पंकज स्वामी, JABALPUR. भेड़ाघाट में रजनीश (ओशो) के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया जबलपुर पहुंचे। पंडित जी सीधे डुमना एरोड्रम से कार्यक्रम स्थल भेड़ाघाट पहुंचे। इस अवसर पर पण्डित जी ने कहा कि जब तक वे जीवित हैं ओशो के जन्मदिन पर प्रत्येक वर्ष भेड़ाघाट में बांसुरी बजाना चाहेंगे।
पं. हरिप्रसाद चौरसिया और बांसुरी एक दूसरे पर्याय क्यों
आज भेड़ाघाट में रजनीश (ओशो) के जन्मदिन के अवसर पर समझ में आया। पंडित जी सीधे डुमना एरोड्रम से कार्यक्रम स्थल भेड़ाघाट पहुंचे। मंच पर जब उनकी आमद हुई तब वे सहारा ले कर सीढ़ियां चढ़े। कार्यक्रम समय से लगभग एक घंटे बाद शुरू हुआ, लेकिन जैसे ही पंडित जी की बांसुरी ने तान छेड़ी लोग मंत्रमुग्ध से डेढ़ घंटे तक सुरों में डूबते उतरते रहे।
पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने सभा का समापन सार्वकालिक व लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश से किया। पंडित जी रजनीश को याद कर भावुक हो गए और उनके आंसू निकल गए। उन्होंने कहा कि जब तक वे जीवित हैं ओशो के जन्मदिन पर प्रत्येक वर्ष भेड़ाघाट में बांसुरी बजाना चाहेंगे। पंडित जी ओशो से अपने संबंध और स्नेह को पहली बार सार्वजनिक किया।
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जबलपुर की जलेबी की खूब तारीफ सुनी है खाने को बेताब हैं
पंडित जी ने वातावरण को सामान्य बनाते हुए कहा कि वे अब बातचीत खत्म कर जलेबी खाना चाहेंगे। जी समय वहां मौजूद लोग उनकी बात का अभिप्राय समझ नहीं पाए। मंच के नीचे व्यक्तिगत बात में पंडित जी ने कहा कि सीधे एरोड्रम से आए हैं और आयोजक ने उनके जलेबी की व्यवस्था की थी, लेकिन समय की पाबंदी के कारण वे जलेबी का स्वाद नहीं ले पाए। पंडित जी ने मंद-मंद मुस्कराते हुए कहा कि जबलपुर की जलेबी की खूब तारीफ सुनी है इसलिए वे जलेबी खाने को बेताब हैं।