BHOPAL. सीहोर के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। पं. प्रदीप मिश्रा ने महाकाल के दर्शन सिस्टम को लेकर भारी नाराजगी जताई है। उन्होंने मंच से ही महाकाल मंदिर के कर्मचारियों के लिए कहा कि- जो लोग पैसा लगाकर सैकड़ों किलोमीटर दूर से महाकाल के दर्शन को आते हैं। उन्हें ठीक से दर्शन तो करने दो। भक्तों को धकेले देते हैं जैसे की उन्हें दर्शन का कोई अदिकारी ही न हो। इतना अभिमान ठीक नहीं। तुम्हारे भाग्य अच्छे हैं, जो महाकाल के चरणों में ड्यूटी लगी है, लेकिन भक्तों के साथ ऐसा बुरा व्यवहार मत करो।
'पैसे वाले को आराम से दर्शन, बाकी लोगों को जल्दी निकाल देते हैं'
उज्जैन में पं. प्रदीप मिश्रा शिव पुराण कथा का आयोजन हुआ था। 4 अप्रैल 10 अप्रैल तक हुए इस आयोजन में देशभर के लाखों भक्त शामिल हुए। बड़नगर रोड स्थित पंडाल में कथा का आयोजन रखा गया था। कथा के बाद श्रृद्धालु बड़ी संख्या में महाकाल मंदिर दर्शन के लिए भी जाते थे। इन्हीं भक्तों ने मंदिर में दर्शन के दौरान कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले बुरे व्यवहार की शिकायत की थी। भक्तों का कहना था कि जब वे मंदिर में महाकाल के दर्शन के लिए जाते है तो घंटों लाइन में लगकर दर्शन का मौका मिलता है, लेकिन मंदिर के कर्मचारी लाइन में से खींच खींचकर आगे बढ़ा देते हैं। पल दो पल भी भगवान के दर्शन नहीं करने देते हैं। वहीं जो पैसे देकर दर्शन करने आता है उसे सभी सुविधाएं मिलती है।
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महाकाल मंदिर के कर्मचारियों पर भड़के पंडित प्रदीप मिश्रा
इस शिकायत के बाद अपनी कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने महाकाल मंदिर में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को जमकर खरी खोटी सुना दी। मिश्रा ने कहा कि- 'व्यक्ति के भीतर अभिमान नहीं आना चाहिए कि मैं महाकाल के मंदिर में दर्शन करवा सकता हूं। ये तेरी किस्मत है कि तेरे जैसे न जाने कितने महादेव ने जंगलों में छोड़ रखे हैं, जो रोज गोलियां झेल रहे हैं और तू उनके दरवाजे पर खड़े होकर भक्तों के जयघोष नहीं झेल सकता'।
'सीहोर वाला महाराज कड़क बोलता है'
पं. मिश्रा ने आगे कहा कि सैकड़ों किलोमीटर से लोग आते हैं। एक पल दर्शन तो करने दो। किस अहंकार में जी रहे हो, जरा सी देर में तुमने कह दिया जल्दी-जल्दी बाहर निकालो, दर्शन नहीं करने देना। महाकाल धन्यवाद दो कि उसने अपने चरणों की नौकरी दी है तुम्हें, वरना न जाने कहां-कहां ठोकर खाते रहते, कहां-कहां पड़े रहते। यह सीहोर वाला महाराज कड़क बोलता है। जिसको जो छापना है छापो। छापने वाला कितना भी छापे, यह बोल दिया, वह बोल दिया, यह छाप दिया, छापो जितना छापना है।