संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट डबल बेंच में पर्यावरण को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका मंगलवार को दायर हुई है इसमें हाईकोर्ट से मांग की गई है कि बेवजह पेड़ों को काटा जा रहा है, इसलिए पेड़ों के संरक्षण के लिए उन्हें जीवित माना जाए। इसमें साल 1928 में वैज्ञानिक डॉक्टर बसु की शोध का हवाला दिया है। हाईकोर्ट डबल बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार सहित केंद्रीय पर्यावरण सचिव को नोटिस देकर जवाब मांगा है। आपको बता दें कि इंदौर में फ्लायओवर बनाने के लिए 1800 पेड़ काट दिए हैं।
जेसी बोस की रिसर्च क्या कहती है?
याचिका डॉ. अमन शर्मा ने पूर्व उपमहाधिवक्ता अभिनव धनोतकर के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा है कि प्रसिद्ध विज्ञानी जेसी बोस ने वर्ष 1928 में लिखी पुस्तक में कहा है कि पेड़ का एक तंत्रिका तंत्र होता है। पेड़ भी सामान्य प्राणियों की तरह सोच सकता है, समझ सकता है। उसे अहसास भी होता है। वो उन सारी चीजों को कर सकता है जो एक जीवित प्राणी करता है। पेड़ जीवित प्राणी की परिभाषा को पूरा करता है। उसका विकास होता है। वो उत्पादन कर सकता है। उससे फल निकलते हैं। पेड़ों को जीवित प्राणी घोषित कर दिया जाए तो उनके अधिकारों का संरक्षण किया जा सकेगा।
विशेषज्ञों की समिति गठित करने की मांग
मध्यप्रदेश में पेड़ों के संरक्षण के लिए ही वृक्षों का संरक्षण अधिनियम 2021 बनाया गया था, लेकिन इसमें कई खामियां हैं। इसमें वृक्ष संरक्षण अधिकारी का पद है। ये पद वर्तमान में निगमायुक्त के पास है। निगमायुक्त ही वृक्ष संरक्षण अधिकारी हैं और उन्हें ही पेड़ काटने की अनुमति देना है। ऐसे में पेड़ों के अधिकारों का संरक्षण कैसे होगा। अधिनियम में कहा है कि मृत पेड़ों को काटने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। यानी सरकार भी मान रही है कि पेड़ एक जीवित प्राणी है। याचिका में पेड़ों के संरक्षण के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने की भी मांग है।
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फ्लायओवर बनाने के लिए काट दिए 1800 पेड़
याचिका में कहा गया है कि पेड़ों के जीवित प्राणी घोषित नहीं होने की वजह से उनकी अंधाधुंध कटाई हो रही है। इंदौर में ही फ्लायओवर के नाम पर 1800 पेड़ काट दिए हैं। याचिका में मांग की गई है कि पेड़ को जीवित प्राणी घोषित कर दिया जाए तो उसके अधिकारों का संरक्षण हो सकेगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।