत जहां गुड़ बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के बजाय जिला पंचायत टैक्स लगाकर उन्हें हतोत्साहित कर रही है।
जिला पंचायत सीईओ सौरभ संजय सोनवने ने बताया कि गुड़ भट्टियों में पंचायत क्षेत्र के संसाधनों का उपयोग होता है, इसलिए इनका टैक्स संबंधित पंचायत द्वारा लिया जाएगा और टैक्स की राशि का उपयोग पंचायतों द्वारा गांव के विकास कार्यों में किया जाएगा।
पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है नरसिंहपुर का गुड़
बीते कुछ दशकों में नरसिंहपुर जिले का गुड़ काफी प्रसिद्धि पा चुका है। हर साल जिले में गुड़ भट्टियों में बनने वाले गुड़ की मिठास और पोषकता काफी अच्छी मानी जाती है। यही कारण है कि लोग नरसिंहपुर के गुड़ को खासतौर पर मांगते हैं।