दीपेंद्र सिंह राजपूत । भोपाल. सरकार का परिवहन विभाग बसों में यात्रियों के जीवन की सुरक्षा के लिए बनाया गया एक बेहद जरूरी निगम लागू कराना भूल गया है। प्रदेश में 2015 में पन्ना में हुए भीषण बस हादसे में 40 लोगों के जिंदा जलने के बाद तय किया गया था कि अब हर यात्री बस में एंट्री और एग्जिट के लिए दो अलग-अलग गेट लगाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा ऑपरेटर को बस के पिछले हिस्से में दायीं ओर एक इमरजेंसी एग्जिट विंडों का भी प्रावधान करना होगा। सरकार के राजपत्र में दर्ज इस नियम का प्रदेश के बस ऑपरेटर कितनी गंभीरता से पालन कर रहे हैं यह जानने के लिए द सूत्र की टीम ने राजधानी के आईएसबीटी (ISBT Bhopal) से संचालित बसों का मुआयना किया तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। अधिकांश बसों में अभी भी दो अलग-अलग गेट के बजाय एक ही गेट लगा है और इमरजेंसी एग्जिट विंडो के नाम पर बस ऑपरेटर दिखावा कर रहे हैं।
बस हादसों के बाद बदला था नियम
सीधी बस हादसा (Sidhi Bus Accident) तो आपको याद ही होगा। इसी साल 16 फरवरी को सीधी के पास एक बेकाबू बस बाणसागर नहर (Bansagar Canal) में गिर गई थी। हादसे में 50 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी। इस बस में 35 स्टूडेंट थे जो एएनएम (ANM) की परीक्षा देने के लिए सीधी से सतना (Satna) जा रहे थे। हादसे में 6 लोगों को ही बचाया जा सका था। वहीं, 5 मई 2015 को पन्ना-छतरपुर (Panna-Chhatarpur) के बीच एक यात्री बस खाई में गिरने के बाद उसमें आग लग गई थी। इस दिलदहला देने वाले हादसे में 40 से ज्यादा यात्री जिंदा जल गए थे। इस दुर्घटना में भी सिर्फ 13 यात्रियों को किसी तरह बचाया जा सका था। जांच में सामने आया कि बस में इमरजेंसी गेट नहीं होने की वजह से लोगों को बचाया नहीं जा सका था। इन हादसों से सरकार ने सबक लेते हुए सरकार ने सभी यात्री बसो में दो गेट के अलावा दाईं ओर एक इमरजेंसी एग्जिट गेट लगाने का नियम बनाया।
नियम बनाया लेकिन पालन कराना भूले
हर यात्री बस में अनिवार्य रूप से दो गेट के साथ एक इमरजेंसी एग्जिट गेट का नियम लागू करते हुए तब प्रदेश के परिवहन महकमे (Transport Department) के कर्ताधर्ताओं ने दावा किया था कि जो बस ऑपरेटर (Bus Operator) नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी बसों की फिटनेस सर्टिफिकेट (Bus Fitness Certificate) के साथ परमिट भी निरस्त कर दिया जाएगा। द सूत्र की रिपोर्टिंग टीम ने बस यात्रियों के जीवन की सुरक्षा के लिए बनाए गए इस नियम पर अमल की हकीकत परखी तो सरकार और परिवहन विभाग का दावा हवा में उड़ता नजर आया।
बसों में नहीं लगे दो गेट, इमरजेंसी एग्जिट के नाम पर खानापूर्ति
भोपाल के आईएसबीटी (ISBT) से हर रोज तकरीबन 200 बसों की आवाजाही होती है। इन बसों में ज्यादा संख्या सरकार की अमृत योजना के अंतर्गत चलने वाली सूत्र सेवा बस और चार्टर्ड सर्विस (Chartered Bus Service) से जुड़े ऑपरेटर्स की बसों की ही है। द सूत्र की टीम ने जब इन बसों में सुरक्षा मापदंडों और इमरजेंसी गेट (Emergency Gate) की पड़ताल की, तो सामने आया कि बस ऑपरेटर सरकार की गाइडगाइन की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अधिकतर बसों में सिर्फ एक गेट ही है और इमरजेंसी गेट के नाम पर दिखावे के लिए खानापूर्ति की जा रही है। बसों में जिस जगह इमरजेंसी गेट बनाया गया है उसके ठीक सामने एक सीट भी लगाई गई है। यदि हादसे के वक्त यात्री इस गेट से निकलना चाहें तो वे बाहर निकल ही नहीं सकते। चौंकाने वाली बात ये है कि ऐसी सभी बसों को परिवहन विभाग से फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ परमिट भी जारी किए जा रहे हैं।
नियमों में हर बस में दो गेट और इमरजेंसी एग्जिट जरूरी
मध्यप्रदेश मोटरयान नियम, 1994 का नियम 164 के मुताबिक प्रत्येक लोक सेवा वाहन, निजी सेवा वाहन, ठेका गाड़ी और शैक्षणिक संस्थानों के ऐसे वाहन जिनमें 32 से ज्यादा सीटें हो उनमें कम से कम 53 सेंटीमीटर चौड़ाई और पर्याप्त ऊंचाई वाले एंट्री और एग्जिट गेट अलग-अलग होने चाहिए। ये दोनों गेट वाहन के बांयीं ओर होने चाहिए। वहीं इसके अलावा बस के पिछले हिस्से या दाहिनी तरफ आपातकालीन खिड़की और आपातकालीन दरवाजा होना जरूरी है।
मंत्री बोले- यात्रियों की जान से खिलवाड़ नहीं होने देंगे
प्रदेश में यात्री बसों में किए जा रहे नियमों के उल्लंघन के बारे में जब परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की तो उन्होंने हर बार की तरह जांच कराने का रटा-रटाया जवाब दिया। इस मामले में परिवहन मंत्री (Transport Minister) गोविंद सिंह राजपूत(Govind Singh Rajput) से चर्चा की तो उन्होंने कहा, मेरे ध्यान में ऐसी कोई बस नहीं है जिसमें नियमों का पालन न हो रहा हो। विभाग के अधिकारी समय-समय पर जांच कर नियम का उल्लंघन करने वाले बस ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।