Panna: उत्तराखंड बस हादसे (Uttarakhand bus accident) ने पन्ना (Panna) सहित समूचे देश को झकझोर कर रख दिया है। हादसे में मृत तीर्थयात्रियों की 7 जून की सुबह जब चिताएं जलीं तो हर किसी की आंखें डबडबा गईं। इस हादसे में 25 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इनके शव हवाई जहाज के माध्यम से खजुराहो (Khajuraho) के बाद एंबुलेंस की मदद से देर रात पन्ना लाया गया था। सुबह परिजनों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। जिले के सांटा बुद्धसिंह गांव (Santa Buddha Singh Village) के सबसे ज्यादा 8 लोग हादसे का शिकार हुए हैं। यहां आज सुबह एक साथ 8 चिताएं जलीं, जिसे देख लोगों का हृदय चीत्कार कर उठा। पूरे गांव में मातमी माहौल है और सन्नाटा पसरा हुआ है।
हर तरफ सिर्फ रुदन सुनाई दे रहा
इसी तरह मोहंद्रा गांव (Mohandra Village) में भारी संख्या में रोते हुए परिजनों ने अपने मुखियाओं को नम आंखों से विदाई दी। यहां एक ही परिवार के 4 लोगों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस बीच अंतिम संस्कार में शामिल होने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (Vishnu Dutt Sharma) भी पहुंचे और परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी। उन्होंने ढाढ़स बंधाया कि दुख की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं। एक-दूसरे से मिलकर दुख बांट सकते हैं, जो भी सरकार और पार्टी की ओर से होगा सभी को पूरी मदद की जाएगी। सिमरिया गांव में भी दो लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। देर रात जब गांव में शव पहुंचे, तो कोई ताबूत से लिपट कर रोया। हर तरफ सिर्फ रुदन सुनाई दे रहा था।
परिजनों की रो-रो कर आंखें पथरा गईं
अपनों की मौत की जानकारी लगने के बाद से ही मृत तीर्थ यात्रियों के घरों में मातम पसर गया था। उनके घरों में ना रात में चूल्हे जले और ना दिन को। पथरा चुकी आंखों को सिर्फ पार्थिव शरीर देखने का इंतजार था। ऐसे माहौल में इन परिवारों के लिए गांव के लोग सहारा बने और इनके छोटे बच्चों के लिए दूध और नाश्ते की व्यवस्था की। जबकि परिवार के बड़ों ने बीते 2 दिनों से कुछ नहीं खाया। लोग मनाते रहे लेकिन पार्थिव शरीर पहुंचने के इंतजार में उनकी भूख प्यास सब मिट गई थी। रो-रो कर आंखें पथरा गईं थीं। मृतकों के घरों के बाहर गांव के लोगों, रिश्तेदारों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों का भी जमघट लगा रहा और ऐसी घड़ी में सभी सांत्वना देते नजर आए। लेकिन कोई संभाले नहीं संभल रहा था। अपनों को खो देने का दुख सभी की आंखों में दिख रहा था।