जबलपुर. मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) ने नर्मदा नदी (Narmada River) के जल पर एक जांच रिपोर्ट (Report on Narmada Water) पेश की है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में पेश हुई इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नर्मदा नदी जबलपुर (Jabalpur) में सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रही है। जबलपुर में रोज 136 MLD सीवरेज की गंदगी नर्मदा में मिल रही है। यहां के घाटों पर नर्मदा का जल आचमन लायक तक नहीं है। ग्वारीघाट और तिलवारा समेत अन्य किनारे के गांवों की गंदगी सीधे नर्मदा में मिल रही है।
नर्मदा के किनारे अतिक्रमण
याचिकाकर्ता डॉ.पीजी नाजपांडे ने बताया कि एनजीटी ने सीवेज की गंदगी को नर्मदा में मिलने से रोकने के लिए ठोस प्रयासों पर बल दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश की जीवन-रेखा खतरे में आ रही है। नदी के किनारे हो रहे अतिक्रमण, निर्माण कार्य के कारण नर्मदा का पानी खराब होता जा रहा है। एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण मंडल और सभी कलेक्टर्स को कार्रवाई की जिम्मेदारी सौंपी थी।
वकील प्रभात यादव ने बताया कि एनजीटी के दिशा-निर्देशों पर ठोस कार्रवाई न होने पर एक्जेक्यूटिव याचिका दायर की गई। इसके जरिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट तलब की गई। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद एनजीटी ने 70 पृष्ठीय विस्तृत आदेश जारी किया है।
इन जगहों में मिल रही गंदगी
ओंकारेश्वर 0.32 MLA, महेश्वर 4.8 MLD, बड़वाहा में 3.2 MLD, बड़वानी में 3.6 MLD, नेमावर में 0.98 MLD, बुधनी में 1.5 MLD, जबलपुर में 136 MLD, भेड़ाघाट में 0.63 MLD, डिंडौरी में 8.03 MLD, होशंगाबाद में 10 MLD, खलघाट धार में 1.7 MLD और धरमपुरी में 1.7 MLD में सीवेज रोज मिल रहा है।