Jabalpur. जबलपुर में निजी अस्पताल द्वारा मरीज को गलत ग्रुप का खून चढ़ाने का आरोप मरीज के परिजनों ने लगाया था, जिसके चलते मरीज की दोनों किडनियां खराब हो गई थीं। मामले की जांच कलेक्टर ने सीएमएचओ को सौंपी थी। मामले की जांच में उखरी रोड स्थित गैलेक्सी अस्पताल की पैथोलॉजी लैब को दोषी माना है। जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा के आदेश पर अस्पताल की पैथोलॉजी लैब को बंद करा दिया गया है। अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच अब अस्पताल में नहीं होगी, उन्हें बाहर से जांच कराना पड़ेगी।
नागपुर में पकड़ में आई थी गलती
शिकायत में नरसिंहपुर निवासी शख्स ने बताया था कि उन्होंने अपनी पत्नी को उल्टी दस्त की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां जांच के बाद पत्नी को खून चढ़ाने की जरूरत बताई गई थी। अस्पताल की लैब ने पत्नी का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव बताया था, जबकि नागपुर के अस्पताल की लैब ने मरीज का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव बताया। नागपुर के डॉक्टरों ने यह पाया कि गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाए जाने से उनके मरीज की दोनों किडनियां डैमेज हो गई थीं।
कलेक्टर से की थी शिकायत
नरसिंहपुर निवासी दिनेश कौरव ने मामले की शिकायत जिला कलेक्टर से की थी। उन्होंने शिकायत संबंधी प्रमाण भी प्रस्तुत किए थे। इसलिए कलेक्टर ने तत्काल मामले की जांच सीएमएचओ को सौंप दी थी और 3 दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। सीएमएचओ डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर विक्टोरिया अस्पताल के दो पैथोलॉजिस्ट को इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए थे। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में गैलेक्सी अस्पताल की पैथोलॉजी को दोषी बताया है, इस जांच रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल की पैथोलॉजी लैब बंद कर दी गई है।
परिजन का आरोप अस्पताल को बचाया जा रहा
उधर मरीज के परिजन दिनेश कौरव का कहना है कि मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को नजरअंदाज किया गया है। जांच के बाद की गई कार्रवाई भी अनुचित है। अस्पताल प्रबंधन को बचाते हुए सिर्फ पैथोलॉजी को बंद करना जांच में लीपापोती की गवाही दे रहा है। मुझे दी गई सारी रिपोर्ट्स में डिजिटल साइन हैं। मुझे शक है कि अस्पताल प्रबंधन फर्जी पैथोलॉजी की आड़ में बड़ा घोटाला कर रहा है। मेरी मांग है कि अस्पताल को तत्काल बंद किया जाए। अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं पूरे मामले को लेकर न्यायालय की शरण में जाऊंगा।